Dhanbad News: दुर्गापुर स्टील प्लांट में फिर हादसा, कन्वेयर बेल्ट में फंसकर मशीन से कटा श्रमिक
दो टुकड़ों में बंटा शरीर श्रमिक संगठनों ने कंपनी प्रबंधन पर लगाया सुरक्षा मानकों की अनदेखी का आरोप। पिछले महीने प्लांट में फर्नेस से पिघलता लोहा गिरने से तीन श्रमिकों की हो गई थी मौत। मामले की जांच के लिए सेल मुख्यालय रांची से सीजीएम के नेतृत्व में आएगी टीम।
जागरण संवाददाता, दुर्गापुर : सेल के दुर्गापुर स्टील प्लांट में गुरुवार देर रात कन्वेयर बेल्ट में फंसने के बाद मशीन से कटकर 55 वर्षीय श्रमिक आशुतोष घोषाल की मौत हो गई। श्रमिक का शरीर मशीन से कटकर दो टुकड़ों में बंट गया। साथ ही शरीर के कुछ हिस्से इधर-उधर बिखर गए। इस घटना के बाद श्रमिक संगठनों ने प्रबंधन पर सुरक्षा में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। कंपनी प्रबंधन मामले की जांच कर रहा है। सेल सेफ्टी आर्गनाइजेशन, रांची के सीजीएम के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम दुर्गापुर पहुंचकर घटना की परिस्थितियों से लेकर उपकरणों की स्थिति, सुरक्षा के मानक व अन्य तकनीकी पक्ष की तहकीकात करेगी।
रात के समय केबिन से स्पष्ट दिखाई नहीं देता है कन्वेयर बेल्ट
घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार आशुतोष दुर्गापुर इस्पात नगरी के बी-जोन बंकिम चंद्र एवेन्यू में रहते थे। रात 10 बजे से उनकी ड्यूटी थी। वे रा मेटेरियल हैंडलिंग प्लांट (आरएमएचपी) विभाग में सीनियर तकनीशियन के रूप में कार्यरत थे। इस विभाग में दो साइट हैं। नई साइट में कन्वेयर बेल्ट बंद होने से रिक्लेमर खुद बंद हो जाने का सिस्टम लगा है, जबकि पुराने साइट में यह व्यवस्था नहीं है। यहां मैनुअली काम होता है। बार-बार बेल्ट को देखना पड़ता है कि कहीं यह बंद न हो जाए। यहां लौह अयस्क पांच-छह फीट नीचे कन्वेयर बेल्ट पर गिरता है। रात के समय केबिन से बेल्ट स्पष्ट रूप से दिखाई भी नहीं देता है। इस कारण नजदीक जाकर देखना पड़ता है। वहां रेलिंग नहीं है। इतना ही नहीं, आसपास तेल और ग्रिस भी बिखरा रहता है।
दुर्गापुर स्टील प्लांट के कंवेयर बेल्ट के पास पड़ा श्रमिक का पैर।
800 मीटर दूर मिला शरीर
घटनास्थल से करीब 100 मीटर की दूरी पर आशुतोष का एक पैर बरामद हुआ, जबकि बाकी शरीर 800 मीटर दूर कन्वेयर बेल्ट की हाईलाइन में फंसा मिला। अनुमान लगाया जा रहा है कि रात में घोषाल बेल्ट देखने गए और किसी तरह फिसलकर बेल्ट पर गिर गए और इशके बाद मशीन से उनका शरीर कट गया। इंटक नेता रजत दीक्षित ने कहा कि हमलोग भी उसी विभाग में ड्यूटी कर रहे थे, लेकिन उन्हें भी घटना की सूचना एक घंटे बाद मिली। यह विभाग की लापरवाही को दर्शाता है। अगर दो कर्मी होते तो ऐसी घटना नहीं होती।
1960 साल की तकनीक पर हो रहा काम
सीटू नेता सौरव दत्ता ने कहा कि वर्ष 1960 से यह साइट चल रही है। इसका आधुनिकीकरण नहीं किया गया। पुरानी तकनीक से काम हो रहा है। वहां रेलिंग नहीं है। आसपास झाड़ी है, प्रकाश का अभाव है। बार-बार प्रबंधन को इससे अवगत करवाया गया, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। बार-बार घटना होती है, प्रबंधन आश्वासन देता है, लेकिन अमल नहीं होता है।
15 दिनों में तीन दुर्घटनाएं
दुर्गापुर स्टील प्लांट में पिछले 15 दिनों में तीन घटनाएं हुई हैं, जिसमें चार श्रमिकों की मौत हुई है, जबकि दो घायल हुए हैं। 20 नवंबर को ब्लास्ट फर्नेस विभाग में लेडल खुल जाने के कारण गर्म तरल लोहा चार श्रमिकों पर गिर गया था, जिसमें तीन की मौत हो गई थी। गुरुवार सुबह भी हादसे में एक श्रमिक जख्मी हुआ था। इन घटनाओं से प्लांट में कर्मचारियों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।
दुर्गापुर स्टील प्लांट मुख्य जनसंपर्क अधिकारी बेदबंधु राय ने कहा कि श्रमिक की मौत दुख का विषय है। सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। घटना की जांच के लिए रांची से चार सदस्यीय टीम आ रही है। जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी। प्रबंधन ऐसी घटनाओं में नियम के अनुसार मुआवजा देता है। पहले तीन श्रमिकों के स्वजनों को मुआवजा देने की प्रक्रिया चल रही है।