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इस दिवाली गाय के गोबर से बने दीये जलाइए; घर होगा पवित्र, महकेगा मन और बढ़ेगा धन Dhanbad News

दीया बनाने में सिर्फ गाय के गोबर का प्रयोग किया जा रहा है। क्योंकि गाय को सनातन संस्कृति में मां का स्थान प्राप्त है और इसके गोबर को पवित्र माना जाता है।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 09:44 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 09:44 AM (IST)
इस दिवाली गाय के गोबर से बने दीये जलाइए; घर होगा पवित्र, महकेगा मन और बढ़ेगा धन Dhanbad News
इस दिवाली गाय के गोबर से बने दीये जलाइए; घर होगा पवित्र, महकेगा मन और बढ़ेगा धन Dhanbad News

धनबाद [आशीष सिंह]। गाय के गोबर से खाद और बायो गैस बनने के बारे में आपने जरूर सुना होगा, लेकिन इस दिवाली में गोबर के बने दीये, लक्ष्मी-गणेश, शुभ लाभ, स्वास्तिक एवं ओम-श्री का सिक्का घर ले आइए। भूली के रहने वाले स्नातक  पीयूष ने नागपुर से प्रशिक्षण लिया और गाय के गोबर से इसी वर्ष से इन चीजों का निर्माण कर रोजगार की राह खोल दी। एक दीया 50 मिनट तक जलता है। इनकी मांग भी बढ़ी है। गिरिडीह, बोकारो तक गोबर से बने दीया और गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति की आपूर्ति हो रही है। बकौल पीयूष झारखंड में गोबर से ऐसे उत्पाद का निर्माण पहली बार हो रहा है। गोबर से बने एक दीये की कीमत महज दो रुपये है।

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पीयूष बताते हैं कि दीया बनाने में सिर्फ गाय के गोबर का प्रयोग किया जा रहा है। क्योंकि गाय को सनातन संस्कृति में मां का स्थान प्राप्त है और इसके गोबर को पवित्र माना जाता है। इसे गंगा गोशाला से लेते हैं। इससे पहले पीयूष ने आधा किलो गोबर से 100 राखियां बनाने का प्रयोग किया था। वे हाथों हाथ बिक गई थीं। पीयूष ने सिटी कॉलेज बोकारो से स्नातक किया है।

ऐसे बनता गोबर का दीया : सबसे पहले गाय का गोबर लेकर इसे सुखा लिया जाता है। इसके बाद पीसकर छान लेते हैं। ढाई किलो गोबर में एक किलो प्रीमिक्स मिलाते हंै। यह गोबर के कणों को आपस में बांधता है। इससे मिश्रण में चिकनाहट भी आती है। प्रीमिक्स को उड़द दाल, मेथी दाना और गोंद से तैयार करते हैं। इसे गोबर के साथ मिलाकर पेस्ट बनाते हैं। उसे फाइबर और रबर के बने सांचे में डालकर मनचाहे आकार में ढाल लिया जाता है। सांचे की आकृति के अनुरूप निकले दीये व अन्य उत्पाद धूप में सुखा लेते हैं। दीया सूखने में डेढ़ से दो और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को सूखने में ढाई से तीन दिन का समय लगता है। सूखने के बाद दीये के अंदरूनी  हिस्से में तेल और गोंद का लेप किया जाता है। इससे दीये में बाती जलने में सरलता आती है। मूर्तियों को रंगने में प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग किया जाता है। आठ घंटे काम के करने पर एक हजार गोबर के दीया बनते हैं। पीयूष ने प्रेम विवाह किया है। उनकी पत्नी शकीला और तीन दोस्त बिट्टू शर्मा, साकिब हुसैन और प्रिंस कुमार सिंह भी इसमें मदद करते हैं।

गोबर से बने उत्पाद और दाम

उत्पाद              दाम (रुपये)

दीया                   दो

ओमश्री  सिक्का    20 से 30

स्वास्तिक सिक्का    20 से 30

गणेश-लक्ष्मी मूर्ति     300

शुभ-लाभ छोटा       20

शुभ-लाभ            100

गोबर की धूप बत्ती    05

पीयूष का कहना हैः अभी तो सिर्फ गाय के गोबर से दीये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां बना रहे हैं। गिरिडीह से पांच हजार और बोकारो से तीन हजार दीया का ऑर्डर मिला है। मांग के अनुरूप दीये उपलब्ध नहीं करा पा रहा हूं। हमारी अगली योजना नेम प्लेट, भगवान शिव, गौतम बुद्ध समेत अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने की है। इस काम से हम स्वदेशी को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे हमें मानसिक सुकून के साथ आत्मसंतोष की अनुभूति होती है।


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