प्रस्ताव के बाद भी एके राय के नाम पर नहीं हुआ PMCH का नामकरण, ट्विटर पर फिर तेज हुआ अभियान Dhanbad News
पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (PMCH) धनबाद का नाम बदलकर शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हो गया है। इसपर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
धनबाद, जेएनएन। पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (PMCH) धनबाद का नाम बदलकर शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हो गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वतंत्रता दिवस के दिन इसकी घोषणा की। इसके बाद लोगों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई हैं। लोगों का कहना है कि शहीद निर्मल महतो का विरोध नहीं है, लेकिन वर्ष 2016 से कामरेड एके राय के नाम पर पीएमसीएच का नामकरण को लेकर आंदोलन चला था। इसके लिए नगर निगम ने बोर्ड की बैठक कर प्रस्ताव पारित किया। कई संगठन ने भी सरकार को पत्र लिखा, लेकिन अब सम्मान नहीं मिलने के बाद लोग काफी मायूस हैं।
बता दें कि 1969 में पीएमसीएच की स्थापना पटना में हुई थी। इस कारण इसका नाम पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पड़ा। इसके बाद यह कॉलेज धनबाद आ गया, लेकिन नाम में बदलाव नहीं हुआ था। पीएमसीएच का नाम पुनः बदलने को लेकर ट्विटर पर अभियान शुरू हो गया है। विभिन्न संगठनों के छात्र और नौजवान मुख्यमंत्री को हैश टैग कर रीट्वीट कर रहे हैं।
नगर निगम ने 14 नवंबर 2017 को प्रस्ताव पारित किया : कामरेड एके राय के नाम पर पीएमसीएच का नामकरण को लेकर 14 नवंबर 2017 को नगर निगम की बोर्ड में प्रस्ताव पारित हुई। सर्व सहमति से एके राय के नाम पर मुहर लगाई गई। फिर इस प्रस्ताव को सरकार के पास भेजा दिया गया। इससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसके लिए एक टोल फ्री नंबर जारी किया, जिसके माध्यम से पीएमसीएच के नामकरण पर लोगों की सहमति मांगी गई।
नाराज हैं समर्थक व शुभचिंतक : एके राय के निधन के बाद तत्कालीन मंत्री अमर बाउरी ने भी उनके नाम पर पीएमसीएच का नामकरण करने की घोषणा की थी। इसके बाद यह माना जा रहा था कि राय दा को उचित सम्मान मिलेगा, लेकिन अब घोषणा के बाद समर्थक, शुभचिंतक व अन्य लोग काफी मायूस है। छात्र नेता सोमनाथ चक्रवर्ती, आलोक लालचंद ने तो ट्विटर पर आंदोलन शुरू कर दिया है। समर्थकों का कहना है शहीद निर्मल महतो का वह सम्मान करते हैं, लेकिन राय दा को सम्मान मिलना चाहिए था।
पीएमसीएच का नाम एके राय के नाम पर करने के लिए नगर निगम की ओर से बोर्ड में प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके बाद इसे सरकार के पास भेजा गया, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। धनबाद में भी एक से बढ़कर एक विभूतियां है। राय दा का व्यक्तित्व काफी बड़ा है। -चंद्रशेखर अग्रवाल, पूर्व मेयर, नगर निगम, धनबाद।