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'सर! मेरे बच्चे को थैलेसीमिया है; एंबुलेंस के लिए पैसा नहीं है इसलिए बाइक से बोकारो जाना है, पास दे दीजिए' Dhanbad News

लॉकडाउन के चलते धनबाद से बाहर जाने के लिए बच्चे का पिता पास लेने के लिए परिवहन विभाग के अधिकारी के पास पहुंचा। जहां उसने पास के लिए गुहार लगाई इसके बाद पास मिला।

By Sagar SinghEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 08:49 PM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 08:49 PM (IST)
'सर! मेरे बच्चे को थैलेसीमिया है; एंबुलेंस के लिए पैसा नहीं है इसलिए बाइक से बोकारो जाना है, पास दे दीजिए' Dhanbad News
'सर! मेरे बच्चे को थैलेसीमिया है; एंबुलेंस के लिए पैसा नहीं है इसलिए बाइक से बोकारो जाना है, पास दे दीजिए' Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। सर! मेरे बच्चे को थैलेसीमिया है। सोमवार को उसे खून चढ़ना है। पास दे दीजिए। यह गुहार एक पिता की है जिसका आठ साल का बच्चा अभिनव जन्म से ही थैलेसीमिया की बीमारी से ग्रसित है। पिता ने कहा कि बोकारो के नीलम अस्पताल में उसके बेटे का इलाज चल रहा है और उसके लिए जाना जरूरी है। रविवार को यह गुहार कामेश्वर महतो परिवहन विभाग के एक अधिकारी से लगा रहा था।

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परिवहन अधिकारी ने उसके पिता कामेश्वर महतो से पूछा कि कैसे ले जाओगे इतनी तेज गर्मी है। तो उसने जो वाहन का नंबर दिया वह कार या एंबुलेंस का नहीं बल्कि बाइक था। पिता ने कहा कि पैसे नहीं हैं, खून चढ़ाना जरूरी है। सर बाइक के नंबर को हीं स्वीकृत कर दीजिए। विभाग ने पास निर्गत कर दिया। पास लेने पहुंचे कामेश्वर महतो ने बताया कि खून का प्रबंधन रेडक्रॉस सोसाइटी की ओर से किया जाता है।

अभी तो पास लेने आए है वहां जाने पर पता चलेगा कि खून की स्थिति क्या है। डर भी लग रहा है यदि खून नहीं मिला तो बहुत परेशानी हो जाएगी। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए हुए तीन हफ्तों के लॉकडाउन का वक्त थैलेसीमिया के मरीजों के लिए काफी मुश्किल वक्त हो गया है। उन्हें खून चढ़ाने के लिए रक्तदाता नहीं मिल रहे। ब्लड डोनेशन कैंप भी नहीं हो रहे और न ही ब्लड बैंकों में खून मिल पा रहा है।

खून चढ़ाए जाने के अलावा थैलेसीमिया के मरीजों को शरीर में जमा अतिरिक्त लोहे को निकालने के लगातार एक खास थैरेपी से गुरजना होता है, जिसे आयरन चिलेशन कहते हैं। बता दें कि थैलेसीमिया खून की एक जेनेटिक बीमारी है जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन असामान्य तरीके से बनता है। इसकी वजह से लाल रक्त कोशिकाएं तेजी से मरती जाती हैं और मरीज गंभीर रूप से एनीमिया का शिकार हो जाता है। यानी उसके शरीर में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है।


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