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Dhanbad Durga Puja 2022: आजादी से पहले दुर्गा पूजा का बजट जानकर चौंक जाएंगे आप... राजपर‍िवार होते थें शाम‍िल

आज लाखों के पूजा पंडाल लोगों को आकर्षित करते हैं। मनभावन मूर्ति जगमग लाइट और भव्यता लिए पूजा पंडाल। पूजा कमेटियों के अनुसार 15 से 20 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। एक वो दौर भी था जब मात्र 200 रुपये में पूरे पंडाल पर खर्च किए जाते थे।

By Jagran NewsEdited By: Atul SinghPublished: Mon, 03 Oct 2022 05:27 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 05:27 PM (IST)
Dhanbad Durga Puja 2022: आजादी से पहले दुर्गा पूजा का बजट जानकर चौंक जाएंगे आप... राजपर‍िवार होते थें शाम‍िल
एक वो दौर भी था जब मात्र 200 रुपये में पूरे पंडाल पर खर्च किए जाते थे।

राकेश कुमार महतो, धनबाद: आज लाखों के पूजा पंडाल लोगों को आकर्षित करते हैं। मनभावन मूर्ति, जगमग लाइट और भव्यता लिए पूजा पंडाल। पूजा कमेटियों के अनुसार 15 से 20 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। एक वो दौर भी था जब मात्र 200 रुपये में पूरे पंडाल पर खर्च किए जाते थे। उस समय 200 रुपये भी बहुत अधिक रकम हुआ करती थी। शहर के कई ऐसी पूजा कमेटियां हैं जो 100 वर्ष पहले से दुर्गा पूजा का आयोजन करती आ रही हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी इनकी भव्यता बढ़ी है।

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इनमें से बहुतेरों ने देश की आजादी से पहले तो कुछ ने इसके बाद पूजा शुरू की। टेंपल रोड मारवाड़ी पट्टी में 1905 से दुर्गोत्सव की परंपरा चली आ रही है। उस समय झरिया राजपरिवार यहां आकर पूजा में शामिल होते थे। 1910 में पहले से अधिक लोगों के सहयोग से दुर्गा पूजा कमेटी का गठन कर 200 रुपये में पूजा पंडाल का निर्माण किया गया। तब से लेकर आज तक बंगाली परंपरा से बांकुड़ा के पुजारी फाल्गुनी घोषाल के सानिध्य में पूजा संपन्न हो रही है। घोषाल परिवार तीन पीढ़ी से मां दुर्गा की पूजा करवा रहे हैं।

ढाक-ढोल भी बंगाल के मेदिनीपुर से लाए जा रहे हैं। इस बार माता के सोलह श्रृंगार में इस्तेमाल होने वाले सामग्री से पंडाल बनाए जा रहे हैं। मारवाड़ी पट्टी दुर्गा पूजा समिति के उपाध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि 1905 से झरिया व मारवाड़ी पट्टी में पूजा आयोजित की जा रही है। झरिया के राजा यहां आकर पूजा में परिवार के साथ शामिल होते थे। वर्ष 2005 से कमेटी के सदस्यों के सहयोग से आकर्षक तरीके से भव्य पंडाल खुद से निर्माण किया जा रहा है।

विभिन्न इलाकों में कब और कौन की थी दुर्गोत्सव की शुरुआत

  • टेंपल रोड मारवाड़ी पट्टी : 1905, स्व. शंभू राम अग्रवाल, स्व. क्षितिज बाबू, स्व. मनोहर लाल केजरीवाल, स्व. रामगोपाल नारनोली, स्व. नाडू दा, स्व. संतोष नारनोली, स्व. निरंजन केजरीवाल एवं स्व. बाल कृष्णा सांवरिया।
  • रांगाटांड़ श्रमिक चौक : 1956, रेलवे के कर्मचारी एवं पदाधिकारियों ने बंगाली परंपरा से पूजा की शुरुआत की थी।
  • तेतुलतल्ला : 1952, स्व. हरेंद्र नाथ मुखर्जी, स्व. शंभू नाथ मुखर्जी, स्व. निताई बनर्जी, स्व. पानो दा एवं शांति बरारी।
  • मनईटांड़ कला संगम : 1957, स्व. जगदीश प्रसाद कुशवाहा, स्व. हरिहर प्रसाद गुप्ता, स्व. मानिक चंद्र साव, स्व. भगवान दास साव, स्व. छेदी हलवाई।
  • बैंक मोड़ नगर निगम : 1949, स्व. दरोगा सिंह, स्व. भगवान दास साव, स्व. डा. रवि बनर्जी, स्व. तापस मुखर्जी, अखिलेश श्रीवास्तव।
  • न्यू स्टेशन दुर्गा पूजा समिति : 1966, स्व. जितेंद्र ठाकुर, स्व. एसके सरकार, स्व. जीएम मुखर्जी, स्व. एसएस राय।
  • झारखंड मैदान : 2000, स्व. शिव नारायण सिंह, जेके सिन्हा, मानिक सरकार, बीके सिंह, अशोक सिंह, राणा चक्रवर्ती।

वर्जन:

पूजा की शुरुआत 1905 में की गई थी। झरिया के राजा परिवार के सदस्य यहां आकर पूजा में शामिल होते थे। तीन पीढ़ी से एक ही परिवार के पुजारी पूजा कर रहे हैं और एक ही परिवार के ढाक ढोल वाले ढाक बजा रहे हैं।

-संजय सांवरिया, अध्यक्ष मारवाड़ी पट्टी दुर्गा पूजा समिति

-2005 से आकर्षक तरीके से भव्य पंडाल निर्माण किया जा रहा है। समिति के सदस्य महीने भर पूर्व खुद से पंडाल निर्माण कार्य में लग जाते हैं। प्रत्येक वर्ष अलग-अलग आकर्षक तरीके का थीम तैयार किया जाता है।

-प्रदीप अग्रवाल, उपाध्यक्ष मारवाड़ी पट्टी दुर्गा पूजा समिति


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