वायु प्रदूषण व कोल डस्ट से खराब हो रहे कान के परदे, कोलियरी क्षेत्रों में रहने वाले इससे ज्यादा प्रभावित Dhanbad News
डॉ. शर्मा ने कहा कि धनबाद में वायु प्रदूषण व कोल डस्ट प्रदूषण ज्यादा है। ऐसे में कोलियरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कान के परदे की बीमारी सबसे ज्यादा पायी जा रही है।
धनबाद, जेएनएन। कान हमारे शरीर का संवेदनशील अंग है। लेकिन वर्तमान समय में ट्रैफिक जाम, बेवजह हॉर्न का बजना, वायु प्रदूषण, संक्रमण आदि के कारण इयर ड्रम (कान का परदा) प्रभावित हो रहा है। ऐसे में जरूरी है कि कान व उसके परदे की समय-समय पर जांच करें एवं उसका बचाव करें। यह बातें नालंदा मेडिकल मेडिकल पटना के प्रोफेसर व प्रसिद्ध इएनटी रोग विशेषज्ञ डॉ सतेंद्र शर्मा ने कही।
वह पीएमसीएच के ऑडिटोरियम में द एसोसिएशन ऑफ ओटोलैरेंगोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया के 43वां वार्षिक सम्मेलन में बतौर अतिथि पहुंचे थे। डॉ सतेंद्र ने इएनटी के ऑपरेशन थियेटर में छह मरीजों का लाइव ऑपरेशन किया। इसमें तीन कान व तीन गला से संबंधित थे। ऑपरेशन का सीधा प्रसारण करके डॉक्टरों को पैरोटिक्ट ऑपरेशन आदि की आधुनिक विधि बतायी।
डॉ. शर्मा ने कहा कि धनबाद में वायु प्रदूषण व कोल डस्ट प्रदूषण ज्यादा है। ऐसे में कोलियरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कान के परदे की बीमारी सबसे ज्यादा पायी जा रही है। इएनटी चिकित्सकीय क्षेत्र में नयी तकनीक आ गयी हैं। ऑपरेशन से परदे का काफी हद तक बचाया जा सकता है।
कई नयी चिकित्सा पद्धति व मशीनों से इलाज संभव
बेंगलुरू से आये डॉ. महीउद्दीन ने कहा कि नाम, कान व गला शरीर व सिर की महत्वपूर्ण अंग है। यह अंग सबसे ज्यादा संवेदनशील व प्रभावित होने वाला है। अब कई नयी चिकित्सा पद्धति व मशीनें आ गयी है। इससे पहले ऑडिटोरियम में सम्मेलन की शुरूआत की गयी। मौके पर डॉ एके ठाकुर, डॉ एसएन मेहता, डॉ आशुतोष कुमार, डॉ जीतेंद्र चौरसिया डॉ सत्यम कुमार, डॉ एके झा आदि मौजूद थे।
पहले दिन ऑपरेशन का लाइव डोमेंस्ट्रेशन
पहले दिन लाइव ऑपरेशन करके चिकित्सा पद्धति से डॉक्टर अवगत हुए। भोपाल से आये डॉ एसपी दुबे ने कोलेयर इंप्लांट किया। थाईराइट की सर्जरी गुजरात से आये डॉ आलोक ठक्कर ने किया। शनिवार को साइंटिफिक सेशन होगा। इसमें डॉक्टर विभिन्न विषयों पर जानकारी शेयर करेंगे।