कई विकसित देशों में शोध को भी कैंसर मरीज नहीं
महिला चिकित्सक डॉ. संगीता कर्ण ने कॉलेज की पीजी छात्राओ को जीवन शैली मे बदलाव करने के सुझाव दिये।
जागरण संवाददाता, धनबाद : विश्र्व मे ऐसे कई ऐसे भी विकसित देश है जहां शोध के लिए भी कैसर के मरीज नही है। यह इस वजह से मुमकिन है क्योकि उन देशो मे जागरुकता है। पर भारत मे कैसर से मरने वालो की संख्या काफी है। इससे बचाव के लिए उपचार के साथ-साथ जागरुकता भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह बाते चिलारंजन राष्ट्रीय कैसर संस्था, कोलकाता से आए विशेषज्ञ डॉ. रंजीत मंडल ने कही। वह बुधवार को पीके राय मेमोरियल कॉलेज के एनएसएस इकाई तीन की ओर से सर्वाइकल और स्तन कैसर विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि सर्वाइकल कैसर के साथ-साथ महिलाओ मे स्तन कैसर के मामले बढ़ रहे है। इसके उपचार के लिए नई तकनीक विकसित हुई है। पर उपचार से ज्यादा जरूरी जागरुकता है। अगर हम जागरूक बने तो कैसर की नौबत ही नही आएगी।
शहर की प्रख्यात महिला चिकित्सक डॉ. संगीता कर्ण ने कॉलेज की पीजी छात्राओ को जीवन शैली मे बदलाव करने के सुझाव दिये। डॉ. रेणु उपाध्याय ने कहा कि महिलाएं अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए व्यायाम करे। शरीर मे होनेवाली हर छोटी समस्या को गंभीरता से ले और उसका समय पर उपचार कराएं। नियमित चिकित्सकीय परामर्श लेने के सुझाव दिये। डॉ. संजीव कुमार ने कैसर के कारणो से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी। साथ ही बचाव के तौर-तरीके भी बताए। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. डीआर प्रियदर्शी ने कहा कि स्वस्थ सोच, गुणवलाायुक्त भोजन और सादे जीवन शैली से रोगो से बचाव संभव है। कार्यक्रम मे प्राचार्य डॉ. बीके सिन्हा, प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. एसकेएल दास, एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. जितेद्र आर्यन सहित काफी संख्या मे पीजी की छात्राएं उपस्थित थी।