साइबर अपराधियों पर नहीं चल रहा पुलिस का जोर
साइबर अपराध के लिए कानूनः साइबर अपराध की रोकथाम के लिए सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 लागू है
धनबाद, जेएनएन। आज स्मार्टफोन कंप्यूटर और इंटरनेट ने हमारे जीवन को सुलभ तो बना दिया है, लेकिन इसके साथ साइबर अपराध की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। अपराधी तकनीक के सहारे हाईटेक हो गए हैं। वे आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के लिए कम्प्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं। वेबसाइट हैक करना या ऑनलाइन डेटा की चोरी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है। पहले के मुकाबले साइबर अपराध के अनुसंधान में आई तेजी के बाद थोड़ी कमी तो आई है, फिर भी इसे नियंत्रित करना पुलिस के लिए अब भी चुनौती है। पिछले साल धनबाद में साइबर थाना की स्थापना होने के बाद साइबर अपराध के अनुसंधान में तेजी आई है, फिर भी साइबर अपराध कम नहीं हुए हैं। जनजागरुकता के अभाव में साइबर क्राइम की रोकथाम में रोड़ा है।
साइबर अपराध के तरीके : फोन पर वन टाइम पासवर्ड(ओटीपी) पूछकर खाते से पैसे की निकासी करना साधारण तरीका है। एटीएम की क्लोनिंग, पेटीएम तथा अन्य वॉलेट से भी साइबर अपराधी पैसे की निकासी करते हैं। इसके अलावा समाचार पत्रों में लुभावने विज्ञापन देकर भोले-भाले लोगों को शिकार बनाते हैं। चेहरा पहचानो के नाम से लोगों को दिग्भ्रमित कर बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करा लिए जाते हैं हालांकि धनबाद में साइबर थाना की स्थापना के बाद किसी भी थाने में साइबर सेे जुड़े मामले दर्ज तो होते हैं लेकिन मामले का अनुसंधान साइबर थाना में पदस्थापित पुलिस अधिकारी ही करते हैं। इस संबंध में धनबाद साइबर थाना प्रभारी उपेंद्र रॉय ने कहा- साइबर थाना की स्थापना के बाद साइबर अपराध के अनुसंधान में तेजी आई है। अनुसंधान के दायरे में आने के बाद कई मामले ठगी के शिकार हुए लोगों को उनका पैसा वापस किया गया है। बकौल थाना प्रभारी, पेटीएम, बैंक एटीएम के फ्रॉड, ओटीपी पूछकर किए गए फ्रॉड को मिलाकर लगभग 6 लाख रुपये भुक्तभोगियों को वापस किए जा चुके हैं।
साइबर अपराध के लिए कानूनः साइबर अपराध की रोकथाम के लिए सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 लागू है। कई मामले में आईपीसी, कॉपीराइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून के तहत भी कार्रवाई का प्रावधान है।
साइबर अपराध की श्रेणी के बारे में जानें
-कंप्यूटर, इंफॉर्मेशन सिस्टम या नेटवर्क में अनधिकृत रूप से घुसपैठ
-डेटा के साथ छेड़छाड।
-किसी सिस्टम से निजी या गोपनीय डेटा या सूचनाओं की चोरी।
-किसी दूसरे शख्स की पहचान से जुड़े डेटा, गुप्त सूचनाओं का इस्तेमाल।
-दूसरों के क्रेडिट कार्ड नंबर, पासपोर्ट नंबर, आधार नंबर, डिजिटल आईडी कार्ड, ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन पासवर्ड, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर आदि का इस्तेमाल।
-सोशल नेटवर्किंग साइट्स का दुरुपयोग।
-सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक, व्हाट्सअप, मैसेंजर, ई-मेल, चैट के जरिए बच्चों या महिलाओं को तंग करना।
धनबाद में साइबर थाना की स्थापना होने के बाद साइबर क्राइम के अनुसंधान में तेजी आई है। साइबर अपराध से संबंधित मामले जिले के किसी भी थाने में दर्ज हों लेकिन अनुसंधान धनबाद साइबर थाना ही करेगा।
-उपेंद्र रॉय, साइबर थाना प्रभारी, धनबाद