Jagran Impact: बीसीसीएल सीएमडी, सीएमओ, पीएमसीएच प्राचार्य व अधीक्षक पर मुकदमा, पीपीई किट निस्तारण में लापरवाही का मामला
इंसिनरेटर में निस्तारण की जगह उन्हेंं अस्पताल के बाहर ही खुले में जलाया जा रहा है। स्वाब जांच करने वाला पॉलीप्रोप्लीन (कलेक्टिंग) स्टिक भी खुले में फेंका जा रहा है।
धनबाद, जेएनएन। कोयलांचल के चिकित्सा संस्थान अभी कोरोना से लड़ रहे हैं। संक्रमितों की पहचान और उनके बेहतर इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग हर बेहतर प्रबंध कर रहा है। लेकिन, कुछ मोर्चे पर ऐसी लापरवाहियां भी दिख रही हैं जो बड़े खतरे का कारण बन सकती है। 29 मई के अंक में दैनिक जागरण ने पीएमसीएच व सदर अस्पताल में पीपीई किट के निस्तारण में लापरवाही की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित कर अधिकारियों व आम जनता को सतर्क किया था। खबर छपने के बाद जहां सरकार के प्रधान सचिव ने इस तरह की लापरवाही पर कड़ी आपत्ती जताई थी, वहीं आम लोगों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। इसी कड़ी में बुधवार को धनबाद कोर्ट के अधिवक्ता डीके पाठक ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में जिम्मेवार अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा ठोका हैं।
इन्हेंं बनाया आरोपी
बीसीसीएल सीएमडी पीएन प्रसाद, सीएमओ डॉक्टर एके गुप्ता, पीएमसीएच के प्राचार्य डॉक्टर शैलेंद्र कुमार, पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ अरुण कुमार, झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर आरएन चौधरी।
क्या है आरोप : अधिवक्ता ने शिकायत वाद में आरोप लगाया कि उन्हेंं दैनिक जागरण में छपी खबर से यह जानकारी मिली कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टरों और कर्मचारियों द्वारा इस्तेमाल किए जानेवाले पीपीई किट को अस्पताल परिसर में जहां-तहां खोल कर रख दिया जा रहा है। इंसिनरेटर में निस्तारण की जगह उन्हेंं अस्पताल के बाहर ही खुले में जलाया जा रहा है। स्वाब जांच करने वाला पॉलीप्रोप्लीन (कलेक्टिंग) स्टिक भी खुले में फेंका जा रहा है। इससे संक्रमण फैलने की आशंका है। कोर्ट ने सुनवाई के लिए गुरुवार की तारीख निर्धारित की है।
आइसीएमआर की गाइडलाइन
कोरोना के इलाज में इस्तेमाल पीपीई व अन्य सुरक्षा किट को गारवेज बैग में लगभग चार घंटे तक 1000 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखना है। इसके बाद इंसिनरेटर में रखकर निस्तारण करना है। इसके बाद डिस्पोजल प्रक्रिया पूरी होती है। हालांकि पीएमसीएच के लैब में इसका पालन हो रहा है लेकिन अस्पताल के वार्ड में खुले में किट जलाए या फेंके जा रहे हैैं।
प्रधान सचिव ने भी जताई थी लापरवाही पर आपत्ति
खबर का स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने संज्ञान लिया और निर्देश जारी किया। इसके बाद सिविल सर्जन ने सदर अस्पताल का निरीक्षण कर बायो वेस्ट की जानकारी ली। इसके डिस्पोजल के लिए बायो जेनेटिक प्राइवेट लिमिटेड से करार किया है। यह संस्था झारखंड सरकार से मान्यता प्राप्त है। अब अस्पताल के बायो वेस्ट का डिस्पोजल यह एजेंसी करेगी। अभी तक डिस्पोजल की व्यवस्था नहीं थी। बता दें कि सदर अस्पताल और पीएमसीएच में खुले में पीपीई किट, मास्क, ग्लव्स, कैप, शूज कवर जहां-तहां फेके गए थे। सदर अस्पताल के पीछे कई जगहों पर स्वाब लेने वाला कलेंक्टिग स्टिक भी फेंका था। निर्देश के बाद पीएमसीएच और सदर अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया है।