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Jharkhand ByElection Result 2020: चुनाव से पहले देव तुल्य कार्यकर्ताओं को बताया कुकुर, इसी वजह से झारखंड में चुनाव हार रही भाजपा

Jharkhand ByElection Result 2020 भूली के भाजपा नेता सत्येंद्र ओझा ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि भाजपा कार्यकर्ता चुनाव से पहले देव तुल्य और चुनाव के बाद कुकुर तुल्य हो जाते हैं। इसी वजह से पार्टी झारखंड में चुनाव हार रही है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 12:49 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 12:54 PM (IST)
Jharkhand ByElection Result 2020: चुनाव से पहले देव तुल्य कार्यकर्ताओं को बताया कुकुर, इसी वजह से झारखंड में चुनाव हार रही भाजपा
भूली के भाजपा नेता सत्येंद्र ओझा का सोशल मीडिया पर लिखा पोस्ट। (साभार)

धनबाद, जेएनएन। Jharkhand ByElection Result 2020 दुमका और बेरमो विधानसभी सीटों पर हुए उपचुनाव का परिणाम आते ही कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने भड़ास निकालनी शुरू कर दी है। पार्टी पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने का आरोप फिर लगाने लगा है। इसमें सुधार नहीं आने पर भविष्य में और बुरे परिणाम भुगतने को तैयार रहने की चेतावनी देनी शुरू कर दी है।

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भूली के भाजपा नेता सत्येंद्र ओझा ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि भाजपा कार्यकर्ता चुनाव से पहले देव तुल्य और चुनाव के बाद कुकुर तुल्य हो जाते हैं। इसी वजह से पार्टी झारखंड में चुनाव हार रही है। विधानसभा चुनाव के बाद उपचुनाव में भी पार्टी की हार कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का ही परिणाम है। बेरमो और दुमका का परिणाम यही दर्शाता है। पार्टी नहीं सुधरी तो भविष्य में और बुरे परिणाम होंगे। साथ ही ओझा ने लिखा है मोदी है तो मुमकिन है। भारत माता की जय के नारे भी लगाए हैं।

बता दें कि बेरमो और दुमका दोनों ही सीटों पर भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशियों को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। जबकि पूरी प्रदेश कमेटी इन दो सीटों पर लगी हुई थी। सभी दिग्गज नेता, चाहें वो नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी हो या सीपी सिंह, यहां तक कि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी चुनाव प्रचार कर रहे थे। दोनों ही जगह हार के बाद जिले के भाजपा कार्यकर्ता भी निरुत्साहित हुए हैं। वरिष्ठ नेताओं की ओर से कहीं से कोई प्रतिक्रिया चुनाव पर नहीं दी गई है।

दबी जुबान कार्यकर्ता पार्टी में एक पक्षीय निर्णय की बढ़ती प्रवृत्ति को बता रहे हैं। रायशुमारी के बाद भी मंडल अध्यक्षों और जिला कमेटियों की घोषणा नहीं होने की वजह से धनबाद सहित अधिकांश जिलों में जिला अध्यक्ष को छोड़ कमेटी में कोई भी पदाधिकारी घोषित तौर पर नहीं है। यह स्थिति तकरीबन 6 महीने से है। इससे संगठन पर बुरा असर पड़ा है। कार्यक्रमों का निर्धारण भी अब जिला स्तर पर या नगर मंडल इकाई स्तर पर ना होकर प्रदेश स्तर पर होता है। स्थानीय मुद्दे गौण रह जाते हैं।


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