Weekly News Roundup Dhanbad: यात्रीगण कृपया ध्यान दें... रेल अपराधी हो रहे अनलॉक
पूर्व मध्य रेल महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी कोयलानगरी आए थे। विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने झरिया के रेलवे आरक्षण केंद्र को दोबारा चालू करने के लिए उन्हें मांग पत्र दिया था। हल्ला भी हो गया कि अब आरक्षित टिकट के लिए धनबाद की दौड़ खत्म हो गई।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]। कोरोना काल में जब ट्रेनें कम थीं तो अपराध लगभग शून्य था। यह मान लिया गया कि कंफर्म सीट के साथ सफर सुरक्षित होगा। अब अपराधी बेड़ा गर्क करने पर तुले हैं। पटना से सिंगराैली जा रही ट्रेन के यात्री का चलती ट्रेन से बदमाश पहले बैग फेंका। फिर खुद भी ट्रेन से कूदकर उडऩछू हो गया। यह घटना बिहार के डेहरी स्टेशन की है जिसे उसी ट्रेन के यात्री राजा भट्टाचार्य ने ट्विटर पर शेयर किया है। धनबाद डीआरएम को टैग कर किए गए ट्वीट ने आरपीएफ की नींद उड़ा दी। कुछ ही देर में आरपीएफ के आला अधिकारियों ने भुक्तभोगी यात्री से संपर्क किया। घटना की जानकारी ली। भरोसा दिलाया। उस यात्री का सामान तो मिलने से रहा। यात्रियों को यह संदेश जरुर चला गया कि रेल अपराधियों का कोरोना काल खत्म हो चुका है और उनके लिए अनलॉक शुरू हो चुका है। जैसे-जैसे रेलगाड़ियां पटरी पर उतर रहीं हैं वैसे-वैसे अपराध करने वाले भी अनलॉक हो रहे हैं। वह भी पूरी ताकत से। आखिर कोरोना काल में बहुत विश्राम जो किया है।
मैडम मिली, टिकट नहीं
पूर्व मध्य रेल महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी कोयलानगरी आए थे। विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने झरिया के रेलवे आरक्षण केंद्र को दोबारा चालू करने के लिए उन्हें मांग पत्र दिया था। हल्ला भी हो गया कि अब आरक्षित टिकट के लिए धनबाद की दौड़ खत्म हो गई। खैर, यह सब हुए पखवाड़ा भर गुजर चुका है। टिकट मिलना तो दूर, आरक्षण केंद्र के जर्जर हो चुके भवन की मरम्मत तक शुरू नहीं हुई है। ऐसा नहीं है कि झरिया का आरक्षण केंद्र पूर्णिमा सिंह के विधायक बनने के पहले से बंद था। कोरोना काल शुरू हुआ तो रेल परिचालन बंद होने के साथ झरिया के आरक्षण केंद्र पर ताला लटक गया था। अनलॉक के साथ सारे आरक्षण केंद्र खुल गए। झरिया आरक्षण केंद्र लॉक रह गया। उसके भवन को खतरनाक भी घोषित किया जाने लगा है। लगता है, जलती धरा के लोग धूप में और जलेंगे।
राजस्थान मत जाइए, कोहरा है
राजस्थान मत जाइए, अभी कोहरा है। कोहरे का असर एक अप्रैल के बाद ही खत्म होगा। यह हम नहीं, भारतीय रेल कह रही है। रेलवे का यह संदेश तब है, जब आसमां से आग बरसने लगी है। कोहरे की वजह से मध्य दिसंबर से देशभर की कई ट्रेनें रद हो गईं। इनमें धनबाद होकर गुजरने वाली अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस और कोलकाता-अमृतसर दुर्गियाना एक्सप्रेस शामिल थीं। धनबाद से फिरोजपुर जानेवाली गंगा-सतलज एक्सप्रेस के फेरे भी कम कर दिए गए थे। फरवरी गुजरते ही दुर्गियाना और गंगा-सतलज को ठंड लगनी बंद हो गई। उन पर कोहरे का पहरा भी हट गया। सियालदह से अजमेर जानेवाली ट्रेन अभी भी कोहरे की जकड़ में है। एक अप्रैल तक कोहरे की वजह से ट्रेन रद कर दी गई है। राजस्थान जाने वाली हावड़ा-जोधपुर, हावड़ा-बीकानेर और कोलकाता-अजमेर को कोहरे ने छोड़ दिया है। बेचारी सियालदह-अजमेर ही कोहरे में फंसी हुई है।
हे हनुमान, बदले स्थान
जहां भी रेलवे अपनी जमीन को कब्जा मुक्त कराने की ओर कदम बढ़ाती है तो प्रभु हनुमान रोक देते हैं। धनबाद रेलवे स्टेशन के दक्षिणी छोर की जमीन कई दशक से कब्जे में है। रेलवे के लोग खाली कराने गए तो वहां भगवान हनुमान खड़े मिले। उन्हें हटाने को लेकर विवाद भी हुआ। प्रतिमा विखंडित करने का आरोप लग गया। लोगों में खासी नाराजगी दिखी। खैर, रेलवे ने उस जमीन से होकर सड़क तैयार ही ली। अब ओल्ड स्टेशन की कब्जा की गई जमीन को खाली कराने की मुहिम शुरू हुई तो वहां भी संकट मोचन हाजिर। यहां के बड़े भूभाग को रेलवे ने रेल भूमि विकास प्राधिकार को सौंप दिया। अंग्रेजों के जमाने की कॉलोनी की जगह आधुनिक कॉलोनी बननी है। रेलवे का पहला मॉल भी बनेगा। हालांकि, अभी भी काठपुल के नीचे बजरंग बली खड़े हैं। रेलवे का अनुरोध, 'हे हनुमान, बदले स्थान।'