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Durga Puja 2020: पालकी में सवार होकर मंडप पहुंची कोला बोउ, नवपत्रिका की पूजा कर मां दुर्गा की उपासना कर रहे श्रद्धालु

महासप्तमी की सुबह कोला बोउ यानी नवपत्रिका की परंपरा को लेकर बंग समुदाय में खासा उत्साह दिखा। पालकी लेकर तालाब किनारे गए और वहां कोला बोउ को स्नान कराया। नव पत्रिका पूजन के लिए सभी नौ पौधों को एक साथ बांध कर स्नान कराया गया।

By Sagar SinghEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 12:46 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 12:55 PM (IST)
Durga Puja 2020: पालकी में सवार होकर मंडप पहुंची कोला बोउ, नवपत्रिका की पूजा कर मां दुर्गा की उपासना कर रहे श्रद्धालु
महासप्तमी की सुबह कोला बोउ की परंपरा को लेकर खासा उत्साहित दिखे लोग।

धनबाद, जेएनएन। महासप्तमी की सुबह कोला बोउ यानी नवपत्रिका की परंपरा को लेकर बंग समुदाय में खासा उत्साह दिखा। पालकी लेकर तालाब किनारे गए और वहां कोला बोउ को स्नान कराया। नव पत्रिका पूजन के लिए  सभी नौ पौधों को एक साथ बांध कर स्नान कराया गया। लाल पाट की साड़ी पहनाई गई। इससे कोला बोउ को नई नवेली दुल्हन की तरह सजा कर ढाक, घंटी और शंख ध्वनि के साथ विधि विधान से पालकी में बिठाकर दुर्गा मंडप लाया गया। मंडप में भगवान गणेश के दाहिनी ओर उन्हें स्थापित किया गया। पूजा के स्थान पर ले जाकर चंदन और फूल अर्पित किया गया।

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हालांकि यह परंपरा सिर्फ उन जगहों पर निभाई गई जहां बांग्ला रीति से दुर्गोत्सव का आयोजन हुआ है। कोला बोउ यानी नौ तरह के पौधों से मिल कर बनाए गए गुच्छे की पूजा कर मां दुर्गा का आव्हान किया गया। इन नौ पत्तों को दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। नवपत्रिका तैयार करने में केला, कच्ची हल्दी, जौ, बेल पत्र, अनार, अशोक और धान के पौधे का इस्तेमाल किया जाता है। हर एक पौधे को मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है।

यहां भी की गई मां दूर्गा की पूजा:

  • हरि मंदिर पूजा कमिटी के लोग लोको टैंक पहुंचे थे। वहां कोला बोउ को स्नान कराया।
  • बंगाली कल्याण समिति ने कोला  बोउ जेसी मल्लिक रोड के खोखन तालाब में कराया।
  • पूजा स्थल ज़िला परिषद परिसर से जेसी मल्लिक रोड के खोखन तालाब तक डोला यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में समिति के महिला एवं पुरुष सदस्य शामिल हुए।


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