Move to Jagran APP

बाबा मंदिर का संरक्षण कर राजकीय धरोहर घोषित करने के लिए झरिया विधायक से मिला प्रतिनिधिमंडल

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग रांची श्रीश्री बूढ़ा बाबा शिव मंदिर झींझी पहाड़ी को नौवीं-दसवीं शताब्दी का धरोहर बता चुका है। इसे राजकीय धरोहर घोषित करने के लिए श्रीश्री बूढ़ा बाबा शिव मंदिर सेवा ट्रस्ट झींझी पहाड़ी कतरास बाजार का एक प्रतिनिधिमंडल झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह से मिला।

By Atul SinghEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 07:52 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 07:52 AM (IST)
बाबा मंदिर का संरक्षण कर राजकीय धरोहर घोषित करने के लिए झरिया विधायक से मिला प्रतिनिधिमंडल
बूढ़ा बाबा शिव मंदिर सेवा ट्रस्ट झींझी पहाड़ी कतरास बाजार का एक प्रतिनिधिमंडल झरिया विधायक से मिला। (जागरण)

जागरण संवाददाता, धनबाद : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग रांची श्रीश्री बूढ़ा बाबा शिव मंदिर झींझी पहाड़ी को नौवीं-दसवीं शताब्दी का धरोहर बता चुका है। इसे राजकीय धरोहर घोषित करने के लिए श्रीश्री बूढ़ा बाबा शिव मंदिर सेवा ट्रस्ट झींझी पहाड़ी कतरास बाजार का एक प्रतिनिधिमंडल झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह से मिला।

loksabha election banner

सदस्यों ने झींझी पहाड़ी के श्री बूढ़ा बाबा शिव मंदिर को संरक्षित एवं राजकीय धरोहर घोषित करने की पहल करने की मांग की। ट्रस्ट के अध्यक्ष एलपी महतो ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग रांची इस मंदिर को नौवीं-दसवीं शताब्दी काल का धरोहर घोषित कर चुका है। अब झारखंड सरकार को इसे संरक्षित एवं राजकीय धरोहर घोषित करना चाहिए।

झारखंड सरकार के पर्यटन निदेशक ने उपायुक्त धनबाद को इसके पर्यटकीय दृष्टिकोण से विकास किए जाने को लेकर भूमि उपलब्धता एवं विकास के लिए प्रतिवेदन पहले से ही मांग रखा है। ट्रस्ट की ओर से भी बूढ़ा बाबा मंदिर स्थल पर भूमि अधिग्रहण एवं पर्यटकीय संभावना पर अपना मंतव्य उपायुक्त को सौंपा जा चुका है। महतो ने झरिया विधायक को एएसआइ की जांच रिपोर्ट, पर्यटन निदेशक का उपायुक्त को भेजा गया पत्र और ट्रस्ट की ओर से उपायुक्त को दिए गए आवेदन की छायाप्रति भी गई।

ट्रस्ट के दिए आवेदन पर पूर्णिमा नीरज सिंह ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रमाणित झींझी पहाड़ी का सरंक्षित राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग उचित मंच पर रखने का आश्वासन दिया। पूर्णिमा ने बताया कि यह सिर्फ राजकीय ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय धरोहर भी है।

एक हजार वर्ष पुराना है बूढ़ा बाबा मंदिर

भारतीय पुरातत्त्व विभाग की टीम 2019 में यहां जांच करने पहुंची थी। टीम ने अपनी रिपोर्ट में मंदिर को नौवीं या दसवीं शताब्दी का बताया था। मंदिर के अंदर दो शिवलिंग गर्भ है। विभाग ने इसकी संरचना को ओडिशा के कलिंगा के एक मंदिर रेखा-डुला से मिलता-जुलता बताया है। यह मंदिर पूर्व मध्यकालीन (यानी 1000 वर्ष पूर्व) का है। इसकी ऊंचाई 28 फीट है। दो भागों में बंटे मंदिर का पहला भाग (तल्ला) 18 फीट तथा दूसरा भाग (तल्ला) 10 फीट है। मुख्य द्वार 3.3 फीट का है। इसके पत्थरों में कई कलाकृतियां हैं। आज भी कलाकृतियां पत्थरों पर जस का तस बनी हुई हैं। ग्रामीण तो यहां तक कहते हैं कि भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं इसका निर्माण किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.