मेरी सड़क खाली करो: सबसे व्यस्त सड़क अतिक्रमण से त्रस्त
अतिक्रमण के कारण ना तो वाहनों के ठीक से आवागमन के लिए पर्याप्त जगह मिल पाती है और ना ही लोगों के आने-जाने के लिए।
धनबाद, जेएनएन। शहर की सबसे छोटी मगर सबसे व्यस्त सड़क धनबाद स्टेशन रोड अतिक्रमण से पूरी तरह त्रस्त है। धनबाद शहर को चेहरा है महज 350 मीटर लंबी यह सड़क। यह रात भर रेल यात्रियों व आम लोगों के साथ जागती है। आंधी -तूफान हो या सामान्य मौसम, यहां हमेशा चहलकदमी रहती है। मगर यह सड़क लोगों को बहुत तकलीफ देती है। हमेशा जाम की स्थिति रहती है। ना तो वाहनों के ठीक से आवागमन के लिए पर्याप्त जगह मिल पाती है और ना ही लोगों के आने-जाने के लिए। फिर भी धनबाद जिला प्रशासन के लिए सब ठीक है।
इस सड़क की शुरूआत बिनोद बिहारी महतो की प्रतिमा चौक से होती है जो श्रमिक चौक तक जाती है। दोनों तरफ अतिक्रमण कर दुकानों की कतारें लग गई हैं। सड़क का बहुत ही कम हिस्सा दिखता है। इस इलाके में एक दो को छोड़ बाकी कोई नहीं जो अपने स्वार्थ के अलावा किसी और की भी चिंता करता हो। रेलवे की दुकानों में खाने-पीने से लेकर हर वो सामान मिलता है जो स्टेशन पहुंचने वाले लोगों की आवश्यकता होती है। इन दुकानदारों ने अपने दुकान की निर्धारित हद से बाहर आकर सड़क की जमीन अतिक्रमण कर दुकानों को बाहर तक फैला रखा है। इनमें हीना स्टेशनरी, पंडित पान दुकान, माधुरी स्वीट्स, फूल दुकान, जेरोक्स, हर हर महादेव नाश्ते की दुकान, राम चरित्र की चाय दुकान, सिंघाड़ा महाराज, सरकारी शराब दुकान समेत सभी शामिल हैं। इनके लिए लोगों की सुविधाओं से जरुरी अपनी दुकानों को हदों से बाहर निकाल कर रखना है।
फुटपाथ पर भी कब्जा : अब बात दूसरे छोर यानी स्टेशन की दीवार से सटी जमीन की करते हैं तो यहां नगर निगम की ओर से फुटपाथ का निर्माण कराया गया है। फुटपाथ कहीं दिखता नहीं। कारण, इस पर भी दुकानदारों का कब्जा है। चाय दुकान, लिट्टी दुकान, किताब दुकान, ठेला, बैग की दुकान, फल दुकान आदि हैं। इन सभी ने भी अतिक्रमण कर अपनी दुकानदारी चला रखी है।
चंद हैं समझदार : स्टेशन स्थित बस स्टैंड के आगे करीब दर्जन भर होटल एक ही परिसर में स्थित हैं। शेरे पंजाब होटल सड़क से सटी हुई है, लेकिन इन्होंने अतिक्रमण नहीं किया। इस परिसर की दुकानें अपने हद में ही हैं।
यातायात पुलिस रोज झेलती है मुसीबत : इस सड़क पर यातायात सामान्य रखना ट्रैफिक पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। दस हजार से अधिक ऑटो का आना-जाना, सैकड़ों बसों की आवाजाही और हजारों निजी वाहनों का स्टेशन आना होता है। अतिक्रमण के कारण लोग सड़क पर चलते हैं। पार्किंग होने के बावजूद ऑटो वालों की दादागिरी सड़क पर दिखती है।
ऑटो चालक बेलगाम : स्टेशन रोड में आने वाले अधिकांश ऑटो चालक बेलगाम हैं। इन पर प्रशासन को कोई जोर नहीं चलता। ये जहां चाहे वहां अपनी ऑटो को खड़ी कर सकते हैं। इन्हें टोकने या हटाने की हिम्मत प्रशासन में नहीं है। भले ही सड़क चाहे कितनी देर भी जाम क्यों ना हो।
वैसे तो इस रोड में जिला प्रशासन व रेलवे के साहबों का रोजाना आना-जाना होता है। मगर किसी को सड़क का यह अतिक्रमण नहीं दिखता है।