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हर माैसम में किसान करेंगे मशरूम का उत्पादन, सिंफर सिखा रहा तकनीक Dhanbad News

ग्रामीण उद्यमिता विकास परियोजना के प्रोजेक्ट हेड डॉ डीबी सिंह ने बताया कि किसानों को मौसम अनुरूप मशरूम की खेती के तरीके बताए जाएंगे। मौजूदा सीजन वेस्टर का है। इसके बाद जाड़े में बटर प्रजाति के मशरूम की खेती की बारी आएगी।

By MritunjayEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 01:20 PM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 01:20 PM (IST)
हर माैसम में किसान करेंगे मशरूम का उत्पादन, सिंफर सिखा रहा तकनीक Dhanbad News
ग्रामीण उद्यमिता विकास परियोजना के तहत सिंफर में मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा।

धनबाद, जेएनएन। धनबाद के किसानों को अब केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान ( सिंफर) के विज्ञानी हर मौसम में मशरूम की खेती का वैज्ञानिक तरीका बता रहे हैं। गांव के लोगों को बताया जा रहा है कि 20 से 30 डिग्री तापमान में मशरूम की अच्छी पैदावार हो सकती है। वेस्टर प्रजाति के मशरूम की खेती 18 से 23 डिग्री तापमान पर भी की जा सकती है।

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पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का गुरुवार को जन्मदिन था। इस अवसर पर मशरूम की खेती से ग्रामीण उद्यमिता विकास परियोजना की शुरुआत संस्थान परिसर में हुई। सिम्फर निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने सेंटर का उद्घाटन किया। प्रशिक्षण लेने आये किसानों से खेती के लिए प्रेरित भी किया। कहा कि संस्थान में प्रशिक्षण के साथ ही उन्हें बाजार उपलब्ध कराने की भी कोशिश की जा रही है।

मौसम के अनुरूप दिया जाएगा अलग-अलग प्रजातियों के प्रशिक्षण

ग्रामीण उद्यमिता विकास परियोजना के प्रोजेक्ट हेड डॉ डीबी सिंह ने बताया कि किसानों को मौसम अनुरूप मशरूम की खेती के तरीके बताए जाएंगे। मौजूदा सीजन वेस्टर का है। इसके बाद जाड़े में बटर प्रजाति के मशरूम की खेती की बारी आएगी। उसके लिए 16 से 24 डिग्री तापमान होना चाहिए। मिल्की प्रजाति के मशरूम की खेती का समय गर्मी में होगा, क्योंकि 40 डिग्री तापमान में ही मिल्की प्रजाति के मशरूम की खेती के परिणाम बेहतर होते हैं।

  • 10 फिट लंबी और इतनी ही चौड़ी झोपड़ी में लटका सकेंगे 130 बैग
  • 14 दिनों में तैयार हो जाएगा 175 किलोग्राम मशरूम
  • उत्पादन का कुल खर्च 6100 रुपये आएगा
  •  न्यूनतम 7000 से अधिकतम 25 हजार तक की होगी आमदनी

40 साल पुराने बेकार पड़े भवन को बनाया प्रशिक्षण केंद्र

सिम्फर विज्ञानियों ने प्रशिक्षण केंद्र के लिए संस्थान के 40 साल पुराने बेकार पड़े भवन को नए सिरे से विकसित किया है। किसानों को भी बताया गया कि मशरूम की खेती के लिए ऐसे ही किसी बेकार पड़े घर का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए अलग से भवन की आवश्यकता नहीं है। संस्थान परिसर में इसके लिए डेमोस्ट्रेशन सेंटर बनाया गया है। यहां प्रशिक्षण के साथ डेमो भी दिखाया जाएगा। उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने के विकल्प भी बताए जाएंगे।

मशरूम की खेती को रोजगार का जरिया बनाकर धनबाद के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास है। खेती के साथ साथ किसानों को मार्केट भी उपलब्ध कराया जाएगा। जल्द ही वेबसाइट की सुविधा भी दी जाएगी।

  -डॉ. प्रदीप कुमार सिंह निदेशक, सिम्फर


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