Dhanbad: पूर्वी टुंडी में बिना डाक के बड़े पैमाने पर की जा रही बालू की तस्करी
प्रखंड क्षेत्र के बजरा पालोबेड़ा पोलकेरा मोराडीह समेत कई क्षेत्रों से बालू की खुली लूट मची हुई है। बालू लूट का यह खेल रात के अंधेरे से लेकर दिन के उजाले में भी खुलेआम देखा जा सकता है। पूर्वी टुंडी प्रखंड के बजरा घाट से बालू तस्करी होती है।
संवाद सहयोगी, पूर्वी टुंडी: प्रखंड क्षेत्र के बजरा, पालोबेड़ा, पोलकेरा, मोराडीह समेत कई क्षेत्रों से बालू की खुली लूट मची हुई है। बालू लूट का यह खेल रात के अंधेरे से लेकर दिन के उजाले में भी खुलेआम देखा जा सकता है। सबसे अधिक पूर्वी टुंडी प्रखंड के बजरा घाट से बालू तस्करी होती है। सैकड़ों हाइवा व ट्रैक्टरों से बालू की लूट मची है। बजरा घाट में बराकर नदी से बालू निकालने के कार्य में सैकड़ों नाव लगे रहते हैं। वर्तमान में नदी में पानी कुछ कम हुआ है।
जहां पानी कम है वहां ट्रैक्टर सीधे बालू लोड करने पहुंच जाता है। पानी वाले हिस्से में नाव के सहारे बालू निकाला जाता है। नाव से किनारे पर लाकर बालू ट्रैक्टर में लोड किया जाता है। बजरा घाट के आसपास लगभग 10 एकड़ से अधिक भूमि पर अवैध बालू स्टाक किया जाता है। यहां से जेसीबी एवं मिनी लोडर के सहारे हाइवा एवं ट्रकों में बालू लोड कर बाहर भेजा जाता है। वर्तमान में प्रखंड के बालू घाट का डाक नहीं है। बालू के स्टाक से भी बालू का चालान नहीं मिल रहा है।
बावजूद स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से रोजाना सैकड़ों हाइवा एवं ट्रैक्टरों से अवैध बालू निकाला जा रहा है। लगभग दो वर्ष पूर्व अवैध बालू कारोबार की सूचना पाकर कार्रवाई के लिए एसडीएम राज महेश्वर मोराडीह गांव पहुंचे थे। ग्रामीणों के भारी विरोध के बाद हंगामा हुआ था। वर्तमान में बालू का चालान नहीं मिलने के कारण बालू की तस्करी दूसरे राज्यों में नहीं की जा रही और बिना चालान के ही गुपचुप कारोबार चल रहा है। कैसे होता है अवैध स्टाक : बजरा घाट से नाव के सहारे मजदूर बालू किनारे पर लाते हैं। यहां से ट्रैक्टर मालिक मजदूर से बालू लेकर मात्र 50 से सौ फीट की दूरी पर अवैध स्टाक में बालू बेच देते हैं। अवैध स्टाक से जेसीबी एवं मिनी लोडर के सहारे हाइवा एवं ट्रकों में बालू भेजा जाता है। क्या है बालू की दर : बजरा घाट से एक ट्रैक्टर बालू लोड करने के एवज में नाव सवार मजदूर 900 रुपये लेते हैं। जबकि अवैध स्टाक से एक हाइवा बालू की कीमत लगभग सात से आठ हजार रुपये लिया जाता है। बजरा का पुल हो चुका है क्षतिग्रस्त : खनन नियमों के अनुसार पुल के दोनों छोर पर लगभग 500 मीटर की दूरी पर बालू खनन नहीं किया जाना चाहिए। बजरा घाट पर बने पुल के आसपास के क्षेत्रों में ही भारी मात्रा में बालू खनन किया जाता है।
इस कारण पिछली बारिश में पुल का एक पिलर क्षतिग्रस्त हो चुका है। इसके बाद से प्रशासन ने पुल पर आवागमन बंद कर दिया है। हालांकि अवैध रूप आवागमन भी जारी है। बालू तस्करी से पंचेत के लोग परेशान, वाहनों के आवागमन से टूट रही सड़कें पंचेत : कभी अवैध कोयला को लेकर बदनाम पंचेत अब बालू तस्करी के लिए जाना जाता है। पंचेत के नेपुरा खैरकियारी व चिरकुंडा के नूतनग्राम में बराकर नदी घाट से रोजाना 200 से ज्यादा ट्रैक्टर बालू लेने आते हैं। पहले खनन विभाग के डर से रात में बालू की तस्करी होती थी। पिछले पांच माह से बालू के वाहन बेरोकटोक दिन के उजाले में चल रहे हैं।
बालू तस्करों पर एक राजनीतिक दल का संरक्षण प्राप्त होने के कारण यह धंधा बखूबी फलफूल रहा है। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। इधर डीवीसी के कालोनी से बालू वाहनों के गुजरने से कालोनी के लोग परेशान हैं। बालू लदे वाहनों के चलने से कालोनी की सड़कें भी बर्बाद हो रही है। इस पर रोक लगाने के लिए डीवीसी प्रबंधन ने जिला प्रशासन को पत्र लिखा है। बावजूद बालू तस्करी पर रोक की कोई पहल नहीं की गई। चिरकुंडा में बेखौफ हो रहा बालू उठाव, कभी भी घट सकती है दुर्घटना संस, चिरकुंडा : चिरकुंडा क्षेत्र के बराकर नदी के दो घाट सुंदरनगर स्थित कापासारा व डुमरकुंडा से बालू की तस्करी धड़ल्ले से जारी है। इन घाटों से प्रतिदिन 100 से अधिक ट्रैक्टर बालू का अवैध ढंग से उठाव कर रहे हैं। इस बात की पुष्टि चिरकुंडा थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार ने भी की है। उन्होंने खनन विभाग के पदाधिकारी व एग्यारकुंड की सीओ अमृता कुमारी को पत्र लिखकर बालू तस्करी पर रोक लगाने की मांग की थी।
थाना प्रभारी ने पत्र में कहा था कि बालू की तस्करी को लेकर कभी भी उनके क्षेत्र में अप्रिय घटना घट सकती है। दिन भर सड़कों पर दर्जनों बालू लदे ट्रैक्टर तेज गति से आना-जाना करते हैं। इससे कभी भी दुर्घटना हो सकी है और क्षेत्र में विधि-व्यवस्था बिगड़ सकती है। प्रभारी के पत्र लिखने के बाद एग्यारकुंड की सीओ अमृता कुमारी ने सुंदरनगर कापासारा घाट पर छापेमारी की थी। और अवैध बालू लदे 10 ट्रैक्टर पकड़ी थी। इस छापेमारी के बाद कुछ दिन तक बालू तस्करी बंद हो गई थी। इधर एक नेता के संरक्षण मिलने के बाद फिर से चिरकुंडा क्षेत्र में बालू तस्करी बड़े पैमाने पर की जा रही है। प्रतिदिन 100 से 150 ट्रैक्टर बालू का उठाव किया जा रहा है।