इस लोकसभा चुनाव में बदला-बदला सा है झरिया भाजपा विधायक कार्यालय का माहौल
पिछले डेढ़ दशक के दौरान लोकसभा व विधानसभा चुनाव के दौरान कतरास मोड़ स्थित विधायक सह जमसं का केंद्रीय कार्यालय हमेशा भाजपा व जनता मजदूर संघ (जमसं) कार्यकर्ताओं से गुलजार रहता था।
जागरण संवाददाता, झरिया: पिछले डेढ़ दशक के दौरान लोकसभा व विधानसभा चुनाव के दौरान कतरास मोड़ स्थित विधायक सह जमसं का केंद्रीय कार्यालय हमेशा भाजपा व जनता मजदूर संघ (जमसं) कार्यकर्ताओं से गुलजार रहता था। चुनाव के दौरान कार्यालय भाजपा के झंडों से अटा पड़ा रहता था। लेकिन विधायक संजीव के अनुज सह जमसं के संयुक्त महामंत्री सिद्धार्थ गौतम के लोकसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लडऩे की घोषणा व 22 अप्रैल को नामांकन करने की घोषणा से अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई है। कार्यालय से भाजपा के झंडे एक सप्ताह पूर्व ही पूरी तरह से हटा दिए गए हैं। झरिया विधानसभा के भाजपा मंडल के अध्यक्ष व अन्य भाजपा कार्यकर्ता जो हमेशा कार्यालय में आते-जाते थे। पिछले 10 दिनों से आना-जाना बंद कर चुके हैं। सिर्फ जमसं के लोग ही दिख रहे हैं। सिद्धार्थ के निर्दलीय चुनाव लडऩे के निर्णय से भाजपा में खलबली है।
मां व झरिया की पूर्व विधायक कुंती देवी व बहन किरण सिंह के सिद्धार्थ के साथ होने के कारण धनबाद लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को व सिंह मेंशन को लेकर लोगों में खूब चर्चा हो रही है।
राजीव रंजन के कारण परिवार हुआ था भाजपामय: झरिया के पूर्व विधायक सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद उनके बड़े पुत्र राजीव रंजन सिंह ने वर्ष 2000 में रांची भाजपा कार्यालय में जाकर प्रदेश के पदाधिकारियों के समक्ष भाजपा का दामन थामा था। राजीव ने झरिया विधानसभा से चुनाव लडऩे की पूरी तैयारी भी कर ली थी। इसी बीच वे लापता हो गई। काफी समय तक राजीव के नहीं लौटने पर उनकी माता ने झरिया विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। कुंती देवी लगातार दो बार झरिया से चुनाव जीती। इसके बाद संजीव सिंह झरिया से चुनाव लड़े। उन्होंने भी जीत हासिल की। संजीव अभी भी झरिया के विधायक हैं। राजीव का परिवार 19 वर्षों से भाजपा से जुड़ा है।