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भोजपुरी-मगही भाषा नाय चलतो...30 को बोकारो-बंगाल बार्डर के नगेन मोड़ से बिनोद बिहारी चौक धनबाद तक मानव श्रृंखला

एक आंदोलन ऐसन भी जहां कोई नेता नाय कोई पार्टी नाय कोई नेतृत्व नाय। गांव के लोग अपने हकके खातिर संघर्ष केर रहल हथिन। 30 जनवरी को नाय भुलिया दादा-भोजी काका-काकी जेठा-जेठी बाबु-नुनी भाई-बहिन जय झारखंड-जोहार झारखंड। कोरठा और कुरमाली भाषा के यह संदेश तेजी से फैल रहा है।

By Atul SinghEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 11:21 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 11:21 AM (IST)
भोजपुरी-मगही भाषा नाय चलतो...30 को बोकारो-बंगाल बार्डर के नगेन मोड़ से बिनोद बिहारी चौक धनबाद तक मानव श्रृंखला
30 जनवरी को नाय भुलिया दादा-भोजी, काका-काकी, जेठा-जेठी, बाबु-नुनी, भाई-बहिन, जय झारखंड-जोहार झारखंड।

जागरण संवाददाता, धनबाद : एक आंदोलन ऐसन भी, जहां कोई नेता नाय, कोई पार्टी नाय, कोई नेतृत्व नाय। गांव के लोग अपने हकके खातिर संघर्ष केर रहल हथिन। 30 जनवरी को नाय भुलिया दादा-भोजी, काका-काकी, जेठा-जेठी, बाबु-नुनी, भाई-बहिन, जय झारखंड-जोहार झारखंड। कोरठा और कुरमाली भाषा के यह संदेश तेजी से फैल रहा है। जेएसएससी की तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी में धनबाद और बोकारो में क्षेत्रीय भाषा के रूप में भोजपुरी, मगही और अंगिका को शामिल किए जाने का युवा विरोध कर रहे हैं।

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धनबाद और बोकारो में लगातार प्रदर्शन हो रहा है। झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के बैनर तले 29 और जनवरी को धनबाद-बोकारो में प्रदर्शन होने जा रहा है। समिति के अजीत महतो ने बताया कि 29 जनवरी को तोपचांची के मानटांड़ फुटबाल मैदान में शाम चार बजे से मशाल जुलूस निकाला जाएगा।

भोजपुरी-मगही भाषा नाय चलतो के नारे के साथ बड़ी संख्या में युवा प्रदर्शन करेंगे। इसी तरह 30 जनवरी रविवार को बोकारो-बंगाल बार्डर के नगेन मोड़ से बिनोद बिहारी चौक धनबाद तक मानव श्रृंखला बनेगी। आओ हाथ से हाथ मिलाएं, झारखंडी एकता और शक्ति दिखाएं नारे के साथ छात्र और युवा एकजुटता परिचय देंगे।

तुलसी महतो और हलधर महतो ने कहा कि भोजपुरी, मगही और अंगिका यहां की क्षेत्रीय भाषा नहीं है। बहुत उम्मीद और आशाओं के साथ झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की शासन वाली सरकार बनी थी। इसके बावजूद कुछ होता दिख नहीं रहा है। झारखंडी भाषा बोलने वाले लोगों और झारखंडी जनमानस का कहना है कि हम अपनी भाषा संस्कृति को अतिक्रमण नहीं करने देंगे। इसको लेकर पूरे झारखंड में वृहद रूप से उलगुलान (आंदोलन) का आह्वान किया जाएगा। हमारी संस्कृति और हमारी भाषा ही हमारी पहचान है। हमारी सभ्यता और हमारी संस्कृति नहीं रहेगी तो झारखंडी जनमानस का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा। इसको लेकर झारखंडी मूलवासियों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है।

भोजपुरी-मगही का ये कर रहे विरोध

तुलसी महतो, राजेंद्र महतो, लालचंद महतो, सचिन महतो, दयामय बानुहार, अजय, अजित महतो, रोहित महतो, मनोज महतो, मुकेश महतो, राहुल महतो, मनी महतो, परशुराम महतो, सुभाष महतो, सुरेश महतो, जयराम महतो, बिट्टू महतो, कैलाश महतो, रमेश महतो, राहुल मोदक, शक्ति महतो, अनिल कुमार, विवेक महतो, सारिआन काडुआर, अनिल महतो, दिनेश महतो, धीरेंद्र महतो, महेंद्र महतो, प्रवीण महतो, अर्जुन महतो, राकेश महतो, मंतोष महतो, गौतम महतो, श्रीकांत महतो, अजय महतो, मनीष महतो, प्रदीप महतो, नीलकमल महतो, राज महतो, कार्तिक महतो, सुभाष महतो, दिवाकर महतो, रवि महतो, कार्तिक महतो, रमेश महतो, स्वपन महतो, मिथिलेश महतो, रोहित महतो, अखिलेश महतो, लालचंद महतो।


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