पटरी नहीं, टाइम-टेबल पर सरपट दौड़ रही देश की पहली डबल डेकर ट्रेन
धनबाद से हावड़ा के बीच दौड़ने वाली देश की पहली डबलडेकर पटरी पर भले ही न हो, पर रेलवे की टाइम-टेबल में सरपट दौड़ रही है।
जागरण संवाददाता, धनबाद : धनबाद से हावड़ा के बीच दौड़ने वाली देश की पहली डबलडेकर पटरी पर भले ही न हो, पर रेलवे के टाइम टेबल में सरपट दौड़ रही है। तकरीबन पांच सालों से बंद डबलडेकर जहां पिछली बार के टाइम टेबल में शामिल हुई थी, वहीं इस बार भी संशोधन के साथ नये टाइम टेबल में इस ट्रेन पर पहले नंबर पर जगह मिली है। रेलवे ने अस्थायी तौर पर रद इस ट्रेन को सप्ताह में पांच दिन चलाने की सूचना टाइम टेबल में जारी की है। पिछली बार केवल रविवार छोड़कर अन्य छह दिन परिचालन निर्धारित था। इस बार सोमवार व शुक्रवार का छोड़ अन्य पांच दिन डबलडेबल चलाने की घोषणा हुई है। हालांकि ट्रेन चलेगी या नहीं, इस बारे में कुछ भी बताने से रेल अधिकारी इन्कार कर रहे हैं। दूसरी ओर, पारसनाथ से हावड़ा के बीच परिचालन की योजना को भी टाइम टेबल में मंजूरी नहीं मिली है।
ट्रायल के लिए पूर्व रेलवे नहीं दे रही कोच: धनबाद रेल मंडल ने डबलडेकर के पारसनाथ तक ट्रायल के लिए सभी पांच कोच उपलब्ध कराने संबंधी आग्रह पूर्व रेलवे को भेजा है। पर वहां से कोच उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। यहां तक कि पूर्व मध्य रेल मुख्यालय स्तर पर पत्राचार के बाद भी पूर्व रेलवे ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। ऐसे में अब इस ट्रेन के पारसनाथ तक विस्तार की संभावना भी कम हो गई है।
2017-18 का टाइम टेबल
12386 धनबाद-हावड़ा डबलडेकर
रविवार छोड़कर
धनबाद - शाम 6.30 बजे
हावड़ा - रात 10.40 बजे
12385 हावड़ा-धनबाद डबलडेकर
रविवार छोड़कर
हावड़ा - सुबह 8.35
धनबाद - दोपहर 12.50
2018-19 का टाइम टेबल
12386 धनबाद-हावड़ा डबलडेकर
सोमवार व शुक्रवार छोड़कर
धनबाद - शाम 6.30 बजे
हावड़ा - रात 10.40 बजे
12385 हावड़ा-धनबाद डबलडेकर
सोमवार व शुक्रवार छोड़कर
हावड़ा - सुबह 8.35
धनबाद - दोपहर 12.50
पूर्व रेलवे के अड़ंगा के कारण ही नहीं चली धनबाद-जयनगर ट्रेन : डबलडेकर ही नहीं धनबाद से जयनगर के बीच सीधी ट्रेन दौड़ाने की हसरत पर भी पूर्व रेलवे ने ही पानी फेरा। धनबाद से हाजीपुर तक बने दबाव के बाद पूर्व मध्य रेल ने त्तर बिहार के लिए सीधी ट्रेन की सहमति दे दी थी। नये टाइम टेबल में भी इसके शामिल होने की बात कही जा रही थी। यहां तक कि स्थानीय सांसद पीएन सिंह ने मामले को संसद में भी उठाया था। पर पूर्व रेलवे ने पाथ उपलब्ध होने में तकनीकी परेशानी का हवाला देकर अड़ंगा लगा दिया।