Chhath Puja 2020 First Arghya Today: आया महापर्व का पावन दिन, आज दिया जाएगा अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
Chhath Puja 2020 First Arghya Today चार दिवसीय छठ महापर्व का शुभारंभ बुधवार को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ था। दूसरे दिन गुरुवार को खरना था। दिन भर व्रत के बाद शाम को व्रतियों ने खरना का प्रसाद तैयार किया। पूजा और प्रसाद ग्रहण के बाद खरना संपन्न हुआ।
धनबाद, जेएनएन। Chhath Puja 2020 First Arghya Today लोक आस्था का महान पर्व छठ पूजा का पावन दिन आ गया है। आज (शुक्रवार, 20 नवंबर) को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ के पर्व के प्रथम अर्घ्य पर सूर्यास्त का समय 16:57 बजे है। प्रथम अर्घ्य के बाद अगले दिन यानी शनिवार सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सूर्योदय का संभावित समय 06: 03 बजे है। उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व 2020 संपन्न हो जाएगा।
खरना के बाद शुरू हुआ 36 घंटे का निर्जला व्रत
चार दिवसीय छठ महापर्व का शुभारंभ बुधवार को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ था। दूसरे दिन गुरुवार को खरना था। दिन भर व्रत के बाद शाम को व्रतियों ने खरना का प्रसाद तैयार किया। पूजा और प्रसाद ग्रहण के बाद खरना संपन्न हुआ। इसके बाद 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू हुआ। शुक्रवार को व्रतियां डाला में फल और सब्जी आदि का प्रसाद लेकर नदी, तालाब, डैम और पोखरों के घाट पर पहुंचेंगी। डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी।
अर्ध्य देने से छठी मैया हर एक प्रकार की मनोकामना करती है पूर्ण
छठ पूजा का पहला अर्ध्य के लिए छठ तालाब जाने से पूर्व घर के आस-पास सड़कों, गलियों को अच्छी तरह साफ सफाई कर पानी का छिड़काव करते हैं। इस दौरान तालाब समिति की ओर से भी छठ घाटों की सफाई करते हैं। दोपहर के 3:00 बजने के बाद जगह-जगह से लोग पूजा करने के लिए तालाब स्वजनों के साथ जाने लगते हैं। इस वक्त कई लोग ढोल ढाक व छठ गीत गाते हुए जाते है। धीरे-धीरे तालाब परिसर में छठ व्रतियों तथा श्रद्धालुओं की भीड़ होने लगती है।सभी अर्ध्य देने के लिए सूर्यास्त का इंतजार करते हैं। जैसे-जैसे सूरज की किरणें डूबने लगती है। सभी पूजा पाठ व छठ पूजा की पहला अर्घ देने लगते हैं। इसके बाद सभी घर के लिए प्रस्थान करते हैं।
सुबह के अर्घ्य का खास महत्व
सुबह होते ही स्नान कर फिर उसी छठ गीत गाते हुए तालाब पहुंचते हैं। जैसे-जैसे सूर्योदय का समय होने लगता है तालाब की भीड़ और अधिक बढ़ने लगती है। सूर्योदय होते ही सभी छठ व्रतियों स्वजनों के साथ तालाब में घुसकर भगवान भास्कर की ओर अर्ध्य देते हैं। सुबह के अर्ध्य का महत्व अधिक माना जाता है। कहा जाता है कि जो भी मनोकामना हो छठी मैया पूर्ण करती है। घर की महिला छठ व्रती के चारों ओर स्वजनों खड़े होकर पीतल के लोटे से दूध अर्पित करते हैं। अर्ध्य के बाद छठ व्रतियों घर केेेे लिए जाती है उस दौरान कई लोग उनसे छठ पूजा के प्रसाद के रूप में ठेकुआ मांगते हैं।