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Jharkhand Assembly Election 2019: महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव परिणाम के बाद BJP नेतृत्व सतर्क, एक दर्जन MLA हो सकते बेटिकट

महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम भाजपा की अपेक्षा के अनुरूप नहीं आया है। इसलिए भाजपा झारखंड को लेकर सतर्क हो गई है।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 04:03 PM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 10:51 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव परिणाम के बाद BJP नेतृत्व सतर्क, एक दर्जन MLA हो सकते बेटिकट
Jharkhand Assembly Election 2019: महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव परिणाम के बाद BJP नेतृत्व सतर्क, एक दर्जन MLA हो सकते बेटिकट

धनबाद, जेएनएन। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी झारखंड को लेकर सचेत हो गई है। भाजपा झारखंड विधानसभा चुनाव में कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं है। अब एक सीट के लिए नए सिरे से रणनीति तैयार की जा रही है। सीटिंग सीटों पर ठोक-पीटकर टिकट वितरित किए जाएंगे। इस कवायद में नॉन परफार्मर विधायकों और मंत्रियों के टिकट काटने की चर्चा चल पड़ी है। एक दर्जन विधायक बेटिकट हो सकते हैं। इसकी भनक मिलटे ही टिकट कटने की चिंता में दुबले हो रहे विधायक वैकल्पिक प्लान तैयार करने में जुट गए हैं। उत्तरी छोटानागपुर के दो भाजपा विधायकों ने झारखंड प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह से संपर्क साधा है। भाजपा से टिकट कटने की स्थिकि में कांग्रेस प्रत्याशी बन चुनाव लड़ने का ताना-बाना बुन रहे हैं।

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Jharkhand Assembly Election 2019 में BJP ने मिशन - 65 प्लस का नारा दिया है। इसे हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास खुद जोहार जनआशीर्वाद यात्रा कर जनता के बीच केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को रख रहे हैं। इसी बीच महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम भाजपा की अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहें। इसलिए भाजपा झारखंड को लेकर सतर्क हो गई है। चुनाव में प्रत्याशियों के चयन को लेकर अब केंद्रीय नेतृत्व काफी गंभीर हो गया है। अब एक-एक सीट की रणनीति तैयार की जा रही है। सिर्फ और सिर्फ जीत की कसाैटी पर ही टिकट का वितरण किया जाएगा। लिहाजा राज्य के नेताओं की भी लगाम कसी जा रही है। हाल के दिनों में भाजपा में भी टिकट देने-दिलाने का खेल काफी जोर पकड़ रहा था लेकिन इस चुनाव परिणाम के बाद पार्टी नेतृत्व काफी सजग है। इससे निष्ठावान कार्यकर्ताओं की जहां पूछ बढ़ी है वहीं चहेतों के पैरवीकारों पर नजर रखी जा रही है।

चुनाव परिणाम से पहले हाल यह था कि कल तक जहां पार्टी मान रही थी कि भाजपा जिसे टिकट दे दे वह जीत जाए। इस सोच के कारण भारी मतों से विजयी उम्मीदवारों का टिकट भी सुरक्षित नहीं रह गया था। सबकुछ केंद्रीय नेतृत्व के भरोसे था। लिहाजा तमाम नेता दो नावों की सवारी कर रहे थे। टिकट कटने की सूरत में दूसरी पार्टी से जुगाड़ भिड़ा रहे थे। ऐसे लोग अब राहत महसूस कर रहे हैं। वे आश्वस्त हैं कि इस चुनाव परिणाम के बाद अब मनमानी तो नहीं चलेगी।

भाजपा सूत्रों के अनुसार झारखंड विधानसभा चुनाव में करीब एक दर्जन पार्टी के विधायक बेटिकट हो सकते हैं। इनमें दो मंत्री भी शामिल हैं। नॉन परफार्मर मंत्रियों को लेकर पार्टी काफी चिंतित हैं। क्योंकि हरियाणा विधानसभा चुनाव में ज्यादातर मंत्री खेत रहे हैं। उत्तरी छोटानागपुर के दो विधायकों ने तो कांग्रेस के झारखंड प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह से संपर्क भी साधा है। इनमें एक विधायक हैं जिन्होंने बयान दिया था कि रघुवर सरकार से तो अच्छी हेमंत सरकार थी। दूसरे वे विधायक हैं जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झाविमो को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।


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