अब 'लोहे की ईंट' से बनाएं फौलादी आशियाना, चोर नहीं लगा पाएंगे सेंध Dhanbad News
ऑटोमेटिक ईंट निर्माण प्लांट से बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया जा सकता है। एक ईंट की कीमत पांच रुपये से भी कम पड़ेगी। प्रत्येक ईंट के लिए 2970 ग्राम मलबे की जरूरत पड़ेगी।
धनबाद [तापस बनर्जी]। केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के वैज्ञानिकों ने लौह अयस्क खदानों के ओवरबर्डन यानी मलबे से सस्ती और टिकाऊ ईंट बनाने की कारगर युक्ति प्रस्तुत की है। लौह अयस्क से मिलने वाली मजबूती इन ईंटों को विशिष्ट बना रही है। इनके वाणिज्यिक उपयोग के लिए धनबाद, झारखंड स्थित सिंफर ने प्रयास शुरू कर दिए हैैं। बड़ी बात यह कि खदानों पर बोझ बन जाने वाले मलबे का अब बेहतर प्रबंधन हो सकेगा।
सिंफर कर रहा प्रोजेक्ट पर काम
सिंफर में इस प्रोजेक्ट को अगुआई करने वाले डॉ. एसके चौल्या ने बताया कि लौह अयस्क के ओवरबर्डन से ईंट बनाने के लिए ऑटोमेटिक मशीन भी विकसित की गई है। खदानों के मलबे के साथ पानी, सीमेंट और कुछ अन्य पदार्थ मशीन में डाले जाने पर पहले मिश्रण तैयार होगा और फिर इससे ईंट आकार लेगी, जो 100 से 115 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर करीब 24 घंटे में पककर तैयार हो जाएगी। यह सारी प्रक्रिया एक ही मशीन में पूरी होगी।
आम ईंटों की तुलना में लौह अयस्क से बनी ईंटें काफी मजबूत
आम ईंटों की तुलना में लौह अयस्क से बनी ईंटें काफी मजबूत होंगी। चिकनी होने की वजह से आप प्लास्टर न कराना चाहें तो भी काम चलेगा। डॉ. चौल्या ने कहा कि ऑटोमेटिक ईंट निर्माण प्लांट से बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया जा सकता है। एक ईंट की कीमत पांच रुपये से भी कम पड़ेगी। प्रत्येक ईंट के लिए 2970 ग्राम मलबे की जरूरत पड़ेगी।
ओवरबर्डन (मलबा) खनन क्षेत्रों के लिए बड़ी समस्या है। इसे ध्यान में रखकर यह तकनीक विकसित की गई है। झारखंड समेत देश के कई हिस्से में लौह अयस्क की खदानें हैं। वहां निकलने वाले मलबे से ईंट निर्माण हो सकता है। ईंट बनाकर मलबे का सटीक प्रबंधन हो जाएगा। -डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, निदेशक सिंफर
सिंफर की यह तकनीक जनता के लिए उपयोगी है। इससे न केवल ईंट का विकल्प मिलेगा बल्कि मूल्यवान मिट्टी की कटाई भी कम होगी। ओरवबर्डन के धंसने से होने वाले हादसे नहीं होंगे। -डॉ. एसके चौल्या, प्रोजेक्ट लीडर, सिंफर