धनबाद [आशीष अंबष्ठ]: झारखंड और एकीकृत बिहार की राजनीति के दिग्गज रहे समरेश सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनका पार्थिव शरीर भी पंचतत्व में विलीन हो चुका है, लेकिन यादें अब भी जिंदा हैं और यादों में हमेशा समरेश भी जीवित रहेंगे।
राजनीति के जिस मुकाम तक समरेश पहुंचे, वह उनके किसी एक दिन की मेहनत का परिणाम नहीं, बल्कि उनकी पूरी जीवनी थी। करीब पांच दशक पहले समरेश ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। कोयला उद्योग में मजदूरों पर हो रहे शोषण के खिलाफ आंदोलन में अग्रिम भूमिका निभाने वाले समरेश सिंह ने 1970 में कोलियरी कर्मचारी संघ का गठन किया था। जेपी आंदोलन में सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की वजह से उन्हें अपने कई साथियों के साथ जेल में भी दिन गुजारने पड़े थे।
जेल में कुछ दिनों तक समरेश के साथ रहे इंटक नेता वीरेंद्र प्रसाद अंबष्ठ ने बताया कि चेकनाका पर होने वाले भ्रष्ट्राचार के खिलाफ उन्होंने जोरदार आंदोलन किया था। झरिया माइंस हेल्थ बोर्ड में बोरा आंदोलन काफी जोरदार ढंग से हुआ था। इसमें बोरे में छाई भर कर कार्यालय में फेंक दिया गया था। उन्होंने बताया कि जयप्रकाश आंदोलन के समय चिरकुंडा क्षेत्र में चहल-पहल काफी बढ़ गई थी। समरेश सिंह के साथ मिलकर यहां के कृष्णा लाल रुंगटा, निर्मल सरदार, रामहरे अग्रवाल, श्याम सुंदर गाड्यान, बबलू कपूर, नरेश नाग, नवल किशोर मंदिलवार आदि ने भी सक्रिय रूप से आंदोलन छेड़ रखा था।
1984 में कोलियरी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बने समरेश
कोलियरी कर्मचारी संघ में 1984 में समरेश सिंह अध्यक्ष बने थे। उस समय महामंत्री का पद संभाल रहे गोपाल प्रसाद ने बताया कि समरेश के नेतृत्व में कई आंदोलन हुए। वे संघ के बिहार प्रदेश के अध्यक्ष भी रहे। समरेश सिंह की अगुवाई में स्टील सेक्टर में आंदोलन, डालमिया में मजदूरों के स्थायीकरण करने को लेकर आंदोलन, टाटा में चालकों को स्थायी करने को लेकर जोरदार आंदोलन किया गया, जिसमें उन्हें काफी सफलता मिली।
24 दिसंबर 1972 को हुआ था सीएमपीएफ के खिलाफ जोरदार आंदोलन
गोपाल प्रसाद बताते हैं कि कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफ) में कोयला मजदूरों के हित को लेकर 24 दिसंबर 1972 को हमने अधिवेशन किया था। साथ ही जोरदार आंदोलन भी हुआ है। राशि भुगतान को लेकर संगठन की नीति का विरोध हुआ था। बताया कि उस समय कोयला मजदूरों को मिलने वाली राशि में गड़बड़ी कर ली जाती थी। इसका विरोध किया गया था।
अलग झारखंड के लिए किया वनांचल आंदोलन
गोपाल प्रसाद ने बताया कि समरेश सिंह ने झारखंड को एकीकृत बिहार से अलग करने के लिए वनांचल आंदोलन किया था। इसमें इनके साथ कुमार अर्जुन सिंह, बिंदेश्वरी प्रसाद, केडी मिश्रा सहित कई अन्य लोग थे। आंदोलन के दिनों में उन्होंने धनबाद में ऐतिहासिक मोटर साइकिल जुलूस निकाला था, जो काफी चर्चा में रहा था। इसके अलावा उन्होंने छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के बैनर तले आंदोलन किया।
गोपाल प्रसाद ने कहा कि कोलियरी कर्मचारी संघ, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय जनसंघ, भारतीय जनता पार्टी का कोलयांचाल में विस्तार, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए किए गए आंदोलन में अयोध्या जाना आदि समरेश के जीवन की कुछ ऐसी कडि़यां हैं, जिन्हें जोड़ते चले जाएं तो धनबाद-बोकारो समेत पूरे झारखंड का लगभग पांच दशक का इतिहास तैयार हो जाता है।