दो दर्जन रोटी खाता अजमेरी, ब्रेकफास्ट में शेरू को चाहिए जलेबी
अजमेरी की खुराक को देख-सुन अच्छे-अच्छे दंग रह जाते हैं। वह एक किलो चना, एक किलो गेहूं और दो दर्जन रोटियां खाता है। पंसदीदा नाश्ते की बात करें तो शेरू का जोड़ नहीं।
जागरण संवाददाता, वासेपुर : अजमेरी की खुराक को देख-सुन अच्छे-अच्छे दंग रह जाते हैं। वह एक किलो चना, एक किलो गेहूं और दो दर्जन रोटियां खाता है। पंसदीदा नाश्ते की बात करें तो शेरू का जोड़ नहीं। उसको जलेबी का स्वाद भा गया है। सुबह-सुबह एक किलो जलेबी नहीं मिले तो वह दिन भर बेचैन रहता है। अगर आप सोच रहे होंगे कि यह बात किसी दो आदमी की खुराक की है तो गलत। दरअसल, यह वासेपुर के दो बकरे की बात है।
कुर्बानी का पर्व ईद-उल-अजहा बकरीद में महज कुछ ही दिन बचे हैं। शहर में बकरे की मंडी सज गई है। इस बार बकरे का भाव सातवें आसमान पर है। 10 हजार की खस्सी 15 हजार रुपये में बिक रही है। यही नहीं, मंडी में एक से बढ़कर एक बड़े और कीमती बकरे मौजूद हैं। ऐसा ही एक नायाब अजमेरी खस्सी वासेपुर रहमतगंज निवासी जमीर आलम खान के पास है। शुक्रवार को 98 किलो वजन वाली इस खस्सी की कीमत 55 हजार रुपये थी। खान ने पिछले साल यह बकरा कतरास से 10 हजार में खरीदा था। जमीर आलम ने कहा कि यह अजमेरी खस्सी परिवार के एक सदस्य जैसा है। प्रतिदिन इस खस्सी पर एक किलो चना, एक किलो गेहूं तथा दो दर्जन रोटी खाता है। 22 अगस्त को होने वाले बकरीद के दिन इस अजमेरी खस्सी की कुर्बानी दी जाएगी। वहीं, जलेबी के लिए सुबह-सुबह मचलने वाला शेरू बकरा भी चर्चा में है। इसके मालिक आरामोड़ निवासी कलाम अंसारी का कहना है, शेरू को जलेबी पसंद है। यह हर दिन सुबह सुबह जलेबी खाता है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक दिन शेरू के पीछे 500 रुपये खर्च होता है। शेरू घर का एक सदस्य जैसा है और घर में सब इससे प्यार करते हैं। बकरीद पर शेरू की कुर्बानी दी जाएगी।