Move to Jagran APP

सहेजी जाएंगी इंडियन व्हाइट आइ पक्षी समेत अन्य विलुप्त होती प्रजातियां, जीव-पौधों के संरक्षण को बना जैव विविधता कमेटी Dhanbad News

लॉकडाउन में स्थितियां बदली हैं। जो पशु-पक्षी 30-40 साल पहले दिखते थे। वो आज दिख रहे हैं। इंडियन व्हाइट आइ पक्षी और सफेद बाज इसका उदाहरण है। - प्रेमचंद्र

By Sagar SinghEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 11:15 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 11:18 AM (IST)
सहेजी जाएंगी इंडियन व्हाइट आइ पक्षी समेत अन्य विलुप्त होती प्रजातियां, जीव-पौधों के संरक्षण को बना जैव विविधता कमेटी Dhanbad News
सहेजी जाएंगी इंडियन व्हाइट आइ पक्षी समेत अन्य विलुप्त होती प्रजातियां, जीव-पौधों के संरक्षण को बना जैव विविधता कमेटी Dhanbad News

धनबाद, [आशीष सिंह]। इंसानी गतिविधियों के बढ़ने और पर्यावरण को पैदा हुए गंभीर खतरे ने कई प्रजातियों को विलुप्त कर दिया तो कई इसके कगार पर हैं। एक समय गौरैया, गिद्ध और कौवा दिखना आम बात थी। आज इनके भी दर्शन दुर्लभ हो रहे हैं। मोर और साइबेरियन परिंदों को भी बचाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। इन सब के बीच लॉकडाउन ने उम्मीद की किरण जरूर जगाई है। लगभग 10 वर्ष बाद धनबाद में इंडियन व्हाइट आइ पक्षी देखने को मिला। सफेद बाज भी लोगों ने देखा, जो अमूमन नहीं दिखता है। ये संकेत दे रहे हैं कि पर्यावरण की सुरक्षा करोगे तभी जैव विविधता बचेगी।

loksabha election banner

ऐसे में धनबाद ने बड़ी पहल की है। यह देश का पहला ऐसा जिला है, जिसने इन्हेंं सहेजने का बीड़ा उठाया है। विलुप्त हो रहे जीव-जंतु और पौधों के संरक्षण के लिए जैव विविधता कमेटी का गठन किया गया है। सात सदस्यीय यह कमेटी पशु पक्षी, जीव जंतु और पेड़ पौधों के बारे में जानकारी एकत्रित करेगी। इसकी रिपोर्ट वन विभाग और पशुपालन पदाधिकारी से अप्रूवल होने के बाद राज्य सरकार को भेजी जाएगी। राज्य सरकार यह रिपोर्ट केंद्र को भेजेगी। इसके बाद इन पशु-पक्षियों और पौधों के संरक्षण पर योजना बनाकर काम होगा।

कमेटी में शामिल सदस्य : जैव विविधता मैनेजमेंट कमेटी में सात सदस्य हैं। प्रेमचंद्र अध्यक्ष बनाए गए हैं। अन्य सदस्यों में संतोष श्रीवास्तव, पार्षद जय कुमार, पार्षद निसार आलम, मधुमिता किस्कू, डिंपल कुमारी और तरुण गोस्वामी शामिल हैं। कमेटी ने जमीनी स्तर पर काम भी करना शुरू कर दिया है। डाटा एकत्रित किया जा रहा है। यह देखा जा रहा है कि यहां के पर्यावरण में पहले किस-किस प्रजाति के जीव-जंतु थे, किस वजह से लुप्त हो गए, अभी क्या स्थिति है और कौन-कौन सी नई प्रजाति विकसित हुई है। यदि इस दौरान पौधों की नई प्रजाति मिलती है या फिर खास किस्म के जीव-जंतु मिलते हैं तो इसकी भी अलग से रिपोर्ट बनेगी।

इन्हें सहेजा जाएगा : तोता, रंग-बिरंगी गोरैया, गिद्ध, तीतर, सफेद बाज, सफेद उल्लू, साइबेरियन क्रेन, कौवा,  कठफोड़वा, मोर, ब्राह्मणी मैना, लाल मुनिया, ऑरिओल अन्य।

जीव-जंतुओं का बेसिक डाटा एकत्रित कर रहे हैं। लॉकडाउन में स्थितियां बदली हैं। जो पशु-पक्षी 30-40 साल पहले दिखते थे। वो आज दिख रहे हैं। इंडियन व्हाइट आइ पक्षी और सफेद बाज इसका उदाहरण है। ऐसे पक्षी भी दिख रहे हैं जो अमूमन शहरी क्षेत्र में नहीं दिखते हैं। जैव विविधता मैनेजमेंट कमेटी को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी सजग है। - प्रेमचंद्र, अध्यक्ष जैव विविधता मैनेजमेंट कमेटी

धनबाद देश का पहला जिला है जहां जैव विविधता के संरक्षण को कमेटी बनी है। विलुप्त होते प्रजातियों को सहजने का हरसंभव उपाय किए जाएंगे। -चंद्रशेखर अग्रवाल, मेयर धनबाद।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.