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गोल्डेन कार्ड के इंतजार में दांव पर जिंदगी

लाभुक होने के बावजूद मनीष का नहीं हो रहा इलाज। वह जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 10:59 AM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 10:59 AM (IST)
गोल्डेन कार्ड के इंतजार में दांव पर जिंदगी
गोल्डेन कार्ड के इंतजार में दांव पर जिंदगी

धनबाद, दिनेश कुमार। गरीबों को जानलेवा बीमारियों में अत्याधुनिक चिकित्सा उपलब्ध कराकर नई जिंदगी देने के लिए पिछले माह ही महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना शुरू की गई है। इस योजना में 1350 प्रकार की बीमारियों की कैशलेस चिकित्सा की व्यवस्था की गई है लेकिन विडंबना देखिए कि इसका लाभुक होने के बावजूद धनबाद में एक 10 वर्षीय स्कूली बच्चे का ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है। वह जिंदगी और मौत से लड़ रहा है। परिजन उसके ऑपरेशन के लिए धनबाद से लेकर रांची तक दौड़ रहे हैं लेकिन ऑपरेशन के नाम पर उन्हें बस तारीख पर तारीख मिल रही है। इधर ऑपरेशन में विलंब होने से बच्चे की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।

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यह है मामला : धनसार थाना क्षेत्र के पतराकुल्ही निवासी दैनिक मजदूर अजीत रजक का 10 वर्षीय पुत्र मनीष दिल की बीमारी पेशेंट डक्ट्स आर्टेरियोसस से पीड़ित है। वह राजकृत मध्य विद्यालय पतराकुल्ही का छात्र है। स्कूल हेल्थ प्रोग्राम के दौरान जब विद्यालय में उसकी जांच की गई तो वह बीमारी से पीड़ित मिला। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने उसे बेहतर इलाज के लिए रिम्स रेफर कर दिया। वहां उसका ऑपरेशन होना था। ऑपरेशन के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से 70 हजार रुपये भी आवंटित कर दिए गए। परिजन उसे लेकर रिम्स में भर्ती भी हो गए पर ऐन मौके पर एक चिकित्सकीय उपकरण की अनुपलब्धता के कारण उसका ऑपरेशन नहीं हो पाया। बताया कि 30 हजार रुपये में वह उपकरण आएगा और तभी ऑपरेशन हो सकेगा। परिजनों ने अपने स्तर से इस राशि का इंतजाम करने की बात कही लेकिन डॉक्टर तैयार नहीं हुए। आखिर परिजन बच्चे को लेकर लौट आए। अब आयुष्मान भारत योजना लांच होने के बाद परिजन धनबाद के किसी सूचीबद्ध अस्पताल में उसका ऑपरेशन कराने को दौड़ रहे हैं लेकिन यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है। पहले तो उनका गोल्डन कार्ड नहीं बन पा रहा है और ऊपर से यहां के अस्पताल ऑपरेशन करने को भी तैयार नहीं हैं।

आखिरी समय में फिर दे दी गई नई तारीख: मनीष के ऑपरेशन के लिए एक बार फिर रांची के अस्पताल से दो अक्टूबर की तारीख निर्धारित की गई थी। दो अक्टूबर की सुबह परिजन मनीष को लेकर रांची जानेवाले थे लेकिन एक अक्टूबर को उन्हें फोन पर सूचना दी गई कि दो अक्टूबर को ऑपरेशन नहीं हो सकेगा, इसलिए वे नहीं आए। इस फोन के बाद परिजन फिर निराशा में डूब गए। उन्हें बताया गया कि अब ऑपरेशन के लिए फिर तिथि तय कर उन्हें सूचना दी जाएगी।

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मैं अपने बच्चे का ऑपरेशन कराने के लिए हर जगह फरियाद कर रहा हूं लेकिन कहीं से मदद नहीं मिल रही है। सारे कागजात तैयार होने के बाद भी ऑपरेशन की तिथि फिर बढ़ा दी गई है। उसका जल्द ऑपरेशन कराना बहुत जरूरी है।

अजीत रजक, मनीष के पिता, धनसार।


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