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ममता के हुए यशवंत सिन्हा, Jharkhand BJP के पूर्व अध्यक्ष ने बताई असली वजह

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा पश्चिम बंगाल की राजनीति में कभी सक्रिय नहीं रहे हैं। वह बिहार और झारखंड की राजनीति में भाजपा के एक स्तंभ रहे हैं। कोलकाता में जाकर टीएमसी में शामिल हो गए हैं। इसके पीछे की राजनीति धनबाद के भाजपा सांसद पीएन सिंह ने बताई है।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 15 Mar 2021 10:38 AM (IST)Updated: Mon, 15 Mar 2021 03:05 PM (IST)
ममता के हुए यशवंत सिन्हा, Jharkhand BJP के पूर्व अध्यक्ष ने बताई असली वजह
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और धनबाद के भाजपा सांसद पीएन सिंह ( फाइल फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। कभी भाजपा के अग्रिम पंक्ति के नेताओं में शुमार यशवंत सिन्हा पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हो गए हैं। तीन दिन पहले वह कोलकात में जाकर ममता बनर्जी की पार्टी TMC में शामिल हो गए। उनकी कामना है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा किसी भी कीमत पर नहीं जीते। पश्चिम बंगाल में फिर से टीएमसी की सरकार बने। वह एक बार फिर ममता को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। सिन्हा के इस नए कदम को लेकर झारखंड के साथ ही देश की  राजनीति में तरह-तरह की चर्चा हो रही है। उनका नरेंद्र मोदी और भाजपा विरोध तो जगजाहिर है। लेकिन टीएमसी में क्यों शामिल हो गए? बगैर टीएमसी में शामिल हुए भी भाजपा के विरोध प्रचार कर सकते थे। ऐसा उन्होंने पूर्व में किया भी है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल और बिहार विधानसभा चुनाव में राजद विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव के लिए कर चुके हैं। हालांकि तेजस्वी बिहार के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। इन चर्चाओं के बीच झारखंड प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष धनबाद के सांसद पीएन सिंह ने सिन्हा के टीएमसी में जाने की खास वजह बताई है। 

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पश्चिम बंगाल की राजनीति में नहीं पड़ेगा कोई असर

सांसद पीएन सिंह ने कहा है कि यशवंत सिन्हा के तृणमूल कांग्रेस में चले जाने से ना तो पश्चिम बंगाल की राजनीति में कोई असर पड़ेगा और ना ही झारखंड की राजनीति पर इसका कोई असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह समझ से परे है कि एक भारतीय जनता पार्टी का एक राष्ट्रीय नेता क्यों एक क्षेत्रीय दल में चला गया। बिहार और झारखंड से उनका गहरा संबंध रहा। बिहार विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता रह चुके हैं। झारखंड के हजारीबाग से कई बार सांसद रहे। यहां अगर कुछ करते तो बात समझ में आती। बंगाल ना तो कभी उनकी राजनीतिक सक्रियता वाली भूमि रही न ही वहां से उनका कोई संबंध है। फिर बंगाल की राजनीति में प्रवेश करना आश्चर्यजनक है। हालांकि इस देश की जनता जान गई है कि राजनीति में सिर्फ मोदी विरोध ही उनका काम रह गया है। बाकी उनकी बातों में कोई दम नहीं है। इसलिए वह कुछ भी कहें असर नहीं पड़ेगा।

लोकसभा और बिहार विधानसभा में भाजपा के खिलाफ चलाया था अभियान

लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव बिहार में भी उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ अभियान चलाया लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया। बंगाल में भी लोग उन्हें नहीं सुनेंगे। यह संभव है कि उनका कोई समझौता राज्यसभा में जाने की हुई हो तृणमूल कांग्रेस के साथ और इसलिए वह यह सोचकर बंगाल गए हो कि राज्यसभा में भेजने लायक सीट तो तृणमूल को आ ही जाएगी। और दूसरा कोई कारण समझ में नहीं आता। क्योंकि दिल्ली में सिन्हा ने केजरीवाल और बिहार में तेजस्वी के लिए प्रचार किया। दोनों ने राज्यसभा में सिन्हा को नहीं भेजा।

सिन्हा ने से पूछकर उनके बेटे को दिया गया टिकट

पीएन सिंह झारखंड भाजपा के कोर कमेटी के सदस्य रह चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हजारीबाग से यशवंत सिन्हा के स्थान पर उनके बेटे जयंत सिन्हा को टिकट दिया। चुनाव में जयंत जीते और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर मंत्री बने। सिन्हा के स्थान पर उनके बेटे को टिकट मिलने की कहानी सांसद सिंह ने बताई है। उन्होंने कहा-जहां तक सिन्हा को टिकट नहीं मिलने की बात है तो उनसे पूछ कर ही उनके पुत्र को टिकट दिया गया था। सिन्हा ने ही बेटे के नाम को आगे बढ़ाया था। जयंत सिन्हा बाद में केंद्र सरकार में मंत्री भी बने। इसके बावजूद भाजपा से इतना विरोध समझ से परे है।

सिन्हा की भाजपा से नाराजगी की वजह

यशवंत सिन्हा आखिर भाजपा से नाराज क्यों हुए? यह तो वही बता सकते हैं। लेकिन राजनीतिक हलकों में चर्चा के अनुसार सिन्हा हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से अपने स्थान पर बेटे जयंत सिन्हा को लोकसभा भिजवाने के बाद खुद झारखंड में भाजपा का नेतृत्व करना चाहते थे। उनकी नजर झारखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थी। लेकिन नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं हुआ। 2019 के चुनाव में झारखंड में भाजपा की जीत हुई तो रघुवर दास मुख्यमंत्री बने। इससे उनकी नाराजगी बढ़ गई। इसके बाद वह राज्यसभा का टिकट चाहते थे। लेकिन भाजपा ने राज्यसभा का भी टिकट नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने मोदी विरोध का झंड़ा उठा लिया।


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