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Floating Solar Power Project: डीवीसी ने गैर परंपरागत उर्जा की ओर बढ़ाए कदम, चार परियोजना को मिली मंजूरी

डीवीसी के सदस्य सचिव प्रबीर मुखर्जी ने बताया कि यहां कुल मिलाकर 1776 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। प्रथम चरण में इन चारों जलाशयों में 50 मेगावाट के लिए टेंडर जल्द जारी होगा। पंचेत में अलग से जमीन पर 50 मेगावाट की सौर विद्युत परियोजना की मंजूरी मिली है।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 05:56 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 06:18 PM (IST)
Floating Solar Power Project: डीवीसी ने गैर परंपरागत उर्जा की ओर बढ़ाए कदम, चार परियोजना को मिली मंजूरी
मैथन और पंचेत डैम में जल्द ही फ्लोटिंग पावर प्रोजेक्ट लगाई जाएगी ( फाइल फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। पनबिजली और तापबिजली उत्पादन करने वाली देश की प्रमुख पीएसयू-डीवीसी ने अब गैर परंपरागत उर्जा के क्षेत्र में कदम बढ़ा दिए हैं। अपने जलाशयों में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाने के प्लान पर काम कर रहा है। इस दिशा में डीवीसी को तैरती हुई सौर विद्युत परियोजना का कार्य शुरू करने की मंजूरी मिली है। डीवीसी देश की पहली व एकमात्र संस्था है, जिसे चार (मैथन, पंचेत, कोनार व तिलैया) जलाशयों में सौर विद्युत परियोजना की मंजूरी मिली है। केंद्रीय ग्रीन नवीनीकरण ऊर्जा विभाग की ओर से 200 मेगावाट बिजली उत्पादन की प्राथमिक मंजूरी दी गई है।  डीवीसी के सदस्य सचिव प्रबीर मुखर्जी ने भी इसकी पुष्टि की है।

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1776 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य

सचिव प्रबीर मुखर्जी ने बताया कि यहां कुल मिलाकर 1776 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। प्रथम चरण में इन चारों जलाशयों में 50 मेगावाट के लिए टेंडर जल्द जारी होगा। पंचेत में अलग से जमीन पर 50 मेगावाट की सौर विद्युत परियोजना की मंजूरी मिली है। इसका कार्य जल्द शुरू होगा। वर्तमान में डीवीसी की उत्पादन क्षमता 7090 मेगावाट है। इसमें से मैथन और पंचेत से 147 मेगावाट बिजली का उत्पादन जल विद्युत परियोजना से किया जाता है। 

सात सब स्टेशन में लगेगा न्यूमेरिक कंप्यूटर सिस्टम

इसके अलावा 100 करोड़ खर्च कर कल्याणेश्वरी सब स्टेशन, दुर्गापुर, बद्र्धमान के दो एवं धनबाद तथा रामगढ़ के तीन सब स्टेशन समेत कुल सात सब सब स्टेशन में रिले सिस्टम की जगह न्यूमेरिक कंप्यूटर सिस्टम से बिजली आपूर्ति शुरू की गई है। कल्याणेश्वरी सब स्टेशन में इसकी शुरूआत भी हाल में ही की गई है। इस तकनीक का लाभ यह है कि डीवीसी के बिजली लाइन में अगर कहीं कोई समस्या होती है, तो इसकी जानकारी कंट्रोल रूम को तुरंत मिल जाएगी। बिजली आपूर्ति को और बेहतर बनाने के लिए यह तकनीक लागू की गई है। 2019-20 में डीवीसी को 185 करोड़ का लाभ हुआ था। इसके पहले छह साल तक संस्था घाटे में थी।

चंद्रपुरा व कोडरमा यूनिट ने किया बेेहतर प्रदर्शन

पूरे देश में बीते वर्ष अक्टूबर माह में डीवीसी के चंद्रपुरा व नवंबर में कोडरमा यूनिट ने अपनी क्षमता का 96 फीसद बिजली उत्पादन कर रिकॉर्ड कायम किया था। डीवीसी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। उन्होंने बताया कि डीवीसी बांग्लादेश को 300 मेगावाट बिजली आपूर्ति कर रही है। बांग्लादेश अगर मांग में वृद्धि भी करता है, तो हमलोग उसे आसानी से पूरा कर सकते हैं। वर्तमान समय में आवश्यकता के अनुसार चार से पांच हजार मेगावाट के बीच बिजली उत्पादन किया जा रहा है।


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