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350 करोड़ लेकर भी नहीं माना डीवीसी, बिजली आपूर्ति में 30 फीसद कट

बिजली बिल के एवज में डीवीसी का जेबीवीएनएल पर 33 सौ करोड़ रुपये बकाया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 03:15 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 06:45 PM (IST)
350 करोड़ लेकर भी नहीं माना डीवीसी, बिजली आपूर्ति में 30 फीसद कट
350 करोड़ लेकर भी नहीं माना डीवीसी, बिजली आपूर्ति में 30 फीसद कट

धनबाद, जेएनएन। कोयलांचल अभूतपूर्व बिजली संकट का सामना कर रहा है। 24 में 10 से 12 घंटे ही बिजली की आपूर्ति हो रही है। वह भी बाधित। ऐसा संकट झारखंड राज्य बनने के बाद 18 साल में पहली बार लोग देख और महसूस कर रहे हैं। नतीजतन, आम और खास लोगों में सत्ताधारी भाजपा के प्रति जबर्दस्त आक्रोश है। यह देख भाजपा के सांसद और विधायक डर गए हैं। उन्हें संयुक्त विपक्ष के बजाय अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बिजली से ही मुख्य मुकाबला दिख रहा है। धनबाद के सांसद पीएन सिंह और विधायक राज सिन्हा ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिल बिजली में सुधार के लिए त्वरित कदम उठाने की वकालत की है ताकि जनता के आक्रोश को थामा जा सके।

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डीवीसी के सामने झारखंड सरकार लाचार : झारखंड के धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, कोडरमा, हजारीबाग, रामगढ़ और जामताड़ा जिले डीवीसी के आते हैं। इन क्षेत्रों में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) से बिजली खरीद आपूर्ति करता है। बिजली बिल के एवज में डीवीसी का जेबीवीएनएल पर 33 सौ करोड़ रुपये बकाया है। बार-बार चेतावनी के बावजूद जेबीवीएनएल बकाया भुगतान नहीं कर रहा है। ऐसे में दबाव बनाने की खातिर डीवीसी चार किस्तों में दो-दो घंटे करीब 8 घंटे बिजली की कटौती कर रहा है। घोषित रूप से 30 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति में कटौती की जा रही है। वैसे अघोषित कुछ ज्यादा ही है। कटौती भी रात में होती है जब लोग गहरी नींद में सो रहे होते हैं-रात ग्यारह से एक और तीन से पांच। नींद में खलल पड़ने के बाद लोग बिस्तर पर बैठ भाजपा सरकार और जनप्रतिनिधियों को कोसते हुए रात जाया करते हैं। डीवीसी के दबाव में आकर जेबीवीएनएल ने 350 करोड़ का भुगतान किया है। इसके बावजूद डीवीसी नहीं मान रहा है। उसका कहना है कि वह खुद ग्यारह सौ करोड़ कर्ज में डूबा हुआ। यह कर्ज उसे कोयला और दूसरे उत्पाद की खरीदारी में हुआ है। आने वाले दिनों में और अधिक बिजली कटौती की डीवीसी ने चेतावनी दी है।

सांसद और विधायक ने मुख्यमंत्री से मिल की बिजली में सुधार की मांग: बिजली संकट से परेशान जनता जनप्रतिनिधियों से सवाल कर रही है। उसका कहना है कि हम जेबीवीएनएल को बिजली बिल का भुगतान करते हैं। हमें बिजली चाहिए। हम डीवीसी को नहीं जानते हैं। इस सवाल का जनप्रतिनिधियों के पास कोई जवाब नहीं है। 15 सिंतबर 18 को रांची में झारखंड प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक थी। बैठक में धनबाद के सांसद पीएन सिंह और विधायक राज सिन्हा ने मुख्यमंत्री से मिलकर बिजली संकट की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया। सांसद ने बताया कि मुख्यमंत्री ने समस्या का जल्द ही समाधान करने का आश्वासन दिया है। मालूम हो कि झारखंड में बिजली विभाग मुख्यमंत्री के ही पास है। 16 सितंबर की रात झारखंड प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री धर्मपाल धनबाद में थे। पार्टी के विधायक राज सिन्हा और भाजपा जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह ने महामंत्री से मुलाकात कर बिजली संकट की जानकारी दी। कहा, व्हाट्सअप के माध्यम से जनता जनप्रतिनिधियों से इस्तीफा मांग रही है। बिजली संकट से भाजपा के खिलाफ माहौल बन रहा है। मंत्री और सहयोगी दल के विधायक भी नाराज : बिजली संकट को लेकर राज्य के मंत्री सरयू राय भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने बिजली संकट को गंभीरता से लेने की मांग की है। भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी के विधायक राज किशोर महतो भी खासे नाराज हैं। उन्होंने कहा है कि राज्य में बिजली व्यवस्था चौपट हो गई है। भाजपा का कोर समर्थक विरोध में सड़क पर : उद्योग धंधे और व्यापार से जुड़े लोग भाजपा के कोर समर्थक माने जाते हैं। इन्हें भी बिजली संकट ने नाराज कर दिया है। 12-12 घंटे बिजली नहीं रहने के कारण उद्योग-धंधे चौपट हो रहे हैं। शाम का समय दुकानदारी का होता है, इसी समय बिजली चली जाती है। इससे दुकानदार काफी नाराज हैं। जिला चेंबर ने तो धनबाद में अभियान ही छेड़ रखा है। भाजपा के जनप्रतिनिधियों के बीच लालटेन बांटा जा रहा है। बैंक मोड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सुरेंद्र अरोड़ा कहते हैं-पहले धनबाद में बिजली की आपूर्ति बहुत अच्छी थी। बिहार-झारखंड में लोग धनबाद का उदाहरण देते थे। आज सबसे बदतर है। दु:ख की बात यह है कि सुधार के प्रति जिम्मेवार लोग गंभीर नहीं दिख रहे हैं।


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