हजारीबाग जेल में आत्महत्या करने वाले योगेश को किया जाता था प्रताड़ित, जेलर के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे पिता Dhanbad News
दिसंबर 2019 में जब देवनंदन अपने पुत्र योगेश से मिलने जेल में गया तो उसने बताया कि उसका इलाज नहीं किया जा रहा है। इसके कारण उसका दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा है।
धनसार, जेएनएन। बस्ताकोला झरिया निवासी हत्यारोपी 24 वर्षीय योगेश कुमार चौहान के पिता देवनंदन नोनिया ने हजारीबाग जेल के जेलर पर अपने पुत्र योगेश की हत्या करने का आरोप लगाया है। योगेश का शव बस्ताकोला पहुंचने पर पूरा परिवार रो रोकर बेहाल है।
योगेश का विवाह नहीं हुआ था। पिता का कहना है कि जेलर ने पहले तो मेरे मानसिक रोगी पुत्र का इलाज नहीं कराया। इसके बाद उसकी हत्या कर दी गई। योगेश की आंख हाथ के अलावे शरीर के कई स्थानों मे चोट के निशान हैं। यह उसकी हत्या की ओर इंगित कर रहा है। कहा कि पुत्र की हत्या के मामले में जेलर के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। देवनंदन का आरोप है कि बस्ताकोला के मो. तनवीर की हत्या के तीन साल पूर्व से योगेश मानसिक रूप से बीमार था। उसका इलाज रांची से कराया जा रहा था। घटना के बाद धनबाद जेल से ही 2017 को इलाज के लिए रांची भेजा गया था।
16 नवंबर 2017 को धनबाद जिला न्यायालय ने देवनंदन के पुत्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद उसे हजारीबाग जेल में रखा गया। हजारीबाग जेल में 2017 में ही उसका इलाज कराया गया। इसके बाद उसके इलाज में कोताही बरती जाने लगी। इस कारण उसकी मानसिक स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती चली गई। दिसंबर 2019 में जब अपने पुत्र योगेश से मिलने जेल में गया तो उसने बताया कि उसका इलाज नहीं किया जा रहा है। इसके कारण उसका दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा है। इसके बाद देवनंदन ने जेलर से मिलने की इच्छा जताई। लेकिन जेलर मिलने से इंकार कर दिया था।
देवनंदन ने बताया कि पुत्र के इलाज के लिए 23 दिसंबर 2019 को धनबाद से आरटीआई के तहत इलाज की जानकारी मांगी। परंतु उसका जवाब भी नहीं मिला। इसके बाद अपनी पत्नी सरस्वती देवी के साथ जेल मे योगेश से मिलने आठ जनवरी 2020 को गए। योगेश ने बताया कि अभी भी इलाज नहीं हो रहा है। देवनंदन ने कहा कि इसके बाद नौ जनवरी को इलाज की जानकारी आरटीआई के माध्यम से जेलर से मांगी। पर उसे जवाब नहीं मिला। देवनंदन का आरोप है कि जेलर ने एक तो मेरे बेटे के इलाज में कोताही बरती। ऊपर से आरटीआई के तहत जवाब भी नहीं दिया। उसने आरटीआई का उल्लंघन किया है। कहा की जेल में कैदियों के लिए सारी व्यवस्था रहती है। पर मेरा पुत्र मेडिकल विभाग में आत्महत्या कैसे कर ली। उसके शरीर पर चोट के निशान कैसे आ गए। यहा कई सवाल खड़ा करता है। बेटे के इंसाफ के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।