Jharkhand में डॉक्टरों पर हमले रोकने को मुख्य सचिव गंभीर, जिलास्तर पर DSP होंगे नोडल पदाधिकारी
आइएमए की ओर से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने की मांग पर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार इस मसले को अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास करेगी।
धनबाद, जेएनएन। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) झारखंड इकाई की मांग पर मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने राज्य के सभी 24 जिलों में अस्पतालों, चिकित्सकों तथा स्वास्थ्यकर्मियों के विरुद्ध हिंसक घटनाओं को रोकने व दोषियों पर कार्रवाई के लिए एक डीएसपी को अधिकृत करने का निर्देश गृह विभाग को दिया है। जिले के एसपी किसी डीएसपी को बतौर नोडल पदाधिकारी अधिकृत करने के साथ उनका मोबाइल नंबर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, झारखंड इकाई को उपलब्ध कराएंगे। डॉक्टर अथवा कोई चिकित्साकर्मी किसी भी आपात स्थिति में उस नंबर पर कॉल कर त्वरित सहायता प्राप्त कर सकेंगे।
मुख्य सचिव झारखंड मंत्रालय स्थित अपने सभा कक्ष में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, झारखंड इकाई के प्रतिनिधियों के साथ डॉक्टरों से जुड़े विभिन्न मसले पर वार्ता कर रहे थे। इससे पहले आइएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एके सिंह ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर कई बिंदुओं पर ध्यान देने की मांग की थी। बैठक में मुख्य सचिव इसका भी जिक्र किया। डॉ सिंह ने इस पर मुख्य सचिव का आभार जताया है।
मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने का होगा प्रयासः आइएमए की ओर से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने की मांग पर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार इस मसले को अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों और क्लीनिकों के प्रबंधन को भी अपना व्यवहार नियंत्रित करने की जरूरत है। उन्होंने डॉक्टर और मरीज के बीच सद्भावना और अपनेपन के रिश्ते पर जोर देते हुए कहा कि इससे तनावपूर्ण स्थिति से बचा जा सकता है। गौरतलब है कि देश के 19 राज्यों में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट अलग-अलग नामों से लागू है तथा डॉक्टरों से दुर्व्यवहार करनेवालों को तीन वर्ष की सजा के साथ जुर्माना का प्रावधान है।
क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट बनेगा व्यवहारिकः मुख्य सचिव ने राज्य में क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट को व्यवहारिक बनाने की मांग पर सहमति जताते हुए मेडिकल एसोसिएशन से प्रस्ताव देने को कहा। रिंची हास्पिटल के घायल डॉक्टर को सरकारी सहायता देने की मांग पर स्पष्ट किया गया कि ऐसा कोई सरकारी प्रावधान नहीं है, लेकिन मानवता के नाते सरकार से इस पर बात की जाएगी। साथ ही कहा गया कि रिंची हास्पिटल मामले के अनुसंधान में जो भी दोषी होगा, उसपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं भ्रूण परीक्षण में आरोपी महिला चिकित्सक के मामले में कहा गया कि मामला न्यायालय के विचाराधीन है।
बायो मेडिकल वेस्ट का जल्द लें लाइसेंसः मुख्य सचिव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के आलोक में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को यथाशीघ्र बायो मेडिकल वेस्ट का लाइसेंस लेने को कहा। उन्होंने कहा कि इसकी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन तथा पारदर्शी है। जो भी क्लिनिक संचालक लाइसेंस लेने में देर करेंगे, वे कानूनी दायरे में आ जाएंगे। इसलिए किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए समय रहते नियमों का पालन करें।
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