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Weekly News Roundup Dhanbad: सिर्फ बौद्धिक में ही कार्यकर्ता सम्मान की बात, पढ़ें धनबाद भाजपा का हाल

Weekly News Roundup Dhanbad प्रशासनिक अधिकारियों से चुनाव में निष्पक्षता की उम्मीद होती है। बावजूद वे इससे इतर काम करने लगें तो किरकिरी होना स्वाभाविक है। यहां कुछ ऐसा ही हो रहा।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 06:39 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 06:39 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: सिर्फ बौद्धिक में ही कार्यकर्ता सम्मान की बात, पढ़ें धनबाद भाजपा का हाल
Weekly News Roundup Dhanbad: सिर्फ बौद्धिक में ही कार्यकर्ता सम्मान की बात, पढ़ें धनबाद भाजपा का हाल

धनबाद [ नीरज दुबे ]। Weekly News Roundup Dhanbad भाजपा महिला मोर्चा की धनबाद जिला मीडिया प्रभारी संयुक्ता मुखर्जी। उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के लिए सुबह 11:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक शव पीएमसीएच में ही पड़ा रहा। संगठन के हर कार्यक्रम में मौजूद रहनेवाली नेत्री के शव के साथ बॉबी पांडेय, रीता यादव व प्रभात रंजन को छोड़ कोई भाजपाई नहीं था। यह देख प्रभात की आंखें डबडबा गईं। उससे न रहा गया, सो बोल उठा, संयुक्ता कोई कोयला कारोबारी तो थी नहीं, न ही पूंजीपति। वह तो सामान्य कार्यकर्ता थी। इसलिए तो किसी नेता ने यहां आना मुनासिब नहीं समझा। उसका पोस्टमार्टम जल्दी हो जाए, इसके लिए एक फोन तक नहीं किया गया। प्रदेश में सबसे मजबूत पार्टी धनबाद में ही है। चार विधायक और सांसद यहां से हैं। कार्यकर्ताओं की बदौलत। बावजूद सामान्य कार्यकर्ता के लिए कोई आगे नहीं आया। संगठन मजबूत रखना है तो कार्यकर्ताओं को सम्मान देना होगा।

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साहब बनाएंगे मुखिया

प्रशासनिक अधिकारियों से चुनाव में निष्पक्षता की उम्मीद होती है। बावजूद वे इससे इतर काम करने लगें तो किरकिरी होना स्वाभाविक है। धनबाद में कुछ ऐसा ही हो गया। हाल ही में साहब कोयला नगरी में पदस्थापित हुए। इससे पहले भी दो बार यहां रह चुके हैं। जब पदभार ग्रहण किया तो अपने पुराने मित्रों को बुला लिया। प्रभार लेने के बाद पुटकी निवासी अपने खास मित्र की ओर इशारा कर सभी से बोले, इस बार महतोजी को मुखिया बनाना है। किसी भी तरह। महतोजी यह सुन खिल उठे। वहां बैठे अन्य लोग यह सुन भौचक रह गए। पर तीर  कमान से निकल चुका था। अधिकारी महोदय एक महिला विधायक की पैरवी पर यहां आए हैं। उनका क्षेत्र वर्चस्व की लड़ाई से अशांत रहता है। सो उनका सोचना है कि साहब से उनको क्षेत्र में अच्छी मदद मिलेगी। दूसरे इलाकों में वह जैसे चाहें काम करें।

सतीश की हत्या से अधिकारी को चपत

भाजपा नेता सतीश सिंह की हत्या हो गई। नेता से लेकर खाकी तक परेशान। शहर के एक पुलिस अधिकारी का कुछ अलग ही गम है। दुख इस बात का कि लंबी रकम डूब गई। उस रकम के लिए वह आए दिन सतीश से तगादा करते थे। उसे फोन किया करते  थे। दरअसल खैरा आउटसोर्सिंग का बवाल सुलझाने के लिए उनको मोटी रकम मिल गई थी। और नकदऊ दिलाने का भी भरोसा दिया था। अधिकारी महोदय आस लगाए थे कि कुछ नहीं तो 40 लाख तो और मिल ही जाएंगे। इसके लिए वे अक्सर सतीश को फोन करते थे। परेशान होकर उसने अधिकारी का फोन उठाना ही बंद कर दिया था। इससे खुन्नस खाए अधिकारी ने सतीश के एक जानकार से यह कहा था कि वह फोन न उठाकर ठीक नहीं कर रहा है। समझा देना। इसी बीच सतीश की हत्या हो गई।

माल बाबू खामोश हैं

भाजपा नेता सतीश सिंह की हत्या के बाद से माननीय के पीए बाबू कुछ ज्यादा ही शांत हो गए हैं। एक तो उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है, ऊपर से यह वज्रपात हो गया। वह काफी सहमे हुए भी हैं। दरअसल यही दोनों माननीय के दाएं-बाएं हुआ करते थे। आउटसोर्सिंग कंपनियों से लेकर पुलिस प्रशासन तक को मैनेज करने में दोनों साथ-साथ रहते थे। हर गुप्त बैठक और लेनदेन इनकी मार्फत होता था। लिहाजा कई लोग इन्हें माल बाबू भी कहते थे। सतीश तो रहे नहीं अब पीए बाबू अकेले हो गए। अब सतीश के बाद सारे राजदार वही हैं। लिहाजा बहुत सी निगाहें उन पर हैं। सो, कार्यक्रमों से परहेज कर रहे हैं। सतीश हत्याकांड को कोयला जगत की जगह जमीन कारोबार से जोडऩे की उनकी कोशिश के बाद से उस परिवार के भी निशाने पर हैं। सो माल बाबू खामोश हो गए हैं।


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