Weekly News Roundup Dhanbad: जब झमाडा ही राम भरोसे तो जनता की प्यास बुझाएगा काैन
आइएएस स्तर के अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस सूची में जिले के बड़े हाकिम भी शामिल हैं। इस संबंध में सरकार की ओर से नोटिस भी जारी की जा चुकी है।
धनबाद [ चरणजीत सिंह ]। झमाडा। धनबाद की 12 लाख की आबादी की प्यास बुझाने का जिम्मा है। मगर, यह विभाग कई वर्षों से राम भरोसे चल रहा है। महत्वपूर्ण पदों पर एक भी स्थायी अधिकारी नहीं। सारे प्रभार पर चल रहे हैं। प्रबंध निदेशक के प्रभार में नगर आयुक्त चंद्र मोहन कश्यप हैैं। सचिव के प्रभार में नगर निगम के कार्यपालक अभियंता हैैं। विभाग के कार्यपालक अभियंता इंद्रेश शुक्ला तकनीकी सदस्य (टीएम) का कार्य संभाले हुए हैैं। विभाग में एक भी अधीक्षण अभियंता नहीं हैं। विधि पदाधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, तब से हेड क्लर्क चार्ज में है। कार्मिक पदाधिकारी बिरेंद्र कुमार सिंह के रिटायर होने के बाद वरीय सहायक प्रभार में हैैं। लेखा पदाधिकारी का प्रभार सहायक अभियंता पंकज कुमार के पास है। झमाडा में लगभग डेढ़ दर्जन विभाग हैैं। यहां आधा दर्जन कार्यपालक अभियंता होने चाहिए मगर हैं एक। एक दर्जन से ज्यादा वरीय सहायक भी होने चाहिए।प्रशिक्षण या कुछ और
आइएएस स्तर के अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस सूची में जिले के बड़े हाकिम भी शामिल हैं। इस संबंध में सरकार की ओर से नोटिस भी जारी की जा चुकी है। इसे लेकर जिला समाहरणालय में इन दिनों चर्चाओं का माहौल बेहद गर्म है। साहब को 16 फरवरी को प्रशिक्षण पर जाना है, करीब एक माह के लिए। कहा जा रहा है कि कहीं यह नई सरकार का कोई खास संकेत तो नहीं। ऑफिसों में यह चर्चा हो रही है कि रघुवर दास की सरकार में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव रहे सुनील कुमार वर्णवाल भी पिछले दिनों ट्रेनिंग पर भेजे गए थे। उनका इंतजार नहीं किया गया, दुमका के तत्कालीन उपायुक्त प्रशांत कुमार की पदस्थापना उनकी जगह कर दी गई। इस दौरान उनका वेतन भी लटक गया। क्या यहां वही दोहराया जाएगा। हाकिम के जाने पर नए साहब को कुर्सी सौंप दी जाएगी?
गटक गए शॉल-मोमेंटो
दूरसंचार के एक उच्च अधिकारी अपने रवैये को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैैं। हाल ही में अपने विभाग में वे फिर एक नए कारनामे को लेकर चर्चा में बने हुए हैैं। दरअसल, उनके विभाग में 177 लोगों ने वीआरएस लिया था। उन सबों को विदाई दी गई। मगर, इस दौरान कर्मचारियों को ना शॉल भेंट की गई, न ही मोमेंटो दिया गया। केवल एक प्रमाण पत्र थमाकर खानापूर्ति कर दी गई। कर्मचारियों में नाराजगी तो दिखी लेकिन इसका इजहार किसके आगे करें। कहा जाता है कि जीएम ऑफिस के मात्र छह लोगों को ही भेंट से नवाजा गया लेकिन बोकारो और विभिन्न एक्सचेंज के कर्मचारियों को कुछ मिलना तो दूर, देखना भी मयस्सर नहीं हुआ। हालांकि नियम है कि कर्मचारियों की विदाई पर छोटा-मोटा समारोह होता है, मोमेंटो-शॉल के लिए फंड निर्गत होता है। तो फिर उस फंड का क्या हुआ? कौन साहब गटक गए?
कौन दिलाएगा इन्हें पेंशन
सामाजिक सुरक्षा विभाग, बीडीओ, सीओ सहित पूरे प्रशासनिक अमले की लापरवाही के नमूने सर्वविदित हैं। इसी में एक ताजा उदाहरण है जिले के पेंशनधारियों का जो सुविधा लेने के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाते-लगाते थक जा रहे हैैं, लेकिन उनकी सुध लेने की फुर्सत किसी के पास नहीं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ट्विटर पर शिकायत हुई। निरसा के चार लोगों को आननफानन विभिन्न मदों में पेंशन का लाभ दिया गया। प्रशासन ने चंद मिनटों में सोशल ऑडिट में यह भी पता लगा लिया कि यहां 51 पेंशनधारियों को जोड़ा भी जा सकता है। सोशल ऑडिट सभी सीओ को करना है लेकिन लापरवाही से यह नहीं हो पा रहा है। इसका परिणाम यह है कि करीब आठ हजार लोगों की पेंशन लटकी हुई है। अब इनका मालिक कौन होगा, कौन बीड़ा उठाएगा और प्रक्रिया पूरी करेगा जिससे इन लोगों को भी पेंशन मिलने लगेगी।