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Shaharnama Dhanbad: पलट गया मैनेजर का रसूख, पढ़ें कोयले का धंधा और राजनीतिक घालमेल की कहानी

सीआइडी ने डीजीपी को रिपोर्ट दी कि मैनेजर राय समेत कई लोग निरसा में कोयला चोरी करा रहे हैैं जो कोक भट्ठों में जा रहा है। जिलाधिकारी संदीप कुमार सिंह ने मैनेजर राय की कंपनी में छापामारी कराई। छापामारी में न एक भी पुलिस अफसर को लगाया गया न जवान।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 11:49 AM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 09:59 AM (IST)
Shaharnama Dhanbad:  पलट गया मैनेजर का रसूख, पढ़ें कोयले का धंधा और राजनीतिक घालमेल की कहानी
कोयला धंधेबाज मैनेजर राय ( फाइल फोटो)।

अश्विनी रघुवंशी, धनबाद। मैनेजर राय। विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा का झंडा थाम लिए थे। गोविंदपुर औद्योगिक क्षेत्र में उनका कोयला से कोक बनाने का कारखाना है। बेवजह उनसे उलझ गए जिन्होंने कोक इंडस्ट्रीज की बादशाहत में जिंदगी गुजार दी। जवानी से बाल पकने तक कितने लोगों की तकदीर पलटने वाले की वक्र दृष्टि मैनेजर राय पर पड़ी तो शनि ने प्रकोप दिखा दिया। सीआइडी ने डीजीपी को रिपोर्ट दी कि मैनेजर राय समेत कई लोग निरसा में कोयला चोरी करा रहे हैैं जो कोक भट्ठों में जा रहा है। जिलाधिकारी संदीप कुमार सिंह ने मैनेजर राय की कंपनी में छापामारी कराई। छापामारी में न एक भी पुलिस अफसर को लगाया गया, न जवान। आठ हजार टन कोयला चोरी का पाया गया। प्राथमिकी दर्ज हो गई। अगले दिन पुलिस वालों ने भी मैनेजर राय के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की। यही तो जीवन का पलटन है।

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मैं अस्पताल हूं, मेरा इलाज करे

मैैं रेफरल अस्पताल हूं। झारखंड-बंगाल सीमा पर निरसा के पांड्रा में पांच करोड़ की लागत से मुझे बनाया गया है। अत्याधुनिक भवन है मेरा। लाखों की आबादी मेरे आसपास रहती है। जहां तक याद आता है, 2008 में शिलान्यास हुआ था। 2012 में 100 बेड के लिए भवन बन गया था। नौ साल गुजर चुके हैैं। पूर्व विधायक अरूप चटर्जी से लेकर वर्तमान एमएलए अपर्णा सेनगुप्ता मेरे लिए बोल रहे हैैं। सब कुछ पीएमओ के भी संज्ञान में है। सर्वाधिक दुख तब हुआ जब कोरोना से जूझते मरीजों का सहारा बनने का मौका नहीं मिला। न डाक्टर हैैं, न उपकरण। मेरे नाम रेफरल अस्पताल में ही शायद दोष है। मरीज की तरह मुझे दुर्भाग्य की ओर रेफर कर दिया गया है। सुना है कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ताबड़तोड़ निर्णय लेते हैैं। मेरा विनम्र निवेदन है कि तुरंत मुझ अस्पताल का इलाज कर दीजिए।

दम अंदर, कोतवाल कलंदर

पुलिस कप्तान संजीव कुमार अचानक वीआइपी थाना के मुआयना में चल गए। भागे-भागे कोतवाल आए। साहब से तनिक दूरी बना कर खड़े थे। पुलिस कप्तान को लगा कि कुछ गड़बड़ है। बात आयी गई हो गई। किसी ने पुलिस कप्तान के कान में सच फूंक दिया है, 'दम अंदर तो कोतवाल कलंदर।Ó दरअसल, कोतवाल अब किशोर नहीं है। ऊर्जा का स्तर बनाए रखने के लिए सोम रस लेते रहते हैैं। कभी मेडिकल अस्पताल भागना पड़ता है तो कभी रसूखदार राजनीतिक घरानों के भीतर की हलचल को सूंघते रहना होता है। कोयला खदानों के लेसी बीसीसीएल के मुख्यालय से भी समन्वय बनाना है। आखिर क्या-क्या करे। किसी से पूछ लीजिए, यकीनन यही कहेगा कि साहब वास्तव में सज्जन इंसान है। नौ-छह से कोई मतलब नहीं है। नौ-छह जानते तो थाना से हटाया गया जवान जमीन का खेला नहीं कर रहा होता। रीडर बाबू भी यह सब नहीं जानते।

मिला मोहन भागवत का सानिध्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डाक्टर मोहन मधुकर राव भागवत अखिल भारतीय प्रवास में धनबाद आए तो राजनीतिज्ञों को मिलने का कार्यक्रम तय नहीं हुआ। बाघमारा के भाजपा विधायक ढुलू महतो खुद को संघ का बाल स्वयंसेवक बताते रहे हैैं। विधायक रहते उन्होंने चिटाही में भव्य राम मंदिर का निर्माण भी कराया है। हर स्वयंसेवक की इच्छा होती है कि सर संघचालक का सानिध्य मिले। ढुलू महतो ने भी ठान लिया कि डाक्टर साहब का सानिध्य पाकर रहेंगे। स्वयंसेवक ठान ले तो पर्वत से पानी निकाल ले। सर संघचालक के विदा होने का वक्त आया तो खुद को बाल स्वयंसेवक बताने वाले ढुलू राजकमल विद्या मंदिर पहुंच गए। डाक्टर साहब से छोटी बातचीत का मौका भी मिल गया। उन्हें विदा करने के लिए धनबाद स्टेशन तक गए। फोटो फ्रेम में आए भी। फोटो फ्रेम में आने का पुराना अनुभव काम आया। सचमुच खुश हैैं।


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