सप्ताह भर में 82 घंटे बिजली, मजाक बन रहे शहरवासी
धनबाद : पिछले दस दिनों से धनबाद की जनता लगातार बिजली-पानी की समस्या से जूझ रही है। जनता की शिका
धनबाद : पिछले दस दिनों से धनबाद की जनता लगातार बिजली-पानी की समस्या से जूझ रही है। जनता की शिकायत पर विभाग ने त्राहिमाम संदेश जेबीएनएल के चैयरमेन को भेजा है, परंतु व्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं देखा जा रहा। पिछले एक सप्ताह से डीवीसी धनबाद में आठ से दस घंटे तक लोड शेडिंग के नाम पर बिजली काट रही है। वहीं बाकी कसर विभाग मरम्मत के नाम पर निकाल रहा है।
कुछ इलाके में बिजली विभाग की लचर व्यवस्था के कारण घंटों विद्युत आपूर्ति बाधित रहती है। हल्की बारिश में बिजली गुल हो जाती है। मरम्मत के नाम पर विभाग को घंटों वक्त लग जाता है जिस कारण से जनता की परेशानी दोगुनी हो गई है। इधर, डीवीसी ने अपना बकाया राशि वसूलने के लिए बिजली उत्पादन में कमी बताते हुए विभाग से अपना पिंड छुड़ाने की कोशिश शुरू कर दी है। डीवीसी ने विभाग को स्पष्ट किया है कि पिछले कुछ सप्ताह से निर्धारित मांग से 60 फीसदी कोयला ही डीवीसी को मिल रहा है, जिस कारण से बिजली उत्पाद प्रभावित हुआ है। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि डीवीसी अपना बकाया रुपये वसूलने के लिए यह हथकंडा अपना रही है। दरअसल, डीवीसी जेबीवीएनएल से तीन हजार करोड़ रुपये पाती है और अब वह उधार की बिजली देने से परहेज कर रही है। परंतु खुलकर सरकार से बकाया रुपये की मांग करने से कतराती है। यही वजह है कि जिले में प्रत्येक दिन लोड शेडिंग के नाम डीवीसी तकरीबन आठ से दस घंटे तक बिजली काट रही है। इतना ही नहीं, बिजली काटने का भी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं किया है। ऐसे वक्त भी डीवीसी बिजली काटी रही है ताकि जनता परेशान होकर सड़क पर उतर जाए और सरकार पर इसका दबाव बने।
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168 घंटे में 56 घंटे डीवीसी ने काटी है बिजली
धनबाद : शहर में प्रत्येक दिन आठ से दस घंटे बिजली डीवीसी लोड शेडिंग के नाम पर काट रही है। किसी भी वक्त दो घंटे से कम लोड शेडिंग नहीं हो रही है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले एक सप्ताह में 168 घंटे बिजली लोगों को मिलनी चाहिए थी, पर 56 घंटे बिजली डीवीसी के लोड शेडिंग के नाम पर काटी गई। वहीं, बिजली विभाग भी मरम्मत के नाम पर तकरीबन 30 घंटे शहर में आपूर्ति बाधित की। कुल मिलाकर यह कहा जा रहा है एक सप्ताह में 82 घंटे बिजली ही धनबाद वासियों को नसीब हुई है। यही कारण है कि जनता त्राहिमाम हैं आम लोगों को गुस्सा भड़क रहा है। जनता आंदोलन के लिए बाध्य हैं।