Weekly News Roundup Dhanbad: बाअदब, बामुलाहिजा, होशियार... ट्रेंड होकर आ रहे हैं साहब !
दो साल तक झमाडा में मैनेजिंग डायरेक्टर नहीं थे। अब दिलीप कुमार को यहां की कमान मिली है। नगर निगम के आयुक्त चंद्र मोहन कश्यप के पर कतरने का यह संकेत है।
धनबाद [ चरणजीत सिंह ]। दिन गुजर गये। जो यह कयास लगाए बैठे थे कि अब नये साहब के साथ ही काम करना है। वह सावधान हो जाएं। क्योंकि पुराने साहब ही आ रहे हैं। बात हो रही जिले के दंडाधिकारी सह उपायुक्त अमित कुमार की। नई सरकार के आते ही उन्हें फरवरी से मार्च तक पूरे एक महीने की ट्रेनिंग के जाने का फरमान आया था। लोगों ने समझा कि यह नई सरकार की फेरबदल का हिस्सा है। पूर्व में उपायुक्त सुनील वर्णवाल के साथ भी 2012 में कुछ ऐसा ही हुआ था। ट्रेनिंग से आकर दोबारा उन्हें यहां की कुर्सी नसीब नहीं हुई। अमित कुमार की ट्रेनिंग को भी उसी नजरिए से देखा जा रहा था। अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारी नये साहब की बाट जोहने लगे। ट्रांसफर से जुड़ा फर्जी लेटर भी धाराशायी हो गया। 16 को साहब ड्यूटी ज्वॉइन करेंगे। एंट्री शनिवार रात ही हो गई।
नगर आयुक्त के पर कतरे
दो साल तक झमाडा में मैनेजिंग डायरेक्टर नहीं थे। अब दिलीप कुमार को यहां की कमान मिली है। नगर निगम के आयुक्त चंद्र मोहन कश्यप के पर कतरने का यह संकेत है। कर्मचारियों ने झमाडा में खूब जश्न भी मनाया है। इस प्रभार में रहते हुए आयुक्त ने सिर्फ बंगले का उपयोग नहीं किया। पर मैन पावर की पूरी सुविधा से लेते रहे। उनके रवैये से कर्मचारी परेशान रहे। दबी जुबान से विरोध भी जताते रहे। शायद यही कारण है कि उन्होंने जश्न मना कर अपनी खुशी जाहिर की। कर्मचारियों ने साहब के तबादले और होली का जश्न साथ-साथ मनाया। झमाडा दफ्तर में चर्चा जोरों पर है कि कर्मचारियों ने साहब के जाने की खुशी में मटन पार्टी का आयोजन किया। अब देखना यह है कि नये साहब से कर्मचारी खुश रहते हैं या ताड़ से गिरे, खजूर में अटके वाली कहावत पूरी होती है।विकेट गिरना अभी बाकी है
बजट सत्र के बाद क्या होने वाला है। इसे लेकर अधिकारी सहमे से हैं। नई सरकार ने अभी बड़े पैमाने पर अफसरों के तबादले नहीं किये हैं। बजट सत्र को लेकर सरकार व्यस्त है। ऐसी चर्चा है हर किसी की जुबां पर। नगर निगम चुनाव होनेवाला है। अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक आचार संहिता लगने की उम्मीद है। डीसी, एसएसपी से लेकर कई डीएसपी लाइन में हैं। क्या ये चुनाव कराएंगे या फिर नई मंजिल की ओर रुख करेंगे, यही चर्चा चहुंओर है। यहां टिके रहने या फिर मलाईदार पोस्टिंग के लिए गॉड फादर की भी तलाश चल रही है। कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिनके बच्चे यहीं के स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। उन्हें ट्रांसफर के साथ परिवार की चिंता भी खाए जा रही है। दिली ख्वाहिश यहीं बने रहने या कहीं अच्छी जगह मिलने की है। तो चलिए बेस्ट ऑफ लक।साहब कर्ता-धर्ता, मेंबर दहशत में
जिले के एक बड़े साहब की टीम के पदाधिकारी इंसाफ नहीं मिलने से परेशान है। साहब के पास पूरी बागडोर है। मंदिर से चप्पल चुराने वाले तक। फिर भी डेढ़ माह से उनके पदाधिकारी ही व्यवस्था से नाराज हैं। नाराजगी जता भी नहीं पा रहे। कभी कभी तो खीज कर बोलने से भी नहीं झिझकते। वाकया कुछ यूं हुआ कि शहर के एक प्रमुख क्लब के पदाधिकारी के यहां चोर ने खुली चुनौती दे डाली। उनके घर से दो साल पहले टपाया लैपटॉप और मोबाइल बेचने के लिए उनसे ही चैट कर डाला। चैटिंग में दो साल का फ्लैश बैक बयां कर दिया। कहानी सुनकर दंग तो रहे ही दहशत में भी आ गए। साहब उस क्लब के कर्ता धर्ता हैं। चोर की कहानी से दहशतजदा क्लब पदाधिकारी ने साहब को आवेदन भी दिया। पर आम लोगों की तरह उन्हें भी अब तक न्याय नहीं मिला।