संत व साधुओं को लेकर आम जनता के मन में कम होता जा रहा विश्वास Dhanbad News
लोक कल्याण के लिए आत्म-त्याग करने वालों में महर्षि दधीचि का नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है। आनंद मार्ग जागृति कार्मिक नगर एवं निकटवर्ती आनंद नगर में दधीचि दिवस मनाया गया। महामंत्र बाबा नाम केवलम कीर्तन और सामूहिक साधना का आयोजन हुआ।
धनबाद, जेएनएन : लोक कल्याण के लिए आत्म-त्याग करने वालों में महर्षि दधीचि का नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है। आनंद मार्ग जागृति कार्मिक नगर एवं निकटवर्ती आनंद नगर में दधीचि दिवस मनाया गया। महामंत्र बाबा नाम केवलम कीर्तन और सामूहिक साधना का आयोजन हुआ।
इसके बाद दधीचि दिवस की जानकारी दी गई। आनंद मार्ग के आचार्य ब्रजप्राणनंद अवधूत ने बताया कि पांच मार्च 1967 को कम्युनिस्टों ने आनंदमार्ग प्रचारक संघ के केंद्रीय कार्यालय आनंद नगर पर हमला किया था।
आनंदमार्ग प्रचारक संघ के संस्थापक श्रीश्री आनंदमूर्ति की हत्या कर आनंदमार्ग को खत्म कर देने का इरादा था। इन अमानवीय, धर्म विरोधी, संत्रासी और अनैतिक ताकतों ने निरीह निहत्थे धर्म पांच धर्म रक्षक आध्यात्मिक सैनिकों नृशंस हत्या कर दी थी।
उन्हीं दधीचिओं भागवत धर्म के लिए जीवन न्योछावर करने वाले आचार्य अभेदानंद अवधूत, आचार्य सच्चिदानंद अवधूत, भरत कुमार, प्रभाष कुमार, अवधेश एवं बलिदानियों की याद में यह कार्यक्रम किया जाता है। ब्रजप्राणनंद अवधूत ने बताया कि आज संत और साधुओं को लेकर आम जनता के मन में विश्वास की भावना कम होती जा रही है।
ऐसे में महर्षि दधिचि का जीवन एक आदर्श रूप है जो बताता है कि संत और ऋषि को कैसा होना चाहिए। वास्तव में संत की यही परिभाषा है कि वह अपने लिए नहीं बल्कि संसार के लिए जिए, संसार के कल्याण में अपने प्राणों का बलिदान दे जैसा महर्षि दधिचि ने किया।
इस दौरान साधकगण 12 घंटे का निर्जला उपवास रखकर पाप शक्ति के विरुद्ध विरोध प्रकट करते हैं। इस अवसर पर साधकों ने पुष्प अर्पित कर दधीचियों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर आनंदमार्गियों ने पाप शक्ति के विरुद्ध अनवरत संग्राम जारी रखने का संकल्प लिया।