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नई कहानी रचने से पहले लोकतंत्र के अनाम नायकों की गाथा पढ़ रही नौकरशाही

आम चुनाव-2014 में 83.4 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे। 55.4 करोड़ मतदाताओं ने 67 लाख खामोश नायक यानी चुनाव कर्मियों (पुलिस कर्मियों सहित) की सहायता से 9.4 लाख मतदान केंद्रों पर मत डाला।

By mritunjayEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 09:51 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 04:03 PM (IST)
नई कहानी रचने से पहले लोकतंत्र के अनाम नायकों की गाथा पढ़ रही नौकरशाही
नई कहानी रचने से पहले लोकतंत्र के अनाम नायकों की गाथा पढ़ रही नौकरशाही

धनबाद, मृत्युंजय पाठक। भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने का गौरव यूं ही नहीं प्राप्त है। लोकतंत्र की खूबसूरती निष्पक्ष निर्वाचन प्रक्रिया में निहित है। इससे ही मजबूत लोकतंत्र का आधार बनता है। इस पैमाने पर भारतीय निर्वाचन आयोग का जोड़ नहीं है। लेकिन, भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए जहां लगभग सवा सौ करोड़ की आबादी है और भिन्न-भिन्न धर्मों, मतों, सामाजिक और सांस्कृतिक विरासतों के लोग एक साथ अपना प्रतिनिधि चुनते हैं, निर्वाचन प्रक्रिया एक बड़ी चुनौती बन जाती है। इस चुनौती को पूरा करते हैं-लोकतंत्र के खामोश नायक। इन दिनों इन नायकों की कहानी देश के 719 जिलों में तैनात भारतीय प्रशासनिक सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी पढ़ रहे हैं। जिससे लोकसभा चुनाव-2019 की कठिन चुनौती का सहज ढंग से सामना किया जा सके। 

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दरअसल, भारत निर्वाचन आयोग ने एक किताब छापी है। नाम है 'मतदान में विश्वास'। इस किताब में मानवीय रुचि की 101 कहानियां हैं। ये कहानियां अफसरों को प्रेरित करेंगी। यह किताब भारत निर्वाचन आयोग से प्राप्त होने के बाद जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा सभी विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी और सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारियों और चुनाव कार्य में लगे अधिकारियों को मुहैया कराई जा रही है। 

धनबाद के उप जिला निर्वाचन पदाधिकारी विपीन बिहारी बताते हैं-'मतदान में विश्वास' नामक किताब में चुनाव कार्य में भाग लेने वाले अधिकारियों के सीखने के लिए बहुत कुछ है। यह अनूठी किताब है। इसे पढ़कर देश के दुरूह से दुरूह क्षेत्रों में चुनाव संचालन की सफल कहानियों से रूबरू हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह किताब आने वाले चुनावों में मेहनत एवं लगन से जुडऩे के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी। 

101 कहानियों में भारत के हर क्षेत्र में प्रतिनिधित्व : इस किताब में 101 कहानियां हैं। ये कहानियां देश के पूरब से लेकर पश्चिम, उत्तर से दक्षिण और पूर्वोत्तर से सुदूर क्षेत्रों से ली गई हैं। ज्यादातर कहानी लोकसभा चुनाव-2014 के दौरान की है। हालांकि कई कहानियां लोकसभा चुनाव के बाद संपन्न विधानसभा चुनावों से भी ली गई हैं। इसके साथ ही समाज के हर क्षेत्र के लोगों से प्राप्त कुछ चुनिंदा कहानियां भी शामिल की गई हैं। इनमें झारखंड की दो कहानियों को स्थान मिला है। प्रहरी की कहानी के लेखक दुमका के तत्कालीन उपायुक्त हर्ष मंगला हैं। दूसरी कहानी-चल भाग यहां से वरना... पश्चिमी सिंहभूम के तत्कालीन जिला चुनाव पदाधिकारी अबुबेकर सिद्दीकी ने लिखी है। 

 

67 लाख खामोश नायकों ने कराया 2014 का चुनाव : आम चुनाव-2014 में 83.4 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे। 55.4 करोड़ मतदाताओं ने 67 लाख खामोश नायक यानी चुनाव कर्मियों (पुलिस कर्मियों सहित) की सहायता से 9.4 लाख मतदान केंद्रों पर मत डाला। बात यही खत्म नहीं होती। जिस देश का एक भाग 45 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में तप रहा होता है तो वहीं दूसरा भाग बर्फ से ढका होता है। कुछ हिस्सों में लगातार बारिश होती है। मतदान केंद्र पहुंच से बाहर हो सकते हैं, वन के काफी अंदर हो सकते हैं या जहां केवल पैदल या नौकाओं से जाया जा सकता है, या भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई एवं जातिगत विविधता काफी अधिक है। वहां चुनाव संचालित करने के कार्य की व्यापकता एवं जटिलता कल्पनातीत हो सकती है।  

 

बहादुरी से करते हर परिस्थिति का सामना : ये खामोश नायक गंभीर भौगोलिक स्थितियों एवं उग्र्रवादी गतिविधियों का बहादुरी से सामना करते हुए क्षेत्र में डटे रहते हैं। सीमित संसाधनों के साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात परिश्रम करते हैं कि लाखों वोटरों को मतदान करने का अनुभव सुखद हो। राजनीतिक दलों एवं अभ्यर्थियों को एक समान अवसर मिले। चुनाव आयोग की तमाम तैयारियों के बावजूद सच्चाई यह है कि चुनाव कर्मियों की मेहनत एवं ऊर्जा के बिना कुछ नहीं होता है।

 अभिलेखागार से ऐतिहासिक आम चुनाव : अगस्त 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद वर्ष 1951-52 में भारतीय आम चुनाव द्वारा प्रथम लोकसभा को निर्वाचित किया गया। उस समय तक भारतीय संविधान सभा ने अंतरिम विधायिका के रूप में कार्य किया था। मतदान 25 अक्टूबर, 1951 और 21 फरवरी 1952 के बीच आयोजित किया गया। अधिकांश जगहों पर मतदान फरवरी 1952 में कराया गया। हिमाचल प्रदेश के मतदाताओं को अक्टूबर 1951 में मत डालने का अवसर प्राप्त दिया गया, क्योंकि भारी बर्फबारी, राज्य की खराब सड़कों एवं पर्वतीय भू-भागों के कारण यह संभावना थी कि फरवरी में चुनाव के दौरान मतदान केंद्र तक पहुंचना संभव न हो।

स्वतंत्र भारत में पहला वोट हिमाचल प्रदेश के चिनी जिले में डाला गया। भारत के 26 राज्यों के 401 चुनाव क्षेत्रों में 489 सीटों के लिए पहला आम चुनाव कराया गया। इस आम चुनाव में कुल 17.32 करोड़ मतदाता थे। मतदान प्रतिशत 61.16 रही। यह उस समय मतदाताओं की सबसे बडी हिस्सेदारी मानी गई। इसने बताया कि स्वतंत्र भारत में लोकतांत्रिक मताधिकार के प्रति लोगों में असीम रुचि है। 


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