झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की पिस्टल चोरी, खुद थाने में दिया आवेदन, 188 दिन बाद आया पुलिस का जवाब
बोकारो में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पिस्टल चोरी हो गई... गोलियों के साथ! मामला नौ महीने पुराना है लेकिन चर्चा में अब आया है। दरअसल छह सितंबर 2021 को सेक्टर पांच ए के आवास संख्या 3030 निवासी हेमंत सोरेन ने सेक्टर छह थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई।
बोकारो [अरविंद]: बोकारो में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पिस्टल चोरी हो गई... गोलियों के साथ! मामला नौ महीने पुराना है, लेकिन चर्चा में अब आया है। दरअसल छह सितंबर 2021 को सेक्टर पांच ए के आवास संख्या 3030 निवासी हेमंत सोरेन ने सेक्टर छह थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। बताया कि आवास से उनकी लाइसेंसी पिस्टल व गोलियां किसी अज्ञात ने चुरा ली। खैर, बोकारो पुलिस ने प्राथमिकी तो दर्ज कर ली, लेकिन काम अपने हिसाब से ही करेगी। घर से महज 20 कदम दूर पड़ी पिस्टल को पुलिस जाने कहां ढूंढ़ रही थी कि 188 दिन यूं ही गुजार दिए। इस वर्ष 12 मार्च को पुलिस ने कोर्ट में आवेदन देकर बताया कि पिस्टल को घर के पास स्थित झाडि़यों से बरामद कर लिया गया है। गोलियां व मैगजीन भी बरामद हो गई हैं। बहरहाल, लोग चाहे जो समझें, पुलिस की इज्जत तो बच ही गई।
मंत्रीजी का जिला बना मयखाना: राज्य के तेज-तर्रार नेताओं में गिने जाने वाले डुमरी के विधायक जी को मंत्रालय मिला। शिक्षा के साथ शराब भी। इसी उम्मीद में कि वह दाेनों को एक साथ देख लेंगे, लेकिन उनकी इस काबिलियत पर विभाग के लोग ही दाग लगा रहे। वित्तीय वर्ष 2021 में उत्पाद विभाग की टीम ने जिलेभर में 919 लीटर देशी-विदेशी शराब जब्त की, लेकिन अब शराब से तौबा कर चुके बिहार के जमुई जिले की पुलिस आई ताे एक ही बार में 6936 लीटर शराब ढूंढ़ लिया। वैशाली जिले की पुलिस ने तो 8914 लीटर शराब पकड़कर जमुई का भी रिकाॅर्ड तोड़ दिया। इन दो बड़ी बरामदगी के अलावा पटना, मुजफ्फरपुर, बांका समेत बिहार के अन्य जिलों में भी बोकारो की शराब पकड़ाई। अब नया मामला चास में 1200 पेटी से अधिक की बरामदगी का है। कुल मिलाकर मंत्रीजी का जिला मयखाना बना हुआ है और उत्पाद विभाग मदहोश है।
रग-रग से वाकिफ हैं...: बहुचर्चित मिश्रा परिवार हत्याकांड में सीआइडी अंतिम कड़ी जोड़ने में जुटी है। हालांकि 22 साल से जो मामला रेंग रहा हो, उसमें आसानी से कुछ भी कैसे हो सकता है! आरोप है कि हत्याकांड के बाद मौके से जब्त किया गया प्रदर्श मालखाना से बदल दिया गया। मामले के एक सिरे को पकड़कर ढूंढ़ते हुए सीआइडी तब मालखाना के प्रभारी रहे दारोगा सिंह के पास पहुंच गई। हालांकि जब सीआइडी ने जवाब मांगा तो सेवानिवृत्त दारोगा मौखिक बयान देने से मुकर गए। कहने लगे कि बोल सकते। इस उम्र में याद भी कम ही रहता है। बताया जा रहा है कि उनका बयान सीआइडी तक लिखित रूप में पहुंच भी चुका है। अब दारोगा जी विभाग की रग-रग से वाकिफ तो होंगे ही। इसलिए लिखकर कहानी ही खत्म कर दी, वरना मौखिक जवाब देने में कहीं सवालों में उलझते, तब तो बुढ़ापे में जाने क्या-क्या दिन देखने होते।
चोर के साथ-साथ अनुसंधानकर्ता भी गायब: हरला थाना में तैनात सिपाही मोहन सरदार को 2014 में पांच अक्टूबर की रात शराब के नशे में धुत बाइक सवार ने टक्कर मार दी। घायल सिपाही ने एफआइआर दर्ज कराई, लेकिन आज तक जांच पूरी नहीं हुई। ठीक इसी तरह 12 सितंबर 2016 को सेक्टर आठ ए निवासी किशोर कुमार की बाइक चोरी का केस चल ही रहा है। सेक्टर आठ डी निवासी लिपिका दास के साथ उसी वर्ष मई में झपटमारी हुई थी, लेकिन अनुसंधान अब भी जारी है। वैद्यमारा उत्क्रमित मध्य विद्यालय में चोरी की एफआइआर 20 मार्च 2015 को दर्ज कराई गई, लेकिन मामले में सात साल में क्या हुआ, यह किसी को नहीं पता। बड़ी बात तो यह है कि इन सारे मामलों के अनुसंधानकर्ता एक ही हैं। अब सारी फाइलें बंद करने से पहले पुलिस यह नहीं तय कर पा रही कि आरोपितों को ढूंढ़ें या फिर गायब अनुसंधानकर्ता को!