Rising India: सीटी स्कैन बताएगा कोरोना है या फ्लू, IIT(ISM) में शोध की आशातीत सफलता से विज्ञानी उत्साहित
IIT (ISM) Dhanbad research माइनिंग मशीनरी इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. तन्मय मैती ने बताया कि कोलकाता के आरसीसी इंस्टीट्यूट ऑफ आइटी के डॉ. आलोक कोले के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
धनबाद [ शशि भूषण ]। कोरोना के खतरे से दुनिया थर्रा रही है। इसके इलाज की दवा तो बनी ही नहीं, इसकी जांच में भी कई कई दिन लग रहे हैं। इस संकट का समाधान तलाशने धनबाद के आइआइटी-आइएसएम के विज्ञानियों ने पहल की है। ऐसी तकनीक विकसित कर रहे हैं, जिससे किसी भी कोरोना संदिग्ध के सीटी स्कैन से पता चल सकेगा कि उसे कोरोना है या फ्लू। डीप लर्निंग व आर्फिटिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के सहारे सीटी स्कैन का अध्ययन कर परिणाम बताया जा सकेगा। शोध का अब तक के परीक्षणों का परिणाम आशातीत रहा है।
शोध में लगे IIT (ISM) Dhanbad के माइनिंग मशीनरी इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. तन्मय मैती ने बताया कि कोलकाता के आरसीसी इंस्टीट्यूट ऑफ आइटी के डॉ. आलोक कोले के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उपरोक्त तकनीक से पूरा मॉडल तैयार कर लिया है। परीक्षण चल रहे हैं। मरीज को कोरोना है या नहीं, इसके लिए इस विधि में स्वाब की जांच नहीं होगी। बस मरीज के फेफड़ों के सीटी स्कैन से ही सारी जानकारी मिल जाएगी।
प्रो. मैती का कहना है कि कोविड 19 से संक्रमित मरीज की पहचान के लिए यह बेस्ट मॉडल साबित होगा। अभी कोरोना जांच में समय लग रहा है, पर इस विधि में कंप्यूटर सीटी स्कैन का अध्ययन कर कुछ ही समय में परिणाम दे देगा। इसके लिए बनाए गए प्रोग्राम में फ्लू की स्थितियों व कोरोना संक्रमण की स्थितियों को बिंदुवार डाला जाएगा। बस रोबोट की तरह काम करते हुए कंप्यूटर सीटी स्कैन का अध्ययन कर परिणाम देगा।
दरअसल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज और सामान्य फ्लू के मरीज के फेफड़ों के सीटी स्कैन की इमेज एक जैसी नहीं होती। प्रस्तावित मॉडल में सीटी स्कैन की ऐसी तस्वीरों में डीप लर्निंग व आर्फिटिशियल इंटेलिजेंस विधि की मदद से अंतर कर लिया जाएगा। संक्रमित की जानकारी जल्दी मिल जाने से उसका तुरंत उपचार भी शुरू किया जा सकेगा। संक्रमण का खतरा भी नहीं रहेगा।