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30 सितंबर तक बढ़ी आइटीआर फाइल करने की तिथि, पांच दिन की देरी से भी किया रिटर्न फाइल तो पूरे महीने का चुकाना पड़ेगा शुल्क

आयकर विभाग ने आइटीआर फाइल करने की तिथि 30 सितंबर तक बढ़ा दी है। अगर निर्धारित तिथि तक आइटीआर फाइल नहीं किया तो ब्याज के साथ जुर्माना भरना पड़ सकता है। आइटीआर फाइल करने में देरी होने पर सेक्शन 234 ए के तहत ब्याज लगता है।

By Atul SinghEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 12:46 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 12:46 PM (IST)
30 सितंबर तक बढ़ी आइटीआर फाइल करने की तिथि, पांच दिन की देरी से भी किया रिटर्न फाइल तो पूरे महीने का चुकाना पड़ेगा शुल्क
आयकर विभाग ने आइटीआर फाइल करने की तिथि 30 सितंबर तक बढ़ा दी है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

जागरण संवाददाता, धनबाद: करदाताओं के लिए राहत के साथ चिंता बढ़ाने वाली भी खबर है। पहले राहत भरी खबर बताते हैं, आयकर विभाग ने आइटीआर फाइल करने की तिथि 30 सितंबर तक बढ़ा दी है। अगर निर्धारित तिथि तक आइटीआर फाइल नहीं किया तो ब्याज के साथ जुर्माना भरना पड़ सकता है। आइटीआर फाइल करने में देरी होने पर सेक्शन 234 ए के तहत ब्याज लगता है।

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मसलन आइटीआर फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई 2021 है और कोई व्यक्ति पांच अगस्त को रिटर्न फाइल करता है, तो टैक्स देय राशि पर एक फीसदी प्रति माह की दर से ब्याज लगाया जाएगा। यानी पांच दिन की देरी का शुल्‍क पूरे महीने का माना जाएगा। कोविड-19 महामारी के कारण केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 30 सितंबर तक बढ़ा दी है।

आइटीआर फाइल करने में राहत तो जरूर मिल गई है। इसमें देरी करने से रिटर्न भरने पर लगने वाले फाइन पर कोई राहत नहीं मिली है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 में तीन सेक्शन 234 ए, 234 बी और 234 सी के तहत टैक्स चुकाने में देरी होने पर आयकरदाताओं को ब्याज समय शुल्क देना पड़ता है।

सेल्फ एसेसमेंट से अधिक आय होने पर वसूला जाएगा ब्याज

आइटीओ हेड क्वार्टर आरके चौधरी के अनुसार ऐसे आयकरदाता जिनका सेल्फ असेसमेंट टैक्स एक लाख रुपये तक है और उसकी करदेयता एक लाख रुपये से अधिक है तो ब्याज वसूला जाएगा। अंतिम तिथि 30 सितंबर तक बढ़ा दी गई है, लेकिन यदि आपकी कर देयता एक लाख रुपये से अधिक है तो अगस्त और सितंबर के लिए एक फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा।

तारीख आगे बढ़ा दी जाती है और आइटीआर दाखिल करने में देरी करते हैं, तो ब्याज लगता रहेगा। इसी तरह धारा 234 बी के तहत अगर आयकरदाता ने एडवांस टैक्‍स का भुगतान नहीं किया है या कर देयता का 90 फीसदी से कम भुगतान किया है तो उसे एक फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा। धारा 208 के तहत यदि किसी व्यक्ति की वर्ष के लिए कर देयता 10 हजार रुपये या उससे अधिक है तो करदाता एडवांस टैक्‍स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।


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