MOU: जानिये आइआइटी आइएसएम व आइसीएफआरई के बीच हुये एमओयू से कैसे खुलेंगे रोजगार के नये अवसर, वन व खनन क्षेत्र भी होंगे इससे समृद्ध
भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आइसीएफआरई) देहरादून और आइआइटी आइएसएम ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एमओयू किया। यह समझौता खनन क्षेत्र के उत्थान और वानिकी रिसर्च के क्षेत्र में बढ़ावा देने वाला होगा। एमओयू पर आइसीएफआरई के महानिदेशक एएस रावत और आइआइटी आइएसएम के
जागरण संवाददाता, धनबाद : भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आइसीएफआरई) देहरादून और आइआइटी आइएसएम ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एमओयू किया। यह समझौता खनन क्षेत्र के उत्थान और वानिकी रिसर्च के क्षेत्र में बढ़ावा देने वाला होगा। एमओयू पर आइसीएफआरई के महानिदेशक एएस रावत और आइआइटी आइएसएम के अनुसंधान एवं विकास के प्रो. शालिवाहन ने हस्ताक्षर किए। आइसीएफआरई देशभर में स्थित अपने संस्थानों और केंद्रों के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर वानिकी अनुसंधान, विस्तार, शिक्षा का मार्गदर्शन, प्रचार और समन्वय कर रहा है। वर्तमान में विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, वन उत्पादकता, जैव विविधता और कौशल विकास के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के समकालीन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
इस एमओयू से आइसीएफआरई और आइआइटी आइएसएम अपनी विज्ञानी और तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करके एक दूसरे के पूरक होंगे। इससे तकनीकी गैप की पहचान करना है। वन आधारित प्रौद्योगिकियों का विस्तार कर स्टैकहोल्डर के लिए संसाधन उपलब्ध कराना है। यह आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने और वन आधारित क्षेत्र की आय बढ़ाने के साथ-साथ संसाधनों के उपयोग में मदद करेगी। आइसीएफआरई व आइआइटी आइएसएम के संयुक्त प्रयास से विज्ञान व तकनीक के समांजन से वनों के बेहतर देखरेख व उनके उत्पादकता में वृद्धि होगी। जिससे वन क्षेत्र समृद्ध होगा साथ रोजगार के भी नये आयाम खोलेगा।
इस अवसर पर आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो. राजीव शेखर, निदेशक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, एडीजी पर्यावरण प्रबंधन, एडीजी एक्सटर्नल प्राेजेक्ट और आइसीएफआरई के वैज्ञानिकों के साथ-साथ डीन, एसोसिएट डीन उपस्थित थे।खनन क्षेत्र के उत्थान और वानिकी रिसर्च में साथ काम करेंगे आइआइटी-आइसीएफआरई