Coal capital की कोख से निकले डायमंड्स ने बनाई अमिट पहचान, प्रतिभा से सभी हुए कायल Dhanbad News
धनबाद के लाल डॉ. बोधिसत्व हाजरा को इस बार का सीएसआइआर युवा वैज्ञानिक पुरुस्कार मिलने से नगरवासी प्रफुल्लित हैं।
धनबाद [अतुल सिंह]। देश की Coal capital धनबाद की प्रसिद्धि केवल कोयला नगरी तक ही सीमित नहीं रही है। बल्कि आज शिक्षा के क्षेत्र में भी शहर ने अमिट पहचान कायम कर ली है। कोयले की खान से निकल रहे हीरे अपनी प्रतिभा से सभी को कायल कर रहे हैं। शहर में ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में शहर को गौरवांवित होने का मौका दिया है। इस बार बात अतीत की नहीं बल्कि इसी सप्ताह की है, जब शहर ने कई गौरव के क्षण का अनुभव किया।
इन्होंने जीता युवा वैज्ञानिक पुरुस्कार
शहर के लाल डॉ. बोधिसत्व हाजरा को इस बार का सीएसआइआर युवा वैज्ञानिक पुरुस्कार मिलने से नगरवासी प्रफुल्लित हैं। इससे शहर का नाम पूरे देश में रोशन हुआ है। उन्हें यह अवार्ड पृथ्वी, वायुमंडल, महासागर और ग्रह विज्ञान के क्षेत्र में मिला है। वर्तमान में डॉ. हाजरा हाइड्रोकार्बन भू-विज्ञान के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। आइआइटी धनबाद से इन्होंने पीएचडी किया है। इसी कड़ी में टीएच सईद का नाम हैं जो पेशे से प्रोफेसर हैं। इन्हें नेशनल जीओ साइंस अवार्ड 2018 से नवाजा गया। यह अवार्ड रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें दिया गया है। दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में संसदीय कार्यमंत्री सह कोयला व खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अवार्ड देकर सम्मानित किया।
शहर की लड़किया भी नहीं किसी से कम : वहीं लड़कों से कदम से कदम मिला कर चलने वालीं लड़कियां आज लड़कों से किसी मामलें में पीछे नहीं हैं। फाइव गर्ल्स बटालियन की कैडेट निधि को राष्ट्रीय स्तर पर थल सेना शिविर में ओवरऑल बेहतर प्रदर्शन करने पर महानिदेशक की प्रशंसा ट्राफी से सम्मानित किया गया। निधि धनबाद पब्लिक स्कूल की नौवीं की छात्रा है। इनका चयन एनसीसी के 18 हजार कैडेट में हुआ था। इसके अलावा शहर की चेस चैंपियन दिल्ली पब्लिक स्कूल की नौवीं की छात्रा ने झारखंड राज्य अंडर-19 चेस चैंपियनशिप में उप विजेता बनने का गौरव हासिल किया।
आइएसएम गढ़ रहा नित नए आयाम : आइआइटी-आइएसएम, धनबाद अपनी तकनीक से नित नए आयाम गढ़ रहा है। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा लगाए जा रहे एंबिएंस एयर मॉनीटरिंग जो प्रदूषित शहरों की वायू प्रदूषण की जांच करने का उपकरण है, इसके लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस प्रतिष्ठित संस्थान के पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग से मदद मांगी है। छात्र इसका अध्यन करेंगे। साथ ही उपकरण को लगाने व रीडिंग में सरकार की पूरी मदद करेंगे। इसकी रीडिंग की गुणवत्ता के आधार पर ही वायु प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने की दिशा में कार्ययोजना बनाई जाएगी।
आइएसएम छात्र बनेंगे पेशेवर व कुशल : शिक्षा के क्षेत्र में शहर के लिए अच्छी खबर है। आइएसएम के छात्रों को पेशेवर और कुशल बनाने के लिए करीब आठ करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से 10 हजार स्क्वायर फीट में टिंकरिंग लैब का निर्माण किया जा रहा है। खर्च का वहन आइएसएम के ही 1967 बैच के पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के छात्र रहे नरेश वशिष्ठ कर रहे हैं। इसके लिए संस्थान व उनके बीच एमओयू की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।