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ई-गवर्नेंस घोटाले में तत्कालीन नगर आयुक्त को बचाने की कोशिश, उप नगर आयुक्त व दो कर्मियों पर मुकदमा Dhanbad News

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 26 मई 2020 को धनबाद नगर निगम में ई-गवर्नेंस घाटाले में पूर्व नगर आयुक्त समेत अन्य पदाधिकारियों और कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 07:02 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 07:02 AM (IST)
ई-गवर्नेंस घोटाले में तत्कालीन नगर आयुक्त को बचाने की कोशिश, उप नगर आयुक्त व दो कर्मियों पर मुकदमा Dhanbad News
ई-गवर्नेंस घोटाले में तत्कालीन नगर आयुक्त को बचाने की कोशिश, उप नगर आयुक्त व दो कर्मियों पर मुकदमा Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश के बाद भी धनबाद नगर निगम के अधिकारी अपने पूर्व नगर आयुक्त मनोज कुमार को कंप्यूटर घोटाले में बचाने में जुट गए हैं। घोटाले को लेकर धनबाद थाना में जो प्राथमिकी दर्ज कराई गई है उसमें पूर्व नगर आयुक्त का नाम नहीं है। जबकि मुख्यमंत्री के आदेश पर ही प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। वर्ष 2016 में नगर निगम में ई-गवर्नेंस के तहत कंप्यूटर एवं अन्य उपकरणों की खरीद में घोटाले को लेकर सोमवार को तत्कालीन उप नगर आयुक्त अनिल कुमार यादव, सहायक सह भंडारपाल हरीशचंद्र पांडेय और सहायक सह लेखापाल अनिल कुमार पर प्राथमिकी हुई। उप नगर प्रशासक राजेश कुमार सिंह ने धनबाद थाना में केस कराया। इस प्राथमिकी में पूर्व नगर आयुक्त के नाम को गोल कर दिया गया है। 

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर दर्ज हुई प्राथमिकी 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 26 मई, 2020 को धनबाद नगर निगम में कंप्यूटर घाटाले में पूर्व नगर आयुक्त समेत अन्य पदाधिकारियों और कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बाद उप नगर प्रशासक ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। आरोपितों पर सुनियोजित साजिश के तहत धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है। अफसर व कर्मचारियों पर अलग-अलग प्राथमिकी हुई है। इस मामले में मुख्यमंत्री ने भी संज्ञान लिया था और दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। कनीय पर्यवेक्षक सह भंडारपाल हरीशचंद्र एवं अनिल को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। 

यह भी पढ़ें- E-governance material purchase scam: मुख्यमंत्री ने धनबाद नगर निगम के पूर्व आयुक्त पर FIR का दिया आदेश, दो उप नगर आयुक्त की लपेटे में

काम से पहले ही पौने तीन करोड़ का भुगतान

धनबाद में ई-गवर्नेंस प्रोजेक्ट के लिए मेसर्स वायम टेक्नोलॉजी के साथ मार्च 2016 में करार हुआ था। वायम को विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर मॉड्यूल तैयार करने, आवश्यक हार्डवेयर उपकरण उपलब्ध कराने व डाटा एंट्री आदि काम करने थे। वायम को निश्चित समय तक रखरखाव भी करना था। 4.94 करोड़ रुपये के उपकरण खरीदे गए। इनमें सर्वर रूम के उपकरण, प्रिंटर, कंप्यूटर आदि थे। इसी बीच अधिकारियों पर आरोप लगा कि फर्जी बिल के आधार पर कंपनी को 2.65 करोड़ का भुगतान कर दिया गया। कंपनी ने जिन सामग्रियों की आपूर्ति नहीं की, उसका भी भुगतान निगम ने कर दिया था। इस घोटाले में पिछले साल नगर निगम की ओर से 24 अप्रैल को ई-गवर्नेंस में अरबन रिफॉर्म स्पेशलिस्ट मनीष कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

सर्वर रूम में फाइलों का ढेर

जिस घोटाले के लिए तत्कालीन उप नगर आयुक्त और कर्मचारियों पर गाज गिरी है, करोड़ों के वे उपकरण धूल फांक रहे हैं। सर्वर रूम फाइलों का सेव रूम बन गया है। प्रिंटर मशीनें खराब पड़ी हैं। कंप्यूटरों की हालत खस्ता है। सबसे बुरी स्थिति सर्वर रूम की है। यहां हार्डवेयर मॉडयूल नेटवर्क स्विच की जगह फाइलों का ढेर है। कुर्सी-टेबल लगाकर अन्य काम किया जा रहा है। प्रथम तल पर दो प्रिंटर मशीनें जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ी हंै। प्लास्टिक से मशीन ढकी है, इस पर धूल की परत जमी है।


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