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पूरे जिले पर पड़ी मौसम की मार, लेकिन मरहम सिर्फ टुंडी को

सरकारी दावे के अनुसार, धनबाद जिले में सिर्फ टुंडी प्रखंड में सुखाड़ है। बाकी अन्य प्रखंड इसकी जद से बाहर हैं। सरकार द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट से विभागीय पदाधिकारी भी अचंभित हैं।

By Edited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 12:33 PM (IST)
पूरे जिले पर पड़ी मौसम की मार, लेकिन मरहम सिर्फ टुंडी को
पूरे जिले पर पड़ी मौसम की मार, लेकिन मरहम सिर्फ टुंडी को

जागरण संवाददाता, धनबाद: सरकारी दावे के अनुसार, धनबाद जिले में सिर्फ टुंडी प्रखंड में सुखाड़ है। बाकी अन्य प्रखंड इसकी जद से बाहर हैं। सरकार द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट से विभागीय पदाधिकारी भी अचंभित हैं।
ट्रिगर वन और टू में बंटा प्रखंड: राज्य सरकार ने कुल 129 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया है। इसमें धनबाद जिले के नौ में से केवल एक टुंडी प्रखंड ही इसमें शामिल हैं। कृषि निदेशालय ने सूखाग्रस्त प्रखंडों की पहचान करने के लिए उसे ट्रिगर एक और दो में रखा है। ट्रिगर दो में वैसे प्रखंडों को रखा गया है जहां 50 फीसद से अधिक फसल सूख गई है, जबकि ट्रिगर वन में 50 फीसद से कम सूखा वाले प्रखंडों को शामिल किया गया है।क्या है ट्रिगर वन व टू: ट्रिगर एक व दो में बांटने से पहले बीते चार सालों का वर्षा अनुपात और पैदावार की स्थिति का भी आकलन किया गया। इसके आधार पर इनकी श्रेणी निर्धारित कर दी गई। ट्रिगर दो में शामिल हुए प्रखंड के दस फीसद गांवों का सर्वे किया गया और किसानों से बातचीत की गई। इस नियम के अनुसार टुंडी प्रखंड के 211 गांवों में से 22 गांवों का सर्वे हुआ और 110 किसानों से बातचीत करने के बाद डाटा तैयार किया गया। जो रिपोर्ट तैयार हुई उस पर कृषक मित्र, जन सेवक, हल्का कर्मचारी, पंचायत सेवक, एटीएम, बीटीएम, प्रखंड कृषि प्रसार पदाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी के हस्ताक्षर लिए गए।
अन्य प्रखंडों की रिपोर्ट: ट्रिगर दो में शामिल टुंडी प्रखंड का सर्वे तो हुआ, इसके साथ ही अन्य प्रखंडों की भी रिपोर्ट विभागीय स्तर पर तैयार की गई। उदाहरणस्वरूप कलियासोल प्रखंड में 1810 हेक्टेयर में धान की फसल लगी। इसमें से 973 हेक्टेयर बर्बाद हो गई। इसी प्रकार से बलियापुर में 6906 हेक्टेयर में से 3711 हेक्टेयर में लगी धान की फसल सूखे से बर्बाद हो गई।
वैकल्पिक खेती का इंतजार: सूखाग्रस्त क्षेत्र के किसान परेशान हैं। यह हालत टुंडी के अलावा अन्य प्रखंडों की भी है। सरकार ने वैकल्पिक खेती का आश्वासन तो दिया है, लेकिन अभी तक इसकी कोई व्यवस्था कृषि विभाग के स्तर से नहीं की गई है।

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क्या कहते हैं किसान
"खेतों में लगी धान की फसल नष्ट हो गई है। सरकार को तुरंत मुआवजा के साथ स्थाई रूप से सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए।"
- दिलीप सिंह, कटनिया, टुंडी

"सूखे के कारण कर्ज में डूब गए हैं। स्थिति ठीक नहीं है। सरकार इस पर तुरंत पहल कर राहत दे।"
- प्रेम महथा, कटनिया, टुंडी

"सरकार किसानों के दर्द को समझे। साथ ही किसानों के दर्द का दूर करने का यथासंभव प्रयास करे।"
- रंगलाल मंडल, मंझलीटांड़

"सरकार के स्तर से पिछले चार वर्षो के वर्षा अनुपात की रिपोर्ट मांगी गई थी। विभाग द्वारा इसे भेज दिया गया था। सूखाग्रस्त इलाकों को लेकर सरकार से कोई रिपोर्ट नहीं मिली है, केवल ट्रिगर वन और दो में शामिल प्रखंडों की सूची दी गई है। टुंडी के अलावा अन्य प्रखंडों में सुखाड़ की स्थिति का आकलन किया जा रहा है। अनुदानित दर पर किसानों को बीज उपलब्ध कराने को लेकर भी कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।"
- असीम रंजन एक्का, जिला कृषि पदाधिकारी धनबाद


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