क्रिसमस की सुगबुगहाट , बीच के बच्चों में देसी खिलौनों की बढ़ी डिमांड
चाइनिज सामानों पर प्रतिबंध लगने से बाजार में देसी सामानों की ओर लोगों का रूझान बढ़ रहा है। इससे स्थानीय दुकानदारों को लोकल से वोकल होने का मौका भी मिल रहा है। बच्चों के बीच क्रिसमस में जहां विदेशी व चाइनिज सामानों-खिलौनों की धूम रहती थी। वहीं इस बार इससे इतर स्वदेशी
जासं, धनबाद: चाइनिज सामानों पर प्रतिबंध लगने से बाजार में देसी सामानों की ओर लोगों का रूझान बढ़ रहा है। इससे स्थानीय दुकानदारों को लोकल से वोकल होने का मौका भी मिल रहा है।
बच्चों के बीच क्रिसमस में जहां विदेशी व चाइनिज सामानों-खिलौनों की धूम रहती थी। वहीं इस बार इससे इतर स्वदेशी खिलौने बच्चों को आकर्षित कर रही है। इससे बचपन से ही स्वदेशी के प्रति बच्चों का लगाव भी बढ़ रहा है। बच्चों को भा रहे हाथों से निर्मित खिलौने: स्वदेशी की बढ़ती डिमांड से यहां के फूटपाथी दुकानदारों की जैसे चांदी हो गई हो। वे हाथों से निर्मित खिलौने व अन्य सजावटी समान को जगह-जगह प्रदर्शित कर बेच रहे है। और मुनाफा भी कमा रहे है। उनकी यह कला कृति बच्चों को भी खूब भा रही है। और बड़ों को भी यह पसंद आ रहा है। क्या कहते है दुकानदार:
एलसी रोड स्थित फुटपाथ दुकानदार महेश कुमार ने बताया कि चाइनिज सामनों पर सरकार के प्रतिबंध से स्वरोजगार को बल मिला है। हल्के प्लास्टिक, कागज, थर्माकोल, कपड़े आदि के खिलौने बाजारों में बेच रहे है। लोगों के बीच इसकी मांग भी बढ़ रही है। ये खिलौने इको फ्रेंडली है। जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता।
क्या कहना है एक मां का: एक बच्चे की मा अंजली गुप्ता ने बताया कि मेरे बच्चे सप्ताह में दो से तीन खिलौने खेलने के दौरान टूट जाते थे। लेकिन यह कपड़े वाले खिलौने से ना टूटने का डर ना किसी प्रकार का नुकसान। और तो पहले के खिलोने से सस्ते भी है। यह खिलौने 30 रुपये से लेकर 200 रुपये तक उपलब्ध है। प्रधानमंत्री ने खुद देसी खिलौने को अपने की बात कही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद स्वदेशी खिलौनों में रुचि लिए जाने और एक भारत, श्रेष्ठ भारत के तहत खिलौनों के जरिए भारतीय संस्कृति और संस्कारों को बढ़ावा देने के आह्वान किया है। देश में खिलौना उद्योग के साथ लोगों को रोजी-रोटी के साथ