गाल पर थप्पड़ जड़ते हुए डकैतों ने पूछा- करवाचौथ पर जो हार पहना था, वो कहां है मैडम Dhanbad News
धनबाद के कुसुम विहार निवासी राजू सेठ की पत्नी तमन्ना सेठ ने घर में हुई भीषण डकैती की पूरी दास्तां सुनाई। डकैत न सिर्फ इनकी जमापूंजी ले गए बल्कि मारपीट और छेड़खानी भी की।
जागरण संवाददाता, धनबाद: डकैतों ने दो तीन बार गाल पर हाथ चला दिया था। डरी हुई थी। कान, नाक, गला और पांव से सारे गहने वो बदमाश निकाल चुके थे। अचानक एक डकैत बोला कि करवाचौथ पर जो चमाचम हार पहनी थी, वो कहां है? यह कहते हुए उस नकाबपोश ने फिर मेरे गाल पर जोर से प्रहार किया था। मैंने आलमीरा की चाबी को कपड़े के नीचे छिपा कर रखा था, जैसा हमेशा करती थी।
डकैत से बोलती रही कि चाबी कहां रखी हूं, याद नहीं आ रहा है। डकैतों ने एक एक कपड़े फेंकने शुरू किए तो चाबी उनके हाथ लग गई। कलेजा मुंह को आ गया था। जीवन भर के गहने उसी आलमीरा में थे। आंख से आंसू बह रहे थे। बेटी हर्षिता एवं ऋषिका को चादर से ढक कर बैठ गई थी। बेटियों के साथ डकैत कुछ गलत ना कर दें, इसी वजह से खामोश रही। वो लोग आलमीरा से एक एक कर सारे गहने निकाल रहे थे। मेरे दिमाग में यही बात चल रही थी कि डकैत ने करवाचौथ पर पहने हार के बारे में कैसे सवाल कर दिया? याद आया कि गुरुवार की दोपहर सारे गहने पहने थे। बस्तीपाड़ा के ऑटो चालक सुभान को हम लोग जरूरत पड़ने पर बुलाते थे। शक्ति मंदिर जाने के लिए पति राजू सेठ ने फोन कर बुलाया था। सुभान ने व्यस्त होने की बात कह कर किसी सोनू का ऑटो भेजने की बात कही थी। सोनू ने पति को फोन कर कहा था कि फिरोज को ऑटो देकर भेज रहे हैं।
शाम चार बजे बेटी हर्षिता, ऋषिका एवं भाभी की बेटी सुमन के साथ उसी ऑटो से निकली थी। रांगाटांड़ में सोनू आकर ऑटो में बैठ गया था। डकैतों ने नकाब से मुंह को ढका था। शंका हो गई थी कि इन डकैतों में वो ऑटो चालक हो सकते हैं। लगातार दर्द के बीच उसे पहचानने में लगी थी। वो बेरहम डकैत घर में घुसने के बाद मेरी बेटी हर्षिता को एक चांटा लगा चुके थे। उसके माथे पर कंट्टा सटा दिए थे। पति और सुमन को मारा था। अब वो डकैत आलमीरा से सारे गहने और नकद निकाल लिए। तीन स्क्रीन टच और बटन वाले दो मोबाइल पहले ही वे लोग ले चुके थे। इसके बाद एक लाख रुपए मांगने लगे। बार बार बोलती रही कि और एक रुपए भी नहीं है। डकैत फिर मुझे मारने लगे। मैंने डकैतों से कहा कि घर में खोज लो। उन लोगों ने दीवान को खोल दिया। एक एक सारे कपड़े फेंक दिए। रुपए नहीं मिले। वो नीच फ्रीज के ऊपर रखे करवाचौथ का प्रसाद केला और सेव उठा कर खाने लगे तो इतना गुस्सा आया कि कह नहीं सकती।
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बैग लेकर आए थे डकैत: डकैत बैग लेकर आए थे। सारे गहने उसमें रख लिए। फ्रीज से काजू बर्फी समेत मिठाई के दो तीन डिब्बे भी उठा लिए। पति को एक कमरे में बैठा रखा था। मेरे और सुमन के मुंह पर टेप लगा दिए थे। उनमें से एक ने बंगला भाषा में कहा कि अब सामने वाले घर में डकैती करेंगे, आवाज नहीं निकालना। डकैत अब घर से निकल रहे थे। बार बार मन में ख्याल आ रहा था कि पुलिस गश्ती करती दिख जाय तो तुरंत हल्ला मचा दूंगी। डकैत गए तो भोर के साढ़े तीन बज रहे थे। पति ने तुरंत 100 नंबर डॉयल किया। किसी ने नहीं उठाया। पति बाइक लेकर निकले ताकि डकैतों के बारे में कुछ सुराग मिल जाय। कुछ देर बाद पति वापस आ गए। फिर 100 नंबर डॉयल कर सब कुछ बताया। कुछ देर में पुलिस आई। छानबीन शुरू हो गई। एक बड़े साहब ने छोटे अफसर से कहा कि आज तक चोरी की किसी घटना में किसी को पकड़ नहीं पाए हो। यह बात सुनने के बाद दिल बैठ गया। फिर भी पुलिस को हम लोगों ने सारी बात बता दी। पुलिस के कहने पर सुभान से हम लोगों ने सोनू का फोन नंबर लिया। कई बार सोनू को कॉल किया गया। उसने फोन नहीं उठाया। इसके बाद पुलिस उसके घर गई। उठा कर थाना लाई। सुबह 11 बजे सुमन के साथ थाना गई।
हम लोगों ने हुलिया बताया तो उस आधार पर पुलिस ने स्केच बनाया। नकाब में भी। पहली निगाह में भी सोनू और फिरोज का चेहरा आंखों के सामने आ गया। इसके बाद हम लोगों के सामने फिरोज और सोनू को लाया गया। वो बोल रहे थे कि हम लोगों ने ऐसा नहीं किया। जब उन लोगों से सवाल की तो वो सिर झुका लिए। मेरा सब कुछ चला गया। कुछ साल पहले तक सुनती थी कि धनबाद में चोरी, डकैती और छिनतई नहीं होती। अब यह भ्रम टूट गया है।
(जैसा कि तमन्ना सेठ ने जागरण से कहा)