53 साल बाद बदलने जा रहा खनन व्यावसायिक प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम, जानिए वजह
कोल इंडिया में खासकर भूमिगत खदानों की संख्या में कमी आई है। 72 फीसदी से अधिक कोयला उत्पादन खुली परियोजना से हो रहा है। ऐसे में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
धनबाद, आशीष अंबष्ठ। कोल, मेटल, पत्थर सहित अन्य खदानों में काम करने वाले लोगों के बेहतर व सरल व्यावसायिक प्रशिक्षण का खाका तैयार किया जा रहा है। खदानों में जहां पहले मैनुअल काम पर जोर दिया जाता था, आज उसमें बदलाव हुआ है। अब अधिकांश काम मशीनीकरण के जरिए हो रहा है। इस कारण बदलाव की जरूरत महसूस की गई। नियम पुराने रहने के कारण काम करने में वर्तमान समय में कई तरह की कठिनाई आ रही है। कोल इंडिया, सेल, सिंग्र्रेनी, टाटा, मेटल, स्टोन माइंस, प्राइवेट माइंस सहित में काम करने वाले करीब आठ लाख श्रमिकों को इससे जोडऩे की तैयारी है। इसमें ठेका मजदूरों को भी शामिल किया गया है। खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) 53 साल बाद बदलेगा।
भूमिगत व खुली खदान के तरीके में बदलाव : कोल इंडिया में खासकर भूमिगत खदानों की संख्या में कमी आई है। 72 फीसदी से अधिक कोयला उत्पादन खुली परियोजना से हो रहा है। ऐसे में उसके प्रशिक्षण व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
अभी व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था : मौजूदा समय में डीजीएमएस के नियम के तहत कंपनी में योगदान देने वाले लोगों को एक माह का प्रशिक्षण व्यावसायिक प्रशिक्षण (वीटीसी) के माध्यम से दिया जाता है। इसके अलावा प्रबंधन को जरूरत पडऩे पर बीच बीच में प्रशिक्षण देती है।
कमेटी कर रही अध्ययन : डीजीएमएस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार खान व्यावसायिक प्रशिक्षण नियममें बदलाव कैसे लाया जाए। इसका स्वरूप कैसा हो। लोगों को सरलता से सभी जानकारी प्रशिक्षण के माध्यम से मिल सके, इसके लिए कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में आईएसएम, कोल इंडिया, एसईसीएल, निदेशक तकनीकी , सिंफर, डीजीएमएस, सिंग्रेनी के निदेशक तकनीकी आदि संस्थान के प्रतिनिधि को रखा गया है।
खान व्यावसायिक प्रशिक्षण नियम 1966 में बदलाव किया जाएगा। इसकी कार्रवाई शुरू हो गई है। मौजूदा समय में इसकी आवश्यकता है। लोगों को आसानी से प्रशिक्षण के माध्यम से जानकारी मिले, इसी को ध्यान में रखकर कमेटी रिपोर्ट तैयारी करेगी। वैसे रिपोर्ट आने के बाद अध्ययन होने के बाद उसे लागू किया जाएगा।
- उत्पल साह, डीजी, डीजीएमएस