अच्छी बारिश के लिए आदिवासी समुदाय के लोगों ने मनाया सेंदरा पर्व
अच्छी बारिश के लिए आदिवासी समुदाय के लोगों ने मनाया सेंदरा पर्व
अच्छी बारिश के लिए आदिवासी समुदाय के लोगों ने मनाया सेंदरा पर्व
निरसा : निरसा प्रखंड के सिजुआ पंचायत के लकड़ा पहाड़ी गांव में दो दिवसीय सेंदरा पर्व (पानी की खोज) धूमधाम से संपन्न हुआ। उक्त अवसर पर 27 गांव के मांझी परगना उपस्थित हुए। दिहरी (मुख्य पुजारी) रामेश्वर हेंब्रम, गोपीन टुडू, बृहस्पति हेंब्रम की ओर से पूजा पाठ कर मरांग बुरु, जाहिर एरा आदि देवी-देवताओं से अच्छी बारिश की कामना की। उक्त अवसर पर आदिवासी समुदाय के लोगों ने गीत-संगीत के माध्यम से देवी-देवताओं से अच्छी बारिश की कामना की गई।
प्रत्येक वर्ष अच्छी बारिश के लिए किया जाता है सेंदरा पर्व :
राजकीय मध्य विद्यालय बेनागोड़िया के सहायक शिक्षक संजय मरांडी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 27 गांव के मांझी परगना की देखरेख में लकड़ा पहाड़ी गांव में सेंदरा पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। सेंदरा का अर्थ शिकार करना भी होता है। हालांकि जेठ माह में होने वाला सेंदरा पर्व पानी की खोज के लिए किया जाता है। आदिवासी समाज में सेंदरा का शाब्दिक अर्थ खोजना होता है। मकर संक्रांति के समय इसका अर्थ शिकार करना व जेठ माह में इसका अर्थ पानी की खोज करना होता है।
हमारे समाज के वरिष्ठ लोग देवी-देवताओं से आह्वान करते हैं कि इस वर्ष अच्छी बारिश हो। अच्छी बारिश होगी तभी अच्छी फसल होगी। अच्छी फसल होगी तभी गांव व समाज में सुख व समृद्धि आएगी।
पूजा स्थल पर महिलाओं का प्रवेश वर्जित :
संजय मरांडी ने बताया कि आदि काल से यह परंपरा चली आ रही है कि सेंदरा पर्व में स्त्रियों का पूजा स्थल पर जाना वर्जित है। चाहे पानी की खोज के लिए सेंदरा हो या शिकार करने के लिए। दोनों में ही स्त्रियों का जाना वर्जित है। हालांकि इस संबंध में स्पष्ट को कुछ नहीं पता है। बुजुर्गों का कहना है कि चूंकि स्थान पर सबसे ज्यादा मात्रा में पुरुष रहते हैं, इसलिए वहां पर स्त्रियों का प्रवेश वर्जित किया गया है। आदि काल से यह व्यवस्था चली आ रही है। इसलिए वर्तमान समय में भी यह व्यवस्था कायम है।