अब रियल जिंदगी में नहीं दिखेगी चर्चित डॉक्यूमेंट्री ऑन द वे टू स्कूल की चंदा
अग्नि प्रभावित लिलोरीपथरा में अपनी मां व परिवार के साथ रहनेवाली अत्यंत गरीब चंदा पर वृत्तचित्र ऑन द वे टू स्कूल बनाई थी। यह वृत्तचित्र इंटरनेट पर खूब देखी गई।
झरिया, गोविन्द नाथ शर्मा। अंतरराष्ट्रीय चर्चित डॉक्यूमेंट्री ऑन द वे टू स्कूल की चंदा की दर्दनाक मौत शुक्रवार को राजापुर परियोजना झरिया में अवैध कोयला खनन के दौरान हो गई। 13 वर्षीय चंदा के साथ अवैध कोयला खनन के दौरान नागेश्वर महतो व पंकज कुमार भी मौत के मुंह में समा गये।
वर्ष 2016 में फ्रांस के पत्रकार-फोटोग्राफर एडुरेक ड्वेक व रसिया की आंद्रे जमीनी आग से प्रभावित शहर झरिया पहुंचे थे। यहां सामाजिक कार्यकर्ता पिनाकी राय के सहयोग से अग्नि प्रभावित लिलोरीपथरा में अपनी मां व परिवार के साथ रहनेवाली अत्यंत गरीब चंदा पर वृत्तचित्र ऑन द वे टू स्कूल बनाई थी। यह वृत्तचित्र इंटरनेट पर खूब देखी गई।
टूटी-फूटी झोपड़ी में रहनेवाली चंदा को उसी समय झरिया के गुजराजी हिंदी मध्य विद्यालय में पांचवीं कक्षा में पिनाकी की ओर से नामांकन कराया गया था। चंदा पढऩे में तेज थी। साथ ही परिवार को भी पाल रही थी। अभी वह सातवीं कक्षा की छात्रा थी। चंदा ही कोयला बेचकर मां सुशीला देवी सहित दो छोटी बहन व एक भाई का भरण पोषण कर रही थी। पहले यह काम उसकी मां करती थी। पिता कारु बिंद लखीसराय गांव में खेती की देखभाल करते हैं। चंदा की मौत पर पिनाकी व पूर्व पार्षद अनूप कुमार साव काफी दुखी हैं। चंदा की पढ़ाई व पाठ्य सामग्री देने का जिम्मा इन्हीं दोनों ने उठाया था। समय-समय पर चंदा को ये दोनों आर्थिक मदद भी करते थे। चंदा पिनाकी के पास उनके हेटलीबांध घर में पढऩे भी आती थी। दुखी पिनाकी का कहना है कि चंदा की दर्दनाक मौत को नहीं भूलेंगे।